43 वर्ष बाद, सूर्यग्रहण के 13 दिन बाद फिर हो रहे चंद्रग्रहण के व्यापक प्रभाव व राशि गत फलित

1961

*43 वर्ष बाद, सूर्यग्रहण के 13 दिन बाद फिर हो रहे चंद्रग्रहण के व्यापक प्रभाव व राशि गत फलित*

* सूर्य ग्रहण के बाद पड़ने वाला चंद्र ग्रहण 8 नवंबर,2022, मंगलवार को मेष राशि में, भरणी नक्षत्र पर ग्रस्तोदित, चंद्रग्रहण,जबलपुर की पंचांग के अनुसार ग्रहण का स्पर्श दिन में 2 बजकर 39 मिनिट से शाम 6 बजकर 19 मिनिट पर समाप्त होगा। मैने प्रदेश के विख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक शर्मा से अपनी बातचीत चंद्रग्रहण के समय काल से ही प्रारंभ की तो वे बोले कि इस ग्रहण का सूतक पंचांग के अनुसार तीन प्रहर पूर्व यानि प्रातः 5 बजकर 39 मिनिट से लगेगा। शास्त्रों के अनुसार रोगी,वृद्ध, बालक को एक प्रहर एवं अर्थात् 11 बजकर 39 मिनिट से सूतक मानना चाहिए। भारत समेत यह चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, उत्तर व दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में, प्रशांत महासागर,हिंद महासागर, एशिया व उत्तर-पूर्वी यूरोप में दिखाई देगा। दक्षिण-पश्चिम यूरोप एवं आफ्रीका महाद्वीप में यह दिखाई नही देगा। सूर्य ग्रहण से लगा लगाया सूर्यग्रहण पड़ने पर संसार में कई विप्लवकारी घटनाएं घटती है। उल्लेख मिलता है की महाभारत काल के युद्ध के समय भी 13 दिन का पक्ष हुआ था, जिसमे चंद्रग्रहण के बाद सूर्य ग्रहण हुआ था। स्वतंत्र भारत के पूर्व में क्या ऐसा कोई वाक्या हुआ है,यदि हां तो उसके क्या प्रभाव हुए थे ,पूछने पर वे बतलाते हैं कि इसी प्रकार अब से 43 साल पहले 1979 मे सूर्य-चंद्रग्रहण का योग बना था। एक विचित्र संयोग है, उस समय गुजरात में ही मोरबी का डैम टूटा था और इस बार मोरबी पर बना हुआ पुल टूट जाने से बड़ा हादसा हुआ। 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण हुआ और 8 नवंबर के चंद्रग्रहण के बीच में गुजरात के मोरबी में मक्षु नदी पर बना झूला पुल टूट गया। 1979 में मक्षु नदी का डैम टूटा था जिसमें हजारों लोग मरे और 2022 में पुल टूटा जिससे सैंकड़ों लोग मरे। इससे सिद्ध होता है कि जब सूर्य-चंद्र ग्रहण साथ होते हैं,तब विप्लवकारी घटनाएं घटती हैं। ऐसी भविष्य वाणी हमने 25 अक्टूबर के सूर्य ग्रहण के समय भी की थी कि भूकंपीय घटना की संभावना है और देखिए मंडला, जबलपुर के आस-पास इसी 15 दिन की अवधि में साढ़े चार रिक्टल स्केल की तीव्रता का भूकंप, आया था। अभी भी अगले 15 दिन के अंदर पुनः दक्षिण-पूर्व एशिया के किसी भाग में भूकंपीय घटना घट सकती है। सूर्य-चंद्र ग्रहण खगोलीय घटनाएं हैं लेकिन इनका पृथ्वी पर एवं पृथ्वी के निवासियों पर विशेष प्रभाव होता है। अभी वर्तमान में मंगल-शनि का षडाष्टक योग बनने जा रहा है। इससे भी जनमानस को एवं कुछ राष्ट्रों को युद्ध विषयक परेशानियों से रूबरू होना पड़ेगा। कुछ जगहों पर प्राकृतिक आपदाएं व दुर्घटनाएं होने की संभावना है। विश्व में राजनैतिक अस्थिरता, व्यापार में उतार-चढ़ाव, शेयर – बाजार में भारी उतार चढ़ाव, बड़े नेताओं को कष्ट , अथवा दुःखद समाचार मिल सकते हैं एवं व्यापार पर विशेष प्रभाव होता है। इस वजह से चंद्रग्रहण का समाचार मिलने की संभावना है। राहु एवं चंद्रमा का शेयर बाजार व अन्य सभी तरह के व्यापार पर विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा। यद्यपि यह खगोलीय घटना है लेकिन

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अनुसार ग्रहणों का विशेष महत्व होता है। मैने जब सूतक के संबंध में पूछा तो पंडित शर्मा जी बोले कि ऋषियों ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से देखा की ग्रहणों के समय निगेटिव एनर्जी का फोर्स बढ़ जाता है। इसीलिए सूतक काल की अवधारणा बनी और उसके लिए नियम बने, जो सभी को मालूम है। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण काल में सूर्य-चंद्रमा व पृथ्वी के एक सीध में झाने के कारण एक विशिष्ट ऊर्जा-चक्र बन जाता है, इसलिए इस काल में किए गए मंत्र जाप, हवन आदि का तत्काल फल एवं सिद्धि मिलती है, ऐसा देखने में आता है। हालांकी पूजा पाठ की मनाही होती है, लेकिन जप एवं हवन पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ किया जाए इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, विशेषकर यदि सूर्य ग्रहण में कोई नया मंत्र किसी गुरु से प्राप्त किया है या कोई साधु से तो उसको जस्ट बाद में पड़े हुए चंद्र ग्रहण में जपने से तत्काल सिद्धि प्राप्त होती है। ऐसा सिद्ध साधकों का अनुभव है। इसीलिए किन्हीं साधकों ने यदि सूर्य ग्रहण में जप,हवन आदि किया है तो वे अवश्य ही इस चंद्रग्रहण काल में भी जप,हवन, तर्पण व मार्जन आदि करें एवं ग्रहण के उपरांत ब्राम्हण भोजन कराये जल के समीप अथवा एकांत में श्वेतवस्त्र धारण कर श्वेत कंबल के आसन पर बैठ कर जाप करें तो तुरंत प्रभाव दिखाई देगा। अगर आप अधिक परेशानियों में हैं तो *”ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा”*

