Ahmedabad Plane Crash: आखिरी उड़ान – पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के 8-10 शब्दों के अंतिम 3 संदेश और साहस की मिसाल

उनका आखिरी संदेश हर दिल को झकझोर देने वाली इंसानी पुकार थी- जो हमेशा याद रखी जाएगी

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Ahmedabad Plane Crash: आखिरी उड़ान – पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के 8-10 शब्दों के अंतिम 3 संदेश और साहस की मिसाल

 

रुचि बागड़देव की खास रिपोर्ट

 

अहमदाबाद: रात के सन्नाटे में एक बूढ़ा पिता अपने बेटे की वर्दी को टकटकी लगाए देख रहा है, जिस बेटे ने वादा किया था कि रिटायरमेंट के बाद हर सुबह उसकी चाय खुद बनाएगा। लेकिन किस्मत को शायद यह मंजूर नहीं था…

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12 जून 2025, भारतीय एविएशन के इतिहास का सबसे दर्दनाक दिन। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी। 241 मुसाफिरों और क्रू मेंबर्स के साथ इस विमान के पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल थे- एक ऐसा बेटा, जो अपने 90 साल के पिता का अकेला सहारा था, और रिटायरमेंट के बाद सिर्फ उनके साथ वक्त बिताने का सपना देख रहा था।

टेक-ऑफ के कुछ ही मिनट बाद दोनों इंजन अचानक फेल हो गए। उस पल में, पायलट सुमित सभरवाल ने घबराने की बजाय ATC को लगातार तीन संदेश भेजे-

1. “मेडे… मेडे…”

इंटरनेशनल इमरजेंसी कॉल—पायलट ने बताया कि हालात काबू से बाहर हैं और तुरंत मदद चाहिए।

2. “नो पावर, नो थ्रस्ट…” दोनों इंजन पूरी तरह फेल- अब विमान में कोई ताकत नहीं बची, कंट्रोल का कोई विकल्प नहीं था।

3. “गोइंग डाउन… नहीं बचेंगे…”

पायलट ने साफ स्वीकार किया कि विमान गिर रहा है और बचने की उम्मीद नहीं, यह बेबसी, ईमानदारी और जिम्मेदारी का संदेश था। इन शब्दों में सिर्फ तकनीकी हालात नहीं, बल्कि एक अनुभवी पायलट की इंसानियत, ईमानदारी और आखिरी पल तक दूसरों की जान बचाने की कोशिश छुपी थी। उन्होंने आखिरी सेकंड तक कोशिश की कि विमान आबादी से दूर, हॉस्पिटल के खाली हिस्से में उतरे, ताकि और जानें न जाएं।

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इस हादसे में 274 लोगों की जान गई, लेकिन सैकड़ों जिंदगियां पायलट की सूझबूझ से बच भी गईं। कैप्टन सभरवाल की कहानी बताती है- हीरो वही है, जो आखिरी सांस तक फर्ज और इंसानियत निभाता है। उनका आखिरी संदेश सिर्फ एक टेक्निकल रिपोर्ट नहीं, बल्कि हर दिल को झकझोर देने वाली इंसानी पुकार है- जो हमेशा याद रखी जाएगी।