All Acquitted in E-Tendering Scam : ई-टेंडरिंग घोटाले के सभी आरोपी बरी!

EOW ने जल निगम के तीन टेंडर में सबूत दिए, कोर्ट ने सभी को बरी किया!

474

All Acquitted in E-Tendering Scam : ई-टेंडरिंग घोटाले के सभी आरोपी बरी!

Bhopal : प्रदेश के बहुचर्चित 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपियों को भोपाल कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी किया है। शिवराज सरकार के दौरान ई-टेंडर घोटाला हुआ था और कमलनाथ सरकार के दौरान इस मामले में FIR दर्ज कराई थी। 2019 में हुआ यह मामला कोर्ट में चल रहा था। बुधवार को इस पर फैसला आया।

भोपाल जिला अदालत ने ई-टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। बताया गया कि अभियोजन पक्ष कोर्ट में पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया। EOW ने जल निगम के तीन टेंडर को लेकर कोर्ट में सबूत पेश किए थे। आरोपी पक्ष के वकील प्रशांत एम हरने ने कहा कि घोटाला हुआ ही नहीं था, इसलिए कोर्ट में EOW सबूत पेश नहीं कर सका।

जो आरोपी बरी हुए
इस मामले में बरी होने वाले 6 आरोपी हैं नंदकिशोर ब्रह्मे (ओएसडी इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम), विनय चौधरी (ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर), वरुण चतुर्वेदी (ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर), सुमित गोलवलकर (ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर), मनोहर एमएन (एंटारस सिस्टम्स वाइस प्रेसिडेंट), और बिजनेसमैन मनीष खरे। इन सभी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, IT एक्ट की धारा 66 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था।

कब हुआ था खुलासा
जल संसाधन विभाग का टेंडर 8 जनवरी 2018 को खुला और 6 फरवरी को बंद हुआ था। ओरिजनल टेंडर 116 करोड़ का था। लेकिन, आरोप थे कि मनीष खरे ने ओस्मो कंपनी के संचालकों के साथ मिलकर टेम्परिंग के बाद टेंडर को 105 करोड़ का कर दिया। खरे पर टेंडर सोरठिया बेलजी एंड रत्न कंपनी को दिलाने का आरोप था। आरोप था कि खरे को इसके एवज में 1 करोड़ 23 लाख कमीशन मिला। हालांकि, टेंडर निरस्त होने के बाद खरे ने कमीशन की पूरी राशि अकाउंट के जरिए वापस कर दी थी। अकाउंट के ट्रांजेक्शन के साथ तमाम तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद खरे को गिरफ्तार किया गया था।

क्या है पूरा मामला?
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी. करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक. इस तरह कुल 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई. EOW ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थीं.इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।