CM के दौरे से पहले ALIRAJPUR की VIP रोड उजड़ी: सफाई के नाम पर पेड़ों की बलि, सामाजिक संगठनों में आक्रोश

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CM के दौरे से पहले ALIRAJPUR की VIP रोड उजड़ी: सफाई के नाम पर पेड़ों की बलि, सामाजिक संगठनों में आक्रोश

राजेश जयंत की रिपोर्ट 

ALIRAJPUR: जिला मुख्यालय अलीराजपुर में 15 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आगमन की तैयारियों के बीच प्रशासन द्वारा सफाई और सौंदर्यीकरण के नाम पर हरियाली उजाड़ दी गई। जिला बनने के बाद जिस VIP रोड को पहली बार प्रशासनिक गौरव के रूप में विकसित किया गया था, वहीं अब बुलडोजर की मार से उसकी हरियाली खत्म कर दी गई है। पर्यावरण प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार इस कार्रवाई को “हरियाली के विरुद्ध अपराध” बता रहे हैं।

जनजातीय बहुल अलीराजपुर जिले में कलेक्टर कार्यालय (तत्कालीन) से होकर गुजरने वाली VIP रोड कभी जिले की पहचान मानी जाती थी। यह सड़क वर्ष 2008 में जिले के गठन के बाद प्रथम कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर द्वारा विकसित की गई थी। बोरकर ने इस क्षेत्र को प्रशासनिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में सुसज्जित करने की योजना बनाई थी। तब स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के अथक प्रयासों से सड़क किनारे लगभग 1000 मीटर क्षेत्र में पौधारोपण कर हरियाली लाई गई थी।

परंतु अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रस्तावित आगमन और मूर्ति अनावरण कार्यक्रम से पहले इसी मार्ग की “सफाई” के नाम पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिए। बताया गया कि सड़क के दोनों ओर लगे पेड़ जेसीबी से उखाड़ दिए गए। ये पेड़ 15 वर्ष पुराने थे और स्थानीय संस्था “पर्यावरण सहयोग” तथा जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से लगाए गए थे।

पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ये पेड़ पौधे सड़क से पर्याप्त दूरी पर जाली के भीतर सुरक्षित थे और VIP मूवमेंट में किसी प्रकार की बाधा नहीं थे। बावजूद “सौंदर्यीकरण” के बहाने इन पेड़ों को समाप्त कर दिया गया। खरपतवार को साफ करके भी जो काम किया जा सकता है वह पेड़ों की बली लेकर किया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता दीपक दीक्षित ने मंगलवार को जनसुनवाई में इस मुद्दे को उठाते हुए पुनः हरियाली बहाल करने की मांग की है। वहीं पत्रकार और पर्यावरण प्रेमी आशुतोष पंचोली तथा आशीष अगाल ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने पुनः पौधारोपण कर हरीतिमा नहीं लौटाई तो मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान पत्रकार और सामाजिक संगठन ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराएंगे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि “सौंदर्यीकरण” के नाम पर वर्षों की मेहनत मिट्टी में मिल गई। उन्होंने मांग की है कि उखाड़े गए पेड़ों के स्थान पर दोबारा पौधे लगाए जाएं, क्षतिग्रस्त जालियों को नई जालियों से बदला जाए और इस क्षेत्र को फिर से हरा-भरा बनाया जाए ताकि अतिक्रमण भी न हो और जिले की हरियाली पहचान कायम रह सके।

और अंत में….

“प्रधानमंत्री एक ओर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसी प्रेरणादायक मुहिम चला रहे हैं, वहीं स्थानीय प्रशासन पेड़ों को काटकर उस भावना का अपमान कर रहा है। यह सिर्फ पेड़ नहीं, बल्कि 15 वर्षों की मेहनत और संवेदना की हत्या है।” अब देखना होगा कि प्रशासन इस जनभावना को समझते हुए हरियाली लौटाने की दिशा में कदम उठाता है या नहीं।