Amaka-Jhamka Temple : श्री कृष्ण को माता रुक्मणि ने तीन परिक्रमा से पहले अमका-झमका तीर्थ पहुंचने की पाती लिखी!

240

Amaka-Jhamka Temple : श्री कृष्ण को माता रुक्मणि ने तीन परिक्रमा से पहले अमका-झमका तीर्थ पहुंचने की पाती लिखी!

माता रुक्मणि की प्रतिज्ञा से द्वापर युग से विख्यात हुआ श्री कृष्ण रुक्मणि हरण स्थल!

अमझेरा से गोपाल खंडेलवाल की रिपोर्ट

Amjhera (Dhar) : नवरात्रि में विंध्याचल की गोद में बसे माता अमका झमका तीर्थ की रंगत अलग ही होती है। अमझेरा का नाम पूर्व में कुंदनपुर था यहां के राजा भीष्मक थे और माता रुक्मणि राजा की पुत्री थी। रुक्मणि ने भगवान श्री कृष्ण से विवाह करने की प्रतिज्ञा भी यही से ली थी। प्रतिज्ञा का संकल्प पूर्ण करने के लिए द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण स्वयं यहां रथ से पहुंचे थे। माता अमका-झमका तीर्थ के पुजारी अभिजीत पंडित ने बताया कि किदवंती है कि द्वापर काल में माता रुक्मणि ने एक पाती (पत्र) भगवान श्री कृष्ण को लिखी थी। इस प्रतिज्ञा में माता रुक्मणि ने भगवान श्री कृष्ण से कहा था कि मेरी तीन परिक्रमा पूर्ण होते ही आप मुझे यहां से विवाह कर ले जाना। तब से माता अमका-झमका तीर्थ का नाम रुक्मणि हरण स्थल से विख्यात हो गया। इस तीर्थ स्थल पर आज भी द्वापर काल की लीला पत्थर पर अंकित है, जो द्वापर काल का प्रमाण हैं। मंदिर का निर्माण लाल पत्थर से किया गया है।

दो परिक्रमा पूर्ण होते ही श्री कृष्ण पहुंच गए थे अमका झमका

मंदिर के अभिजीत पंडित ने बताया की स्कंध पुराण की मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण माता रुक्मणि के संकल्प तीन परिक्रमा के पूर्व दूसरी परिक्रमा पूरी होते ही मंदिर पहुंच गए थे। यहां दर्शन के बाद माता रुक्मणि भगवान श्री कृष्ण के साथ चले गए। माता रुक्मणि और भगवान श्री कृष्ण द्वारा माता अम्बिका एवं चामुंडा माता के दर्शन कर रथ से यहां से प्रस्थान किया था। तब से इस स्थान का नाम श्री कृष्ण रुक्मणि हरण स्थल के रूप में विख्यात हुआ। यह मंदिर लगभग 5 हजार साल पहले से स्थापित है। किंवदंती है कि द्वापर काल में यहां भगवान श्री कृष्ण यहां रथ से पहुंचे थे, जिसका प्रमाण आज भी मंदिर के पीछे रथ के पहिए के निशान मौजूद हैं।

WhatsApp Image 2025 04 04 at 17.51.01

राजा बख्तावर के वंशजों ने 1720 ई. में जीर्णोद्धार किया

1720 ईस्वी में अमझेरा नरेश राजा बख्तावर के वंशज महाराजा लालसिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। लाल पाषाण से निर्मित मंदिर पर आज भी कृष्ण लीला अंकित है। मंदिर में प्राचीन सूरज कुंड, बहता झरना, पवार वंश की कुल देवी माता चामुंडा मंदिर स्थित हे। तीर्थ परिसर दो भाग में है। पहला भाग श्री कृष्ण रुक्मणि हरण स्थल है और दूसरा भाग पांडव कालीन गुफा है। गुफा में माता झमका, प्राचीन शिवलिंग, भगवान दत्तात्रेय की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इसी प्राचीन गुफा में पांडवों ने विश्राम किया था।

WhatsApp Image 2025 04 04 at 17.52.06

जीर्ण-शीर्ण स्थल की सूरत जनसहयोग से बदल दी

श्री कृष्ण रुक्मणि हरण स्थल लगभग 5 हजार साल पहले का निर्माण है। 15 साल पहले स्थानीय ग्रामीणों ने तीर्थ के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और इन सालों में जनसहयोग से तीर्थ की सूरत बदल दी। समिति के मनोहर गुप्ता, प्रशांत खंडेलवाल ने बताया कि लगभग 15 साल पहले मंदिर सहित अन्य धरोवर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी, जिसे ग्रामीणों और दानदाताओं के जनसहयोग से सुधारा गया और मंदिर का निर्माण कार्य किया गया। आज भी तीर्थ पर दानदाताओं का सहयोग जारी है। अब तक यहां सूरज कुंड, उद्यान, चामुंडा माता मंदिर निर्माण, अंबिका माता मंदिर निर्माण कार्य, कार्यालय, आदि अन्य निर्माण कार्य दानदाताओं के सहयोग से किया गया। मुख्य द्वार का निर्माण कार्य भी इन दिनों चल रहा है।

WhatsApp Image 2025 04 04 at 17.52.06 1

दिवगंत भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज द्वारा भी यहां भवन की सौगात दी गई। पूर्व कलेक्टर आलोक कुमार सिंह, जिला पंचायत पूर्व सीईओ संतोष वर्मा के द्वारा वाल, स्टॉप डेम, पौधा रोपण आदि कार्य किए गए हे। राज राजेश्वर महादेव समिति भी यहां निर्माण कार्य लगातार कर रही हे। पर्यटन की दृष्टि से अब मंदिर पर मूल भूत सुविधा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।