Agencies’ offer to BJP leaders:क्या भाजपा संगठन में सदस्य एजेंसीज बनवा रहीं हैं ?

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BJP Leaders not Happy

Agencies’ offer to BJP leaders:क्या भाजपा संगठन में सदस्य एजेंसीज बनवा रहीं हैं ?

रंजन श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट 

क्या प्राइवेट एजेंसीज भी भारतीय जनता पार्टी में सदस्य बनाने का काम कर रही हैं और क्या ऐसे लोग भी सक्रिय हैं जो पैसे लेकर नए सदस्य बनवा रहे हैं?

यह सवाल उठा है भाजपा के वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई के वक्तव्य से तथा इंदौर में एक भाजपा नेता द्वारा पुलिस में लिखाई गयी एक रिपोर्ट से। विश्नोई ने कहा है कि एक एजेंसी ने उनको फ़ोन करके उनके मेम्बरशिप अकाउंट से सदस्य बनवाने का ठेका माँगा। पर विश्नोई की बात सिर्फ एजेंसी तक सीमित नहीं है। उन्होंने कुछ और भी गंभीर बात पार्टी के बारे में की है।

सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में अजय विश्नोई का वक्तव्य हूबहू ये है : “भाजपा के सदस्य बनवाने हैं तो पैसा खर्च कीजिये। आज मेरे फोन पर फोन नंबर +917880298199 से फोन आया। ये एक एजेंसी का फोन था जो मेरे अकाउंट से भाजपा के सदस्य बनाने का ठेका मांग रहा था। जाहिर है ऐसी और भी एजेंसी होंगी जिनकी सेवाएं लेकर गणेश परिक्रमा करने वाले आधारहीन नेता संगठन की नजर में बड़े बनने की कोशिश में लगे होंगे। मैंने पहले भी कुछ लोग विज्ञापन छपवा कर, नेताओं के सम्मान, स्वागत और घर भीतर अपनी सेवाएं देकर नेता बनते देखा है। इस बार यह नया ट्रेंड देखने में आ रहा है। जहां पैसा खर्च करके अपने अकाउंट से बनने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ाकर लोग बड़ा नेता बनने में लगे है। इस गिरावट पर हम पुराने कार्यकर्ता अफसोस करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।”

हो सकता है भाजपा के अंदर और बाहर विश्नोई के विरोधी उनके वक्तव्य को सरकार में उनके मंत्री नहीं बन पाने के पीड़ा के रूप में परिभाषित करें, पर विश्नोई के वक्तव्य की अनदेखी वर्तमान सन्दर्भों में करना कठिन है। कारण ये है कि पार्टी के सदस्यता अभियान को जिस तरीके से चलाया जा रहा है उससे लगता है कि पार्टी नेतृत्व को सिर्फ सदस्यों के संख्या से मतलब है और जैसे मध्य प्रदेश इकाई का नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में लिखाना है नहीं तो पार्टी के समक्ष एक गंभीर संकट खड़ा हो जायेगा।

सदस्यता अभियान पहले भी चलते थे और तब भी मोबाइल फ़ोन के जरिये लोगों को सदस्य बनाना कोई नई बात नहीं थी पर जिस तरीके से सदस्य बनाने की होड़ लगी है वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। ऐसा लगता है कि किसी को भी पकड़ो और उसे सदस्य बनाकर अपना टारगेट पूरा करो। ऐसे कई उदहारण हैं। चूँकि लगता है कि भाजपा संगठन अब एक कॉर्पोरेट कल्चर को अपना चुका है, अतः सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को टारगेट भी कॉर्पोरेट कल्चर के हिसाब से दिया जा रहा है। इसका परिणाम है कि लोगों में कैसे भी हो अपना टारगेट पूरा करने की होड़।

अजय विश्नोई का सदस्यता को लेकर जो वक्तव्य आया है वह ऐसे समय आया है जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने दावा किया है कि सदस्यता अभियान के दौरान सदस्यों की संख्या डेढ़ करोड़ से ऊपर पहुँच चुकी है। ऐसा नहीं कि सदस्यता को लेकर जो आरोप लग रहे रहे हैं उसमें विश्नोई अकेले हैं। दो दिन पहले ही इंदौर में भाजपा की शहर इकाई के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक निमेष पाठक ने पुलिस को एक रिपोर्ट दर्ज कराई है जिसके अनुसार उनसे पैसे मांगकर भाजपा के एक लाख नए सदस्य बनवाने की पेशकश की गई। रोचक तथ्य यह है कि जिस व्यक्ति ने पाठक को फ़ोन किया उसने स्वयं को भाजपा का कार्यकर्ता बताया और बताया कि 5 रूपये प्रति सदस्य के हिसाब से वह एक लाख तक सदस्य बनवा सकता है। इसके अतिरिक्त, भोपाल में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरों को बुलाया गया तथा उनसे कहा गया कि सभी भाजपा के सदस्य बन जाएँ। अपने ठेकेदार की बात का विरोध कौन करता? भाजपा के कुछ पुराने नेताओं में सदस्यता अभियान को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।

वैसे यह कहना अतिश्योक्ति होगी कि सभी नए सदस्य इसी तरह बन रहे हैं। पर अगर कुछ प्रतिशत सदस्य भी इन तरीकों से बन रहे हैं तो भी पार्टी के सदस्यता अभियान की प्रक्रिया और उसकी शुचिता पर सवाल खड़े होते हैं। पहले पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच आत्मीय सम्बन्ध हुआ करता था और दोनों में पार्टी के विचारधारा के प्रति एक गहरी निष्ठा थी। ये सम्बन्ध और निष्ठा पार्टी के सदस्यता अभियानों में परिलक्षित होती थी। परिणामस्वरूप जो भी नए लोग पार्टी से जुड़ते थे वे भाजपा परिवार के एक सदस्य के रूप में जुड़ते थे जिनका सम्बन्ध पार्टी से स्थायी होता था। सदस्यता अभियान को फ़ास्ट फ़ूड कल्चर या दो मिनट में नूडल्स बनाने की तरह चलाने का परिणाम ये होगा कि पार्टी के रजिस्टर पर सदस्यों की संख्या तो दिखेगी पर ऐसे लोगों की संख्या नगण्य होगी जो पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए तथा पार्टी को मजबूत बनाने के लिए तन ,मन और धन हर तरह से सक्रिय रहते हैं।