
Akhil Bharatiya Grahak Panchayat ने जीएसटी दर में कीमत संशोधन के बाद भी नमकीन निर्माता, विक्रेता द्वारा कीमत कम नहीं की इस पर विक्रेता संघ को सौंपा पत्र!
Ratlam : केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में कटौती के बाद भी रतलामी नमकीन के दाम नहीं घटाने पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को नमकीन निर्माता एवं विक्रेता संघ के प्रतिनिधि एवं भाजपा नेता मनोहर पोरवाल से मुलाकात करते हुए उन्हें एक पत्र सौंपा जिसमें नमकीन निर्माण में उपयोग होने वाली वस्तुओं के कोड और जीएसटी की दर बताते हुए नमकीन की कीमत कम करवाने के लिए कहा।

प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के मालवा प्रांत के उपाध्यक्ष अनुराग लोखंडे, महेंद्र भंडारी, श्याम ललवानी, सत्येंद्र जोशी, कमलेश मोदी, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला आदि मौजूद रहें। इस दौरान प्रांत उपाध्यक्ष लोखंडे ने पोरवाल से कहा कि नमकीन निर्माण में उपयोग होने वाली सभी वस्तुओं पर 22 सितंबर से सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी ही लागू है जो पहले 12 से 18 फीसदी तक था। इसके बावजूद नमकीन की कीमत कम नहीं होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की मंशा अनुरूप ग्राहकों को राहत नहीं मिल पा रही है। भाजपा नेता पोरवाल ने बताया कि रतलाम में नमकीन व्यवसायियों का कोई एसोसिएशन नहीं है फिर वे सभी व्यवसायियों से चर्चा कर ग्राहकों को राहत दिलाने की दिशा में प्रयास करेंगे। पोरवाल ने नमकीन व्यवसायियों की परेशानियों से भी अवगत कराया उन्होंने कहा कि रतलामी सेव के नाम पर बाहर के उत्पादक और ब्रांड मुनाफा कमा रहें हैं। इस पर लोखंडे ने आश्वस्त किया कि ग्राहक पंचायत द्वारा आम ग्राहकों के साथ ही व्यवसायियों की परेशानी को भी उचित मंच पर उठाया जाएगा क्योंकि व्यवसायी भी ग्राहक ही हैं।
चर्चा के दौरान लोखंडे ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर रतलामी सेव के नाम पर बाहरी व्यक्ति को नमकीन बेचने का ठेका दे दिया गया। उसके द्वारा बेचे जाने वाले नमकीन की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होने से जहां ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है वहीं रतलाम का नाम भी खराब हो रहा है। अतः ग्राहक पंचायत द्वारा डीआरएम से मुलाकात कर रेलवे स्टेशन पर नमकीन की बिक्री के लिए स्थानीय नमकीन व्यवसायी को ही अधिकृत करने की मांग की जाएगी क्योंकि रतलाम को रतलामी सेव बनाने के लिए जीआई टैग भी हासिल हो चुका है।
बता दें, रतलाम में सेव की कीमतों में काफी अंतर है। कहीं 140 रुपए प्रति किलो तो कहीं 280 से 300 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है। गुणवत्ता की बात करें तो कुछ ही व्यवसायी ऐसे हैं जिनके उत्पाद की गुणवत्ता आज भी कायम है वहीं ज्यादातर तिवड़े का बेसन, पॉम ऑइल, राइडा तथा अन्य मिलावटी तेल का उपयोग होता है। जो पर्याप्त मसालों से भी वंचित हैं।इसे लेकर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने विशेषज्ञों से चर्चा कर इसकी निर्माण लागत की जानकारी भी निकाली जिसके अनुसार अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाली 1 किलोग्राम सेव बनाने पर अधिकतम 220 से 225 रुपए तक लागत आती है। इसके उलट कम गुणवत्ता वाली सेव 120 रुपए प्रति किलो तक भी बन जाती है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से घातक है। गुणवत्ता और कीमतों में इस अंतर के चलते ही GI teg हासिल होने के बाद भी यहां के व्यवसायी रतलाम नमकीन के नाम पर मुनाफा कमाने वाले व्यापारियों का सामना नहीं कर पा रहें हैं!





