
सत्ता-संगठन की समन्वय टोली की बैठक के बाद राजनीतिक नियुक्तियों के कयास हुए तेज
भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासी नियुक्तियों को लेकर हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। गुरुवार देर रात मुख्यमंत्री निवास में हुई समन्वय टोली की बैठक ने इस अटकल को और मजबूत कर दिया है कि सरकार जल्द ही निगम-मंडलों और आयोगों में लंबित राजनीतिक नियुक्तियों की बड़ी सूची जारी करने जा रही है। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, श्रेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह मौजूद थे, जिन्होंने न केवल प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की, बल्कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उपयुक्त जगह देने की रणनीति पर भी विस्तार से बात की।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में लंबे समय से टल रही राजनीतिक नियुक्तियों को अंतिम रूप देने को लेकर विस्तृत विमर्श हुआ। संगठन के सक्रिय नेताओं, चुनावी प्रबंधन में अहम भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों और पूर्व जनप्रतिनिधियों को प्राथमिकता देने पर सहमति बनी है। पार्टी के अंदर यह दबाव भी बढ़ रहा था कि विधानसभा चुनाव के लगभग दो वर्ष बाद भी कई निगम-मंडल और आयोग खाली पड़े हैं, उनमें नियुक्तियां जल्द की जाए।
बैठक में एक महत्वपूर्ण बात और सामने आई कि राजनीतिक नियुक्तियों में 1 व्यक्ति, 1 पद के सिद्धांत को प्रभावी रूप से लागू करने पर सहमति बनी है। इसका मतलब है कि जिन नेताओं के पास पहले से दायित्व हैं, उन्हें निगम-मंडल, आयोगों में दायित्व नहीं दिए जाएंगे। इस फैसले को संगठनात्मक अनुशासन और संतुलन बनाए रखने के बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
बीएस संतोष से भी मिल चुकी सहमति
इससे पहले चार दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का भोपाल दौरा भी इन नियुक्तियों की कड़ी से जुड़ा माना जा रहा है। बीएल संतोष ने मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से संभावित नामों और संगठन की प्राथमिकता वाली सूची पर विस्तृत चर्चा की थी। उनके फीडबैक के बाद ही समन्वय टोली की बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई।
*कई अफसर नहीं सुन रहे मंत्रियों की*
सूत्रों की मानी जाए तो विभिन्न मुद्दों के साथ ही इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कुछ अफसर ऐसे हैं जो अपने विभाग के मंत्रियों की ही नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में मंत्रियों को काम करने में परेशानी आती है। विभाग के काम-काज भी प्रभावित होते हैं। यह बात सामने आने के बाद यह माना जा रहा है कि एसीएस और पीएस एवं सचिव स्तर के कुछ अफसरों के तबादल हो सकत हैं। इसमें वे अफसर ज्यादा प्रभावित होंगे जिनका मंत्रियों से तालमेल बेहतर नहीं है।





