लाजबाब अमरीकी पति

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दुनिया में पतियों की सबसे खराब छवि शायद भारत में ही है.जबकि सबसे आदर्श पति अमरीका के माने जाते हैं .अमरीकी पतियों का स्वभाव अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों तक को प्रभावित करता है ,जबकि बेचारे अमरीकी अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों से ज्यादा अपने और पत्नी के रिश्तों को महत्व देते हैं .
चूंकि मै निष्ठावान भारतीय हूं इसलिए जानता हूँ कि भारत में पतियों की दशा कितनी दयनीय है.? आपको लगता है कि भारत में सिर्फ गाय ही दयनीय अवस्था में रहती है किन्तु हकीकत ये है कि भारत के आम पति की हालत गायों से भी ज्यादा दयनीय है .भारत के अधिकांश युवक पति योनि में प्रवेश करते ही ‘ जोरू का गुलाम ‘ नाम के खिताब से नवाज दिए जाते हैं .जबकि दुनिया जानती है कि भारत में जोरू को कितनी इज्जत बख्शी जाती है .ये भारत देश ही है जहाँ पत्नी के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए ‘ताज महल ‘ जैसी नायब इमारतें तामील की जाती हैं .
कहने को मै न इब्ने बतूता हूँ और न ह्वेनसांग ,लेकिन मैंने बहुत दुनिया देखी है ,मुझे कहीं भी दूसरा ताज महल बना नजर नहीं आया.यहां तक की महाबली अमरीका के पास भी ऐसा कोई अजूबा नहीं है जबकि दुनिया में सबसे ज्यादा आदर्श पत्नी भक्त अमरीका में ही पाए जाते हैं .अमरीका को आप भले ही महिला विरोधी मानते हों लेकिन ये खालिस दुष्प्रचार है .ये दुष्प्रचार अमरीका में किसी महिला को राष्ट्रपति न बनाये जाने की वजह से किया जाता है ,जबकि हकीकत ये है कि कोई भी अमरीकी अपनी पति के नाजुक कन्धों पर राष्ट्रपति पद जैसा भार नहीं डालना चाहता .

