

40 साल बाद अखिरकार शुरू हुई यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन की प्रोसेस
भोपाल। एक बार फिर राजधानी के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का जिन्न बोतल से बाहर निकलता नजर आ रहा है। इसको लेकर भले ही इंदौर में कचरे जलाने को लेकर स्थानीय लोग और राजनीतिक दलों ने विरोध शुरू कर दिया है। पीथमपुर और उसके आसपास बसे पचास गांव के लोग इस बात से आशंकित हैं कि कचरा जलाने से उनकी सेहत और पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ेगा लेकिन दूसरी तरफ राजधानी में इस कचरे से खराब हुए अंडर ग्राउण्ड वाटर की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया है।
काउंट डाउन शुरू पर एक्टिविटी नहीं
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निष्पादन का काउंट डाउन शुरू हो गया है। इसको इस माह के अंत तक नष्ट करने की कवायद शुरू की जानी है पर अभी तक कोई कार्यवाही नजर नहीं आती है। पिछले साल परिसर में मौजूद 337 मीट्रिक टन कचरे के निपटान की कवायद शुरू भी हुई थी लेकिन वह लंबी नहीं चल पायी थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 126 करोड़ रुपए की राशि भी ट्रांसफर कर दी गई, कचरा निष्पादन को लेकर अनुबंध होकर टाइमलाइन भी तय हो गई, लेकिन ठोस कदम अभी भी नहीं उठाया क्या है।
*क्या प्लानिंग है*
यूका के जहरीले कचरे का निष्पादन के लिये जो कार्य योजना बनायी गयी है उसके चलते इसको इंदौर पास पीथमपुर में बरेकॉमन हाजारडस वेस्ट ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्प्रोजल सेंटर में ले जाया जाएगा।पहले चरण में भोपाल से 10 टन जहरीला कचरा जो यूनियन काबाईड परिसर के भीतर जमा है उसमे से निकाल कर भेजा जाएगा। इसके लिये भोपाल से इंदौर तक कॉरीडोर भी बनाया जाएगा। पर यह सब कब और कैसे होगा यह क्लियर नहीं किया गया है। परिसर और उसके पीछे बने सोलर इवेपॉरेशन पोंड में पड़े जहरीले कचरे से कारखाने के आसपास बसी 42 बस्तियों के भूजल को ऐसे रसायनों से प्रदूषित किया है जिन्हे फॉरएवर केमिकल्स के नाम से जाना जाता है यानी वह अपना असर खोते नहीं हैं। अब देखना यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में इसको किस तरह से डिस्पोजल किया जाता है।