AG is Investigating: सहकारी संस्थाओं, निगमों में शेयर कैपिटल, ऋण अग्रिम के रुप में कितना निवेश किया, कितने निगम घाटे में, कारण क्या?
भोपाल: मध्यप्रदेश के कितने निगम- मंडल घाटे में चल रहे है और इनके घाटे में चलने के क्या कारण है। साथ ही प्रदेश के कितने निगमों और सहकारी संस्थाओं में सरकारी महकमों ने शेयर कैपिटल और ऋण अग्रिम के रुप में राशि निवेश कर रखी है इसका पूरा ब्यौरा प्रधान महालेखाकार ने वित्त विभाग से तलब किया है। वहीं प्रदेश के कितने निगम घाटे में चल रहे है और इसका कारण क्या है यह जानकारी भी AG ने मांगी है।
प्रदेश के कई निगम और सहकारी संस्थाएं लंबे समय से हानि में चल रहे है। इनको घाटे से उबारने की राज्य सरकार की क्या योजना है इसकी कोई जानकारी लंबे समय से महालेखाकार को नहीं दी जा रही है।
अब प्रधान महालेखाकार कार्यालय ने वित्त विभाग से पूछा है कि प्रदेश के कितने निगम हानि में चल रहे है मार्च अंत तक उनकी कितनी हानि है उसका पूरा ब्यौरा और यह हानि क्यों हुई है इसके कारण भी उन्हें बताए जाए। इसी तरह यदि मध्यप्रदेश शासन द्वारा निवेशित की गई राशियों का छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के फलस्वरुप बटवारा किया गया हो तो उसका पूरा ब्यौरा भी मांगा गया है।
महालेखाकार के निर्देश पर वित्त विभाग ने सभी सरकारी महकमों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सयचिव और संबंधित विभागाध्यक्ष कार्यालयों के बजट नियंत्रण अधिकारियों से यह जानकारी मांगी है। प्रदेश सरकार के विभिन्न सरकारी महकमों ने शेयर कैपिटल और ऋण अग्रिम के रुप में वर्ष 2023-24 में निगमों और सहकारी संस्थाओं में कितनी राशि निवेश कर रखी है य ह जानकारी मांगी है। इस दौरान कितनी राशि निवेश की, शेयरों और डिवेंचरों की संख्या और कैपिटल तथा डिवेंचरों के भुगतान के योग सरकारी निवेश का प्रतिशत कितना है ,यह भी विभागों को बताना होगा। शेयर की श्रेणी क्या है। प्रत्येक नवीन शेयर, डिवेंचर की फेस वेल्यू कितनी है और वर्ष 23-24 के अंत तक कितनी राशि निवेश की गई है इसका ब्यौरा देना है।
घोषित डिविडेंड की राशि और उस पर प्राप्त किया गया ब्याज और वर्ष के दौरान सरकार को किया गया क्रेडिट वर्ष जिससे संबंधित हो यह जानकारी भी देना है।
यदि मध्यप्रदेश शासन द्वारा पूर्ण निवेश को निकालकर पुन: नवीन निवेश के रुप में राशि निवेशित की हो तो उसका ब्यौरा भी मांगा गया है। किसी विभाग की संस्था के अतिरिक्त में आने की तिथि से मौजूदा वर्ष तक वर्षवार निवेशित राशि का पूरा ब्यौरा और 31 मार्च 2023 की स्थिति में लेखा परीक्षित लेखा की प्रति भी मांगी गई है। सभी सांविधिक निगम और सरकारी कंपनियों की सूची भी मांगी गई है। यह सारी जानकारी राज्य वित्त लेखा वर्ष 2023-24 के लिए मांगी गई है। सारी जानकारी आने के बाद महालेखाकार कार्यालय वित्त विभाग को बताएगा कि किस तरह सुरक्षित निवेश किया जाए और निगमों को घाटे से उबारने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।