नेपाल की बड़ी जेलब्रीक के बाद बिहार में सीमा सुरक्षा कड़ी, ड्रोन निगरानी तेज

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नेपाल की बड़ी जेलब्रीक के बाद बिहार में सीमा सुरक्षा कड़ी, ड्रोन निगरानी तेज

Nepal: नेपाल में जारी हिंसा के बीच देश के 18 जेलों से करीब 7,500 कैदियों के फरार होने की घटना सामने आई है। इनमें से छह हजार से अधिक कैदी विभिन्न जेलों से भाग निकले हैं, जिससे नेपाल और भारत दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। महत्त्वपूर्ण यह है कि फरार कैदियों में से कई सीमा पार कर भारत खासकर बिहार में घुसने की कोशिश में लगे थे।

बिहार में गृह मंत्रालय ने तुरंत उच्च सतर्कता जारी करते हुए नेपाल के सीमावर्ती सात जिलों- पश्चिम चंपारण, पूर्व चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, सुपौल और किशनगंज में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सीमा सुरक्षा बल और पुलिस बल की संयुक्त तैनाती बढ़ाई गई है। सीमावर्ती मार्गों पर ड्रोन कैमरों से चौकसी रखी जा रही है ताकि संदिग्धों की हर हरकत पर नजर रखी जा सके।

सीमा सुरक्षा बल ने सीमा के कई स्थानों से फरार कैदियों को पकड़ कर स्थानीय पुलिस के हवाले किया है। इनमें बिहार के भी दो कैदी शामिल हैं, जिन्हें नेपाल के जलेश्वर जेल से फरार होने के बाद सीमा पार करते हुए पकड़ा गया। संबंधित थानों ने इन कैदियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

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नेपाल में राजनीतिक अशांति और बेरोजगारी के बीच हुई इस जेलब्रीक ने दोनों देशों की सीमाओं पर सुरक्षा जोखिम बढ़ा दिया है। साथ ही, बिहार सरकार ने भी इंडो-नेपाल मैत्री बस सेवा को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है ताकि बिना आवश्यक कारण के आवागमन न हो सके।

उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में भी सीमा जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। इन राज्यों के पुलिस अधीक्षक और DGP ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों को “हाई अलर्ट” मोड पर रखा गया है और संयुक्त गश्त जारी है।

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गृह मंत्रालय के निर्देश पर SSB, स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार संपर्क में रहकर नेपाल की सुरक्षा एजेंसाओं के सहयोग से घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। स्थिति नियंत्रण में लाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी संसाधन सक्रिय हैं।

नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में प्रतिबंध और कर्फ्यू लागू हैं, क्योंकि हिंसक प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शनों के कारण सुरक्षा की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सीमा पार संकट का प्रभाव सीधे भारत की सुरक्षा में बाधा डाल सकता है, इसलिए उच्च सतर्कता, संयुक्त कार्रवाई और संयुक्त निगरानी आवश्यक है।