Ajit Pawar Did Not Go to Sangh Temple : संघ के स्मृति मंदिर नहीं आने से अजित पवार की आलोचना!
Mumbai : स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर के रेशीमबाग स्थित स्मृति मंदिर नहीं आने से बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने एनसीपी (एपी) के प्रमुख अजित पवार की आलोचना की है। बीजेपी की नेता चित्रा वाघ ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि अजित पवार को अपनी पार्टी के विधायकों के साथ आना चाहिए था। उन्होंने पवार को याद दिलाते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में संघ ने महायुति के लिए काम किया है न कि सिर्फ बीजेपी या शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए। इसका लाभ बीजेपी सहित शिंदे सेना और एनसीपी (एपी) को भी मिला है। शिंदे सेना के मंत्री गुलाबराव पाटिल ने भी सवालिया लहजे में कहा कि पवार को यहां आने से क्यों परहेज है। जबकि, चुनाव में संघ ने जिस तरह से काम किया और अपनी भूमिका निभाई उसका फायदा महायुति को हुआ। हालांकि, पवार भले ही नहीं आए लेकिन उनकी पार्टी के दो विधायक राजू कारेमोरे और राजकुमार बडोले यहां उपस्थित थे। इन दोनों की उपस्थिति को संघ के मुद्दे पर अजित गुट में फूट के रूप में देखा जा रहा है।
कारेमोरे (तुमसर विधानसभा) और बडोले (अर्जुनी मोरगाव विधानसभा) दोनों विदर्भ क्षेत्र के विधायक हैं। बडोले पहले बीजेपी में थे। इस बार अजित गुट में शामिल होकर चुनाव जीते है। उनके डीएनए में बीजेपी और संघ है। लेकिन कारेमोरे ने अपनी सफाई में कहा कि स्मृति मंदिर जाना नहीं है, ऐसी कोई सूचना पार्टी की ओर से नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इस बाबत पवार से चर्चा की जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले भी नागपुर में ‘लाडकी बहीण योजना’ को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस कार्यक्रम के बाद संघ की ओर से देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को स्मृति मंदिर आमंत्रित किया गया। फडणवीस और शिंदे ने तो संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन पवार ने संघ परिसर में प्रवेश करने के बजाए बाहर ही कार में बैठे रहे। उस समय पवार ने स्पष्ट किया था कि वह और उनकी पार्टी संघ के मनुवादी विचारों को नहीं मानते हैं। इसलिए संघ परिसर में जाने से उनके समर्थकों में गलत संदेश जाएगा। इस बार भी पवार ने शायद उसी भावना से संघ से दूरी बनाई है।
इधर अपने विधायकों और मंत्रियों के साथ स्मृति मंदिर आने वाले शिंदे ने खुद के बारे में कहा कि वह पहले संघ के स्वयंसेवक थे बाद में शिवसेना की शाखा में गए। उन्होंने यह भी कहा कि संघ और बाला साहेब ठाकरे और आनंद दिघे के हिंदुत्व की विचारधारा समान हैं। उन्होंने कहा कि संघ परिवार जोड़ता है बांटता नहीं है।
हिंदुत्व को लेकर शिंदे के इस बयान पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राऊत ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा अलग-अलग है। बाला साहेब का हिंदुत्ववाद प्रखर राष्ट्रवाद है। राऊत ने कहा कि शिंदे को अपनी सेना के साथ बीजेपी में समाहित कर लेना चाहिए। शिंदे खुद को संघ का स्वयंसेवक कहते हैं तो वह शिवसैनिक कैसे हो सकते हैं।
संघ के आमंत्रण पर महायुति के तीनों घटक दल के विधायकों और मंत्रियों का क्लास महर्षि व्यास सभागार में लिया गया। विदर्भ प्रांत के सह संघचालक श्रीधर गाडगे ने संघ की कार्य पद्धति के बारे में विस्तार से बताया। इस समय संघ का शताब्दी वर्ष चल रहा है और अगले साल सौवें वर्ष का जश्न मनाया जाएगा। गाडगे ने विधायकों और मंत्रियों से आयोजित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होने को कहा। सूत्रों का कहना है कि संघ की सौवें वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों में महायुति सरकार की भागीदारी होगी।