दिग्विजय,कमलनाथ, कांतिलाल सहित कांग्रेस के सभी दिग्गज फेल,भाजपा के सभी दिग्गजों ने दिखाया दम

1108

 

दिग्विजय,कमलनाथ, कांतिलाल सहित कांग्रेस के सभी दिग्गज फेल,भाजपा के सभी दिग्गजों ने दिखाया दम

 

भोपाल:पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से कोई चमत्कार नहीं दिखा सकें। तीनों ही नेता हार की कगार पर हैं। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, फग्गन सिंह कुलस्ते जीत की और अग्रसर हैं। इनमें शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा अपने लोकसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी जीत की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रदेश में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भी जबरदस्त झटका लगा है, रूझानों में वह एक भी सीट पर आगे नहीं है।

*कांग्रेस नहीं बना पाई जनता के बीच में पैठ* 

भाजपा ने इस बार कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए थे। मध्य प्रदेश में उसका टिकट बदलने का निर्णय सही साबित होता दिखाई दे रहा है। भाजपा ने जितने भी नए चेहरों पर भरोसा किया, सब जीत की ओर हैं। कांग्रेस ने इस बार बहुत ही सोच विचार कर टिकटों पर वितरण किया था। दिग्विजय सिंह को राज्यसभा का सदस्य रहते हुए उन्हें उनके क्षेत्र से ही लोकसभा का चुनाव लड़वाया था। वहीं मुरैना, ग्वालियर, गुना जैसे लोकसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरण साधने का प्रयास किया था, लेकिन उसका कोई भी प्रयोग मध्य प्रदेश में सफल नहीं हो सका। वह सभी सीटों पर पीछे चल रही है।

भाजपा ने रणनीति से लड़ा पूरा चुनाव

इधर भाजपा ने पूरा चुनाव रणनीति के तहत लड़ा था। कांग्रेस के हर बडे नेता को कैसे घेरना हैं, इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने होमवर्क किया और उसे अमलीजामा भी पहनाया। दोनों ही नेताओं ने छिंदवाड़ा सीट भाजपा की झोली में डालने को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। यहां पर पार्टी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय की मेहनत और प्लानिंग भी रंग लाई।तीनों नेताओं ने जमकर यहां पर दौरे किए, कई नेता जो कमलनाथ और नकुलनाथ का नेतृत्व नहीं चाहते थे, उन्हें भाजपा में शामिल किया गया। पूरे चुनाव पर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी नजर यहां पर बराबर रखी, नतीजे में यह सीट रूझानों में नाथ परिवार से 27 साल बाद दूर होती दिखाई दे रही है।