
Jagannath Puri: सोशल मीडिया पर बच्चे के ठीक होने का दावा
क्या सचमुच हुआ चमत्कार..?
वायरल कहानी का फैक्ट चेक
पुरी: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा दावा तेज़ी से फैल रहा है जिसने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। मैसेज में कहा जा रहा है कि ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में एक पिता अपने कोमा में पड़े बेटे को लेकर पहुंचा और भगवान के चरणामृत के स्पर्श से बच्चा पलभर में ठीक हो गया। यह दावा इतना सनसनीखेज है कि कई लोग इसे चमत्कार कह रहे हैं, जबकि कई इसे सोशल मीडिया की एक और भ्रामक कहानी मान रहे हैं। इस पूरे मामले की पड़ताल करने पर कई अहम तथ्य सामने आए हैं जो तस्वीर को साफ करते हैं।
▪️दावा क्या है
▫️वायरल संदेश के अनुसार एक पिता अपने बेटे को अस्पताल से सीधे पुरी मंदिर लाया। दावा किया गया है कि बच्चा दस दिनों से आईसीयू में था और डॉक्टर्स ने कह दिया था कि वह अब कभी ठीक नहीं होगा। सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा गया है कि मंदिर में पुजारी ने चरणामृत छिड़का और कुछ ही मिनटों में बच्चे ने सिर हिला दिया, आंखें खोल लीं और पिता को पुकारा। कई यूजर्स इसे रियल लाइफ चमत्कार बताते हुए शेयर कर रहे हैं।

▪️जमीनी स्थिति की जांच क्या कहती है
▫️पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन से जुड़े एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि ऐसी किसी घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं है। मंदिर परिसर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और किसी भी गंभीर चिकित्सकीय परिस्थिति की सूचना पर सुरक्षा दल तुरंत कार्रवाई करता है। प्रशासन के अनुसार हाल के दिनों में ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं की गई है। स्थानीय पत्रकारों से भी संपर्क किया गया जिन्होंने साफ कहा कि पुरी या आसपास के किसी भी अस्पताल से ऐसी घटना की पुष्टि नहीं हो सकी है। किसी भी पिता द्वारा कोमा में एक बच्चे को मंदिर में लाने, पुजारी द्वारा चरणामृत देने और फिर बच्चे के ठीक होने की कोई आधिकारिक रिपोर्ट फाइल नहीं हुई है।
▪️सोशल मीडिया पर पुरानी और संदिग्ध सामग्री का इस्तेमाल
▫️पड़ताल में यह भी सामने आया कि कई वायरल पोस्ट में जो वीडियो लगाए गए हैं, वे अलग-अलग वर्षों की अनसंबंधित घटनाओं के क्लिप हैं। कुछ वीडियो दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों के बताए जा रहे हैं, जबकि कुछ किसी निजी आयोजन के हैं। इनका पुरी मंदिर या हालिया सप्ताह से कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं हो पाता।
▪️मेडिकल विशेषज्ञ क्या कहते हैं
▫️विशेषज्ञों के अनुसार कोमा एक जटिल चिकित्सकीय अवस्था होती है और किसी भी रोगी का अचानक जाग जाना या सक्रिय हो जाना एक सामान्य चिकित्सकीय प्रक्रिया में संभव है, लेकिन यह चमत्कार श्रेणी में नहीं आता। डॉक्टरों के अनुसार किसी भी मेडिकल केस की पुष्टि अस्पताल की रिपोर्ट से ही होती है। इस दावे में ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया।
▪️नतीजा क्या निकला
▫️जांच में यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल संदेश में किया गया बड़ा दावा अभी तक किसी भी आधिकारिक, चिकित्सकीय या प्रशासनिक पुष्ट स्रोत से सत्यापित नहीं होता। वायरल कहानी भावनात्मक है लेकिन तथ्य स्तर पर अधूरी है। इसलिए इसे प्रमाणित घटना नहीं कहा जा सकता।





