गुजरात नतीजों के बाद- मप्र में माफी मांगने और रायता समेटने का समय…

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गुजरात नतीजों के बाद- मप्र में माफी मांगने और रायता समेटने का समय…

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड तोड़ जीत से मध्य प्रदेश के भाजपा नेता जितने खुश हैं उतने डरे हुए भी हैं। जैसे कुछ बच्चे हॉरर मूवी खुश होकर देखते भी हैं और डर के मारे चीखते चिल्लाते भी हैं। गुजरात के परिणाम आनेवाले दिनों में बहुत से नेताओं के लिए हॉरर शो के नतीजे देने वाले हो सकते हैं। इस बीच प्रदेश में भाजपा के लिए एक संयोग से सुखद समारोह भी हो गया। मौका था दमोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया के 75 वी सालगिरह पर आयोजित अमृत महोत्सव का। इस कार्यक्रम में आने वाले चुनावी साल में क्या क्या होगा ? वह सब कुछ था। गलतियों में सुधार, माफी मांगने के साथ जो राजनीतिक रायता फैल रहा है उसे समेटने का शानदार शो।

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इसमे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का यह कहना कि जयंत मलैया जी के बिना दमोह अधूरा है। समारोह उनके रिटायरमेंट का नहीं है बल्कि मलैया जी को आगे बहुत काम करना है। चुनाव की दृष्टि से यह संकेत है कि जिस दमोह में भाजपा 17000 से अधिक वोटों से उपचुनाव हार गई थी वहां आने वाले दिनों में मलैया परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। बात यहीं नहीं रुकती पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जो भाषण दिया उसने तो दिल ही जीत लिया। उन्होंने दमोह उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद जयंत मलैया को पार्टी द्वारा किए गए नोटिस पर जो रहस्य उजागर किया उसने तो राजनीतिक समीकरण बदल दिए। भाजपा में ऐसा पहली बार हुआ कि पार्टी महासचिव ने सबके सामने हाथ जोड़कर कहा जयंत जी को जो नोटिस दिया गया था तब मेरा दिल भीतर से दुखा और इसके लिए पार्टी की तरफ से मैं माफी मांगता हूं।

गलतियां सबसे होती है। पार्टी से भी हुई। उन्होंने कहा जब मलैया जी को नोटिस दिया तो इस पर मैंने राज्य से लेकर दिल्ली तक शिकायत की और दुख व्यक्त कर कहा था यह अच्छा नहीं हुआ। मलैया जी को नोटिस देना पार्टी की भूल थी। अमृत महोत्सव का अवसर गलतियां सुधारने, माफी मांगने और रायता समेटने का आरम्भ माना जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल की उपस्थिति ने बता दिया कि युवा मोर्चा की टीम में ये सब नेता कभी एक ही सिक्के के दो पहलू हुआ करते थे।

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आज भी मुश्किल दिखने वाले वक्त में डैमेज कंट्रोल के लिए उनके बीच पुराने तालमेल का यह मेगा शो जैसा रहा है। बहुत सम्भव है आने वाले दिनों में पार्टी से निष्कासित किए गए नेता प्रीतम लोधी का विवाद भी सुलझा लिया जाए। नेताओं को पता है कि पार्टी अगड़े – पिछड़े, छोटे- बड़े, बूढ़े और युवाओं को साथ लेकर यहां तक आई है। सीएम शिवराज सरकार के स्तर पर पहले से ही सक्रिय नजर आ रहे हैं अब वे अहंकार त्याग संगठन के साथ उन नेता और कार्यकर्ताओं के लिए भी एक उम्मीद के रूप में आगे आ रहे हैं जो उम्रदराज होने के कारण हाशिए पर डाल दिए गए हैं।

प्रदेश में गुजरात मॉडल के खतरे…

मध्यप्रदेश में खतरों को जाने बिना गुजरात मॉडल लागू करने की बात हो रही है। लेकिन उन भोले- भाले नेताओं को नहीं पता “गुजरात मॉडल” उनकी सियासत पर भी फुल स्टाप लग सकता है। गुजरात मॉडल फार्मूले का मतलब है पूरे घर के बदल डालेंगे। इसे समझने के लिए पाकिस्तान के हास्य कलाकार उमर शरीफ केक डायलॉग को याद करना मौजू रहेगा। पाकिस्तान में उमर शरीफ कहते थे जो लोग इस्लाम को लागू करने की बात करते हैं उन्हें नहीं पता इसमें खून के बदले खून और चोरी के बदले हाथ काट दिए जाते हैं। पाक में इस्लाम लागू हो गया तो आधा पाकिस्तान ठूँठा हो जाएगा। हालांकि गुजरात मॉडल हिमाचल प्रदेश में सफल नहीं हो पाया इसलिए जरूरी नहीं कि मध्य प्रदेश में इसे को लागू किया जाए। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जानता है कि मध्य प्रदेश अलग तासीर का राज्य है यहां पुराने नेताओं की उपेक्षा दिल्ली नगर निगम में हार दिला सकती है तो विधानसभा चुनाव में भी इसके परिणाम नेगेटिव हो सकते हैं इसलिए नेतृत्व फूंक कर कदम रखेगा। मध्य प्रदेश की सियासत थोड़ी अलग है। गुजरात फार्मूला खतरों के खिलाड़ियों वाले खेल की तरह हो सकता है। जिसमे खिलाने वाले को तो आनंद आता है लेकिन खेलने वालों की जान पर बन आती है।

आप के आने से भाजपा फायदे रहेगी
गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी के सक्रिय होने से भाजपा नेतृत्व को राहत है। भाजपा नेताओं का मानना है कि आप कांग्रेस के ही वोट काटेगी। इससे भाजपा की जीत का अंतर बढ़ेगा और सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त होगा। पहले भी बसपा सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की चुनाव में उपस्थिति भाजपा के लिए लाभकारी सिद्ध होती रही है।