(उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट)
उज्जैन । विगत दिनों बाबा महाकालेश्वर के मंदिर में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन के दौरान हुए हंगामे और बवाल को टाला जा सकता था, यदि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक दो माह पहले जारी आदेश का पालन करते ।
प्रशासक द्वारा आदेश की अवहेलना का मामला हंगामे के रूप में सामने आया। नतीजतन भाजयुमो के नगर, जिला अध्यक्ष सहित 18 पदाधिकारियों को अपने पद से हाथ धोकर प्रशासक के किये का खामियाजा भुगतना पड़ा।
लगभग 1 सप्ताह पहले महाकाल मंदिर में हंगामे के बाद मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक द्वारा कहा गया था कि मंदिर समिति को केवल तीन व्यक्तियों के गर्भगृह में जाने का पाइंट प्रशासन की प्रोटोकॉल शाखा द्वारा दिया गया था। अन्य के प्रवेश को लेकर उनके पास कोई सूचना नहीं थी।
वही पद से हटाए गए भाजयुमो के पूर्व नगर अध्यक्ष अमय शर्मा का कहना था कि प्रशासक को मेरे स्वयं द्वारा सूचना देने के बावजूद भी भाजयुमो के अन्य पदाधिकारियों के मंदिर प्रवेश की व्यवस्था नहीं की गई थी। यही हंगामे की वजह बनी।
जो कुछ हो भी हो बहरहाल मंदिर के प्रोटोकॉल दायित्व को लेकर लगभग दो माह पूर्व महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर द्वारा जारी आदेश को देखने पर इस बात का खुलासा हो जाता है, कि प्रशासक द्वारा उक्त आदेश का पालन नहीं किया गया। यदि आदेश के अनुसार इंतजाम होते तो शायद हंगामे को टाला जा सकता था। वही विगत नागपंचमी पर्व पर धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर के स्टाफ को भी दर्शन करने के लिए बड़ी मशक्कत करना पड़ी थी। इस बात को लेकर मंत्री ठाकुर भी जवाब सवाल कर चुकी है । लगातार मिल रही शिकायतों पर संज्ञान लेते जुए कलेक्टर ने मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ को आज नोटिस जारी करते हुए 3 दिन के अंदर जवाब देने का समय दिया है। नोटिस में कार्यविभाजन का उल्लेख करते हुए यह साफ लिखा है कि जनप्रतिनिधियों और संगठनों के लिए दर्शन व्यवस्था हेतु आपको अधिकृत किया गया था। 10 अगस्त को भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के आगमन की जानकारी मंदिर प्रशासक को थी। लेकिन इसके बाद भी व्यवस्था और प्रवेश को लेकर गड़बड़ी हुई। जो कि प्रशासकीय दायित्वों के प्रति आपकी लापरवाही प्रदर्शित करता है। इसलिए 3 दिन के अंदर कलेक्टर के सामने हाजिर होकर अपना जवाब प्रस्तुत करें, वर्ना यथोचित कार्यवाही की जाएगी ।