

अहम, वहम सब खतम हुए अब…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदू नव वर्ष के पहले दिन नागपुर मुख्यालय जाकर अपने ह्रदय में बसे संघ के प्रति अनंत प्रेम का प्रकटीकरण कर दिया है। दस साल के प्रधानमंत्री काल में संघ मुख्यालय से दूरी बनाए रहे मोदी और संघ के बीच 2024 लोकसभा चुनाव में दूरी बढ़ती दिखी थी। ऐसा लगा था कि प्रधानमंत्री मोदी के मन में यह वहम घर कर गया था कि सरकारें केवल उनकी काबिलियत के दम पर बन रही हैं। ऐसा संदेश समाज में गया था कि भाजपा को संघ एक वैचारिक-सांस्कृतिक संगठन मात्र दिखने लगा है। जेपी नड्डा ने खुलकर कहा था कि “देखिए, पार्टी बड़ी हो गई है और सभी को अपने-अपने कर्तव्य के साथ भूमिकाएं मिल चुकी हैं। आरएसएस एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है और हम एक राजनीतिक संगठन हैं। यह जरूरत का सवाल नहीं है। यह एक वैचारिक मोर्चा है। वो वैचारिक रूप से अपना काम करते हैं और हम अपना। हम अपने मामलों को अपने तरीके से मैनेज कर रहे हैं और राजनीतिक दलों को यही करना चाहिए।” नड्डा के इन विचारों में एक बात साफ थी कि इन विचारों की पृष्ठभूमि में खुद मोदी हैं। और सत्ता की भगवा छावनी में संघ की सीमाओं को परिभाषित करने की ओछी हरकत खुलकर की जा रही है। नड्डा ने बताया था कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि पार्टी का ध्यान गरीबों, शोषितों, दलितों, महिलाओं, युवाओं, किसानों और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों पर होगा। इन वर्गों को मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए और सशक्त बनाया जाना चाहिए। हमें उन्हें मजबूत करना होगा।” यानि संघ को हाशिए पर कर मोदी वर्गों की राजनीति पर भरोसा करने का खुला संदेश दे चुके थे। और तब संघ के प्रति भाजपा के रवैये को मोदी के अहम के रूप में देखा गया था। और लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कठोर शब्दों में आइना भी दिखाया था। कहा था कि “जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है। गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है।” संघ ने मणिपुर के हालातों पर भी खुलकर नाराजगी जताई थी। और राम मंदिर बनने के बाद भी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में हुई भाजपा की किरकिरी ने संघ के कद और भाजपा के मद पर मुहर लगा दी थी। खैर अब मोदी के नागपुर में संघ मुख्यालय पहुंचकर शीश झुकाने के बाद यह माना जा सकता है कि अहम और वहम सब दूर हो गए हैं और मोदी-भागवत या भाजपा-संघ के बीच अब सब कुछ पहले की तरह सामान्य है।
तो देखें कि मोदी का ह्रदय संघ मुख्यालय पहुंचकर कितना खुलकर धड़का। नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आरएसएस भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष है।आरएसएस के स्वयंसेवक देश के विभिन्न क्षेत्रों एवं हिस्सों में नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। वसुधैव कुटुम्बकम का हमारा मंत्र दुनिया के सभी कोनों तक पहुंच रहा है। मोदी ने रेशम बाग स्थित संघ मुख्यालय को लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। करीब पौने 12 साल बाद यहां पहुंचे पीएम मोदी ने संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे संघ प्रमुख माधवराव सदाशिवराव गोवलकर ‘गुरुजी’ को पुष्पांजलि अर्पित की। तो हिंदू नववर्ष की शुरुआत के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघ मुख्यालय दौरे को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुभ योग बताया। माधव नेत्रालय के प्रीमियर सेंटर की आधारशिला रखे जाने के मौके पर संघ प्रमुख ने कहा कि आज डॉक्टर साहब यानि संघ संस्थापक हेडगेवार का जन्मदिन है, दूसरे संघ प्रमुख माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ के नाम पर चल रहे सेवा प्रकल्प के विस्तार का कार्यक्रम है और प्रधानमंत्री जी का यहां पर उपस्थित होना, सारे शुभ योग हैं। जब ये सारे शुभ योग एकत्रित होते हैं तो उसके लिए तपस्या करनी पड़ती है।
तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने स्वभाव के अनुकूल और मर्यादा के भीतर अपने ‘मन की बात’ साफ शब्दों में कह दी। तपस्या किसने की और शुभ योग कैसे बन पाए, यह कटाक्ष संतुलित शब्दों में मोहन भागवत ही कर सकते हैं। इसे मोदी और उनकी भाजपा के हर कार्यकर्ता ने भली भांति महसूस कर लिया होगा। तो मोदी ने संघ के प्रति अपने समर्पण का प्रकटीकरण कर यह खुलकर स्वीकार किया कि संघ सक्षम है और राजनैतिक दल के नाते भी भाजपा की संघ के बिना सक्षमता की कल्पना बेमानी है। मोदी के नागपुर दौरे के शुभ योग यही संदेश दे रहे हैं कि भागवत और मोदी के साथ ही संघ और भाजपा एक दूसरे के पूरक हैं। और हिंदू नव वर्ष संवत 2082 का पहला दिन यानि 30 मार्च 2025 साक्षी बना है कि सारे अहम, वहम अब खतम हो गए हैं…।