इस मंत्र का जाप करना आर्थिक लाभकारी होगा। अन्य किसी प्रकार की कठिनाइयों में हैं तो, *ॐ ह्री दुं दुर्गाये स्वाहा* इस मंत्र का जाप करें। यदि बीमारियाँ परेशान कर रहीं हैं तो लघु मृत्युंजय मंत्र का जप करे। *ॐ ह्रोम जूं स: पालय पालय सः जूम ह्रोम् ॐ* अन्य कोई इच्छा होने पर शिव अथवा मां दुर्गा के किसी मंत्र का जाप करें अथवा विष्णु मंत्र का जाप करें। ग्रहण के मोक्ष उपरांत घर में कपूर जलाएं, गंगाजल छिड़के भगवान का पूजन करें व दान दें। जब मैंने उनसे अलग अलग राशि पर सूर्य व चंद्र ग्रहण का प्रभाव जानना चाहा। तब उन्होंने सभी 12 राशियों पर खग्रास चंद्र ग्रहण का प्रभाव अलग अलग बताया,जो निम्नानुसार है।

*बारह राशियों पर चंद्रग्रहण का प्रभाव*

साल के इस अंतिम ग्रहण का सभी बारह राशियों पर निम्नानुसार असर होगा।

 

मेष राशि- चंद्र ग्रहण चूंकि मेष राशि पर ही लग रहा है, अतः आवश्यक है इस राशि के जातको को काफी संभल कर रहने की | है। एक ओर जहां व्यापार नौकरी या दैनिक रोजगार को लेकर मानसिक चिंताएं बढेंगी वहीं दाम्पत्य जीवन में मतभेद उभर सकते है। साथ ही माता-पिता को भी कष्ट हो सकता है।

 

वृष राशि — वालों के लिए भी ग्रहण अशुभ फल करेगा। भाई- बहनों के बीच तनाव रह सकता है। साथ ही गृह और वाहन सुख को लेकर भी थोड़ा तनाव हो सकता है। इस दौरान आपको सुख की कमी महसूस होगी साथ ही नींद की बीमारी बढ़ेगी। आंतरिक शत्रुओं में वृद्धि होगी लेकिन अंत में जीत आपकी होगी।

 

मिथुन-राशि:- मिथुन राशि के जातको के लिए ग्रहण का मिला जुला असर रहेगा। एक ओर जहां व्यापार में वृद्धि होगी, नौकरी मे तरक्की मिलेगी, धन की आवक बनी रहेगी वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

 

कर्क राशि — इस दौरान आपका मन अशांत रहेगा, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ेगी। अकारण तनाव रहेगा। आय संबंधी समस्या भी बनी रह सकती है। इस दौरान माता पिता को लेकर चिंता की स्थिति बन रही है।

 

सिंह राशि:- सरकारी या उच्चाधिकारी से तनाव की स्थिति बन रही है। मनोबल और स्वास्थ्य में अवरोध की स्थिति बन सकती है। पेट और पैर की समस्याओं में बढ़ोत्तरी होगी। वाणी पर संयम रखें व विवाद से बचें।

 

कन्या राशि:- कन्या राशि के जातकों को अपनी वाणी पर संयम रखना होगा, इस दौरान किसी से भी संभलकर बात करें। आय के साधनों में कमी आ सकती है, सुख मे भी कभी महसूस कर सकते है। तुला राशि — तुला राशि के जातको को मानसिक क्लेश उत्पन्न

हो सकता है। माता को कष्ट, दांपत्य और प्रेम संबंधों में समस्याओं के चलते मन अशांत रह सकता है। वृश्चिक राशि: मनोबल और स्वास्थ्य को लेकर मन अशांत रहेगा। खुद पर नियंत्रण रखना होगा। दांपत्य सुख में कमी आ सकती है। मन, काफी अशांत रहेगा, खर्च में वृद्धि होगी।

 

धनु राशि — इस दौरान आपका अचानक से क्रोध बढ़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि खुद पर नियंत्रण रखें। दांपत्य सुख में कमी आ सकती है। माता या पिता किसी को कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। संतान को लेकर मन बेचैन बना रहेगा।

 

मकर राशि: इस दौरान मकर राशि के जातकों को स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़‌ता है। जीवन साथी और प्रेम संबंधों को लेकर मन अशांत रहेगा। आय में कमी के साथ ही माता-पिता के स्वास्थ्य और संतान को लेकर चिंता बनी रहेगी।

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों के लिए ग्रहण धन लाभ कराने वाला, यश ख्याति बढ़ाने वाला होगा। पराक्रम तथा परिश्रम से सफलता मिलेगी। आय के नए स्रोत खुल सकते है तथा स्थान परिवर्तन की संभावना हो सकती।

मीन राशि। इस राशि के जातकों को संतान को लेकर चिंता हो सकती है। पराक्रम और सम्मान में अवरोध पैदा होगा। पेट और मूत्र संबंधी समस्याओं के कारण तनाव रहेगा। वाणी पर संयम रखें।