

दुनिया के सभी परमाणु केंद्र सक्रिय हैं…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
दुनिया का ताजा घटनाक्रम इस बात का गवाह बन रहा है कि एक बार फिर युद्धों का काल शुरू हो चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां पर अमेरिका और ट्रंप की दादागिरी भी काम नहीं आ रही है। इजरायल सतत युद्ध का हिस्सा बना हुआ है। इजरायल ईरान युद्ध जैसे तैसे खत्म हुआ है लेकिन इजरायल-हमास के बीच युद्ध विराम की कोई आस नहीं है। गाजा का तनाव शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। ऑपरेशन सिंदूर को विराम देकर भारत ने पाकिस्तान के साथ अस्थाई समझौता ही किया है। समय आने पर स्थितियां कभी भी बदल सकती हैं। सिंधु जल समझौता रद्द होने की विभीषिका पाकिस्तान भुगत ही रहा है। और अब इस श्रृंखला में नॉर्थ कोरिया ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष को लेकर मिडिल ईस्ट में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस बीच नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने ईरान पर किए गए इजरायली हमले की निंदा की है। प्योंगयांग के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान के नागरिक, परमाणु और ऊर्जा ठिकानों पर हमले को लेकर बयान जारी कर कहा कि यह मानवता के खिलाफ माफ न करने वाला क्राइम है। यह क्षेत्र को एक नए व्यापक युद्ध की ओर धकेल रहा है। नॉर्थ कोरिया ने न केवल इजरायल की आलोचना की बल्कि अमेरिका और यूरोपीय देशों पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि वे अपराध में संयुक्त रूप से भागीदार हैं। वह स्टेट स्पॉन्सर टेररिस्ट को संरक्षण दे रहे हैं। नॉर्थ कोरिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि अमेरिका और वेर्स्टन देश इजरायल के साथ मिलकर मिडिल ईस्ट की शांति के लिए कैंसर बनते जा रहे हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिका और पश्चिम पर नजर रखे हुए है, जो पीड़ित ईरान की संप्रभुता और आत्मरक्षा के अधिकार को नकारने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। जिन देशों के नाम युद्धों में शामिल हैं, वह सभी परमाणु हथियारों से युद्ध में भी सक्षम हैं। और नॉर्थ कोरिया के वैश्विक युद्ध परिदृश्य पर चिंता जताने के साथ ही यह माना जा सकता है की परमाणु शक्ति संपन्न देश अब आमने-सामने होने को बेसब्र हैं। यानी कि वैश्विक परमाणु केंद्र सक्रिय हो रहे हैं और शत्रुता के आकाश में परमाणु विस्फोटों की गूंज तीसरे विश्व युद्ध की विध्वंसकारी क्षमता का आभास कर रही है।
21वीं सदी का यह कितना बड़ा मजाक है कि शांति कायम करने के लिए युद्ध में कूदने वाले अमेरिका के डॉन ट्रंप शांति का नोबेल पुरस्कार पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि ईरान के खिलाफ उनका धैर्य अब समाप्त हो चुका है। और उसके बाद ईरान के खिलाफ अमेरिका युद्ध में कूद गया था। इसके जवाब में नॉर्थ कोरिया ने कहा कि आपकी कार्रवाइयां मध्य पूर्व को विनाश की ओर ले जा रही हैं। इस बयान से साफ मालूम पड़ता है कि नॉर्थ कोरिया और ईरान दोनों ही असंतुष्ट हैं। वे इसे वैश्विक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार मानते हैं। वास्तव में देखा जाए तो किम जोंग उन ने डोनाल्ड ट्रंप को आइना दिखाया है कि अमेरिका अब इस भूल में न रहे कि दुनिया उसकी मनमानी को नजरअंदाज करने के लिए मजबूर है। भारत ने भी अमेरिका की नीतियों पर आक्रोश जाहिर कर ही दिया है। उधर रूस पर अमेरिका की दादागिरी काम नहीं कर पा रही है। ऐसे में वास्तव में वर्तमान परिदृश्य डरावना सा प्रतीत हो रहा है।
तो अब एक नजर दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देशों पर डालते हैं। दुनिया में वर्तमान में 9 देश परमाणु हथियार संपन्न हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया था। तो रूस दुनिया का सबसे अधिक परमाणु हथियारों वाला देश है। चीन एशिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश है। फ्रांस, यूरोप का परमाणु हथियार संपन्न देश है।यूनाइटेड किंगडम नाटो का मजबूत सदस्य और परमाणु शक्ति से संपन्न देश है। भारत ने 1974 में पहला परमाणु परीक्षण “स्माइलिंग बुद्धा” किया और फिर अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्रित्व काल में परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था।पाकिस्तान 1998 में परमाणु परीक्षण कर परमाणु शक्ति घोषित हुआ। तो माना जाता है कि इजरायल के पास परमाणु हथियार हैं। और उत्तर कोरिया हाल के वर्षों में कई परमाणु परीक्षण कर चुका है। इन नौ देशों के पास कुल मिलाकर 12,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं। इन हथियारों में से अधिकांश हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु हथियार से कई गुना अधिक शक्तिशाली हैं।
अब अगर इन नौ परमाणु शक्ति संपन्न देशों की बात की जाए तो रूस, अमेरिका, इजरायल, भारत और पाकिस्तान प्रत्यक्ष रूप से युद्ध का हिस्सा रह चुके हैं तो वहीं चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और नॉर्थ कोरिया जैसे देश युद्धों पर सीधी नजर रखे हुए हैं। वहीं ईरान भी न्यूक्लियर प्रोग्राम पर लगातार आगे बढ़ रहा है।
ऐसे में चाहे मिडल ईस्ट हो, यूरोप हो, अमेरिका हो या एशिया हो… सभी जगह शक्ति यानी परमाणु की ताकत दिखाने की लालसा चरमोत्कर्ष पर है। परमाणु शक्ति केंद्र अब धरातल के ऊपर अपना परचम फहराने को उत्साहित हैं। और 20वीं सदी में जो हुआ सो हुआ, अब 21वीं सदी उससे भी बड़ी लकीर खींचने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करने को उतावली नजर आ रही है। ऐसे में वह दिन दूर नजर नहीं आ रहा है जब सक्रिय परमाणु केंद्र अपनी क्षमता का भौंडा प्रदर्शन कर दुनिया की बर्बादी का कारण बनेंगे… हिरोशिमा और नागासाकी का दर्द अभी भी आत्मा को झकझोर देता है। और अगर स्थितियां नियंत्रण में नहीं रही तो परमाणु केंद्रों की सक्रियता से मानो दुनिया खत्म होने की कगार पर ही पहुंच जाएगी…क्योंकि दुनिया के सभी परमाणु केंद्र सक्रिय हो गए हैं…।