अमरीकी

पतियों को भारत में जोरू का गुलाम कहा जाता है जबकि अमरीका में ऐसा नहीं है .अमरीकी पतियों पर शोध के बाद मै इस नतीजे पर पहुंचा की पत्नी की सेवा करना गुलामी नहीं है,ये तो मेवा हासिल करने का एक जरिया मात्र है. अमरीका में राष्ट्रपति से लेकर आम पति तक पत्नि भक्त होता है .पत्नि भक्ति अमरीका का राष्ट्रीय चरित्र है ,शायद इसीलिए यहां पतियों को कोई जोरू का गुलाम नहीं कहता .
अमरीकी पतियों की विशेषता है कि वे अपनी पत्नि का हर पुण्य कार्य में हाथ बांटते हैं. बच्चे पैदा करने के बाद उसका ‘डायपर’ बदलने,’ पॉटी’ साफ़ करने ,खाना खिलाने से लेकर सुलाने तक के तमाम काम जो हिंदुस्तान में पत्नियों का संवैधानिक कर्तव्य कहा जाता है ,अमरीका में पतियों का समाजिक दायित्व है .अमरीकी पति किचिन में भी बराबर से हाथ बंटाता है. खाना पकाने से लेकर बर्तन मांजने तक का काम करने में अमरीकी पति को कोई लज्जा या हीनभाव नहीं आता .बल्कि ये सब अमरीकी पति के लिए गौरव का विषय होता है .ये बात और है कि अमरीकी पतियों की मदद मशीनें ज्यादा करती हैं. उन्हें कपडे नहीं फुलकने पड़ते,झाड़ू नहीं लगना पड़ती,बर्तनों को हाथों से घिस -घिसकर चमकना नहीं पड़ता .हर काम के लिए मशीनें उसकी सहायता करतीं हैं
पत्नियों को स्वतंत्रता देने के मामले में भी अमरीकी पतियों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता .वे जो चाहे खा सकतीं हैं,पी सकती हैं ,पहन और ओढ़ सकतीं हैं .उन्हें घूंघट से जन्मजात मुक्ति का गौरव हासिल है .अमरीकी पति अपनी पत्नि को रोकता-टोकता न के बराबर है .साहचर्य का सबसे आदर्श उदाहरण होते हैं अमरीकी पति .अमरीकी पतियों का स्वभाव गाय जैसा ऊपर वाले ने ही बनाया है .ऊपर वाला जानता है कि अमरीकी पत्नियां भारतीय पत्नियों जैसी नहीं होतीं..वे सात जन्मों का बंधन नहीं मानतीं ,वे जब चाहे तब पति बदलने के लिए आजाद हैं. भारत में ये आजादी केवल पतियों को हासिल है .
दुनिया के किसी भी देश के पति अमरीका में आकर आदर्श गति को प्राप्त हो जाते हैं,गैर अमरीकी पतियों का तालिबानी स्वभाव अमरीका में आते ही एकदम बदल जाता है ,मुझे तो लगता है कि अमरीकियों की पत्नीभक्ति को देखते हुए ही हाल ही में अफगानिस्तानी तालिबानों ने अमरीका के खिलाफ हल्ला बोला होगा ,क्योंकि अमरीकी पतियों को देख अफगानी पतियों के साथ ही अफगानी पत्नियों के बिगड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा था .अफगानी जहाँ अपनी पत्नियों को हिजाब में रखते हैं,पर-पुरुष की छाया तक नहीं पड़ने देते वहीं अमरीकी पति अपनी पत्नियों को बिकनी में रहने की आजादी के साथ पर-पुरुष गमन की आजादी देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं .
अमरीकी पतियों की एक खुसूसियत हो तो गिनाऊँ.वे तो इस मामले में दुनिया में सबसे अव्वल और मुनव्वर पति हैं .जैसा कि मैंने आपको बताया कि अमरीका में आकर किसी भी देश का पति आदर्श हो जाता है .मुझे इसके अनेकानेक उदाहरण देखने को मिले .आपने अमरीका प्रवास के दौरान मै बीसियों भारतीय पतियों से मिलता हूँ.मुझे हैरानी होती है कि उनमें से अधिकाँश का कायांतरण हो चुका होता है .अमुक भारतीय पति बच्चे खिलाने में सिद्धहस्त हैं ,तो अमुक घर की बागवानी करने में.अमुक को खाना पकाना बढ़िया लगता है ,तो अमुक अपनी पत्नि की हर कामना को पूरा करने के लिए तत्पर रहते हैं .हर भारतीय पति अपनी पत्नियों को अमरीकी पत्नियों जितनी आजादी दे चुका होता है .
भारतीय,या किसी अन्य देश का पति जब स्वदेश जाता है तब उसके लिए बड़ी मुश्किल होती है. उसका पत्नि प्रेम देखकर सब पीठ पीछे बेचारे को ‘जोरू का गुलाम ‘ कहने से नहीं चूकते. अधिकाँश भारतीय माताएं अपने बच्चे के स्वभाव में आये परिवर्तन को देखकर अपना सर पीट लेती हैं ,क्योंकि जाने अनजाने उनसे सासगीरी का जन्मसिद्ध प्रताड़ना अधिकार छीन जाता है .अमरीका में सासें भी अपने बेटों को जोरू का गुलाम नहीं कहतीं क्योंकि उनके अपने पति पहले से उनकी गुलामी [माफ़ कीजिये ] सेवा कर रहे होते हैं .अमरीकियों के बारे में मै ये धारणा गलत साबित करना चाहता हूँ कि वहां पति पत्नियां या पत्नियां कपड़ों की तरह बदलते हैं.बल्कि अमरीका में अधिकाँश पति-पत्नि बिना सात जन्म की कल्पना किये इसी जन्म में एक-दूसरे के प्रति समर्पित रहते हैं,अपवादों को छोड़कर .
कुल मिलाकर पत्नि प्रेम प्रदर्शित करने के लिए भारत में भले ही एक ताज महल हो लेकिन अमरीका में हर घर ताज महल है ,क्योंकि वहां पत्नियों की याद में नहीं पत्नियों के जीते जी उनकी पसंद के छोटे-छोटे ताज महल खरीदे और बनाये जाते हैं .अमरीकियों ने महिलाओं को सियासत में भले ही बराबरी का दर्जा बरतने में कोताही बरती हो लेकिन आम जीवन में वे उनके प्रति बेहद विनयशील होते हैं .

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राकेश अचल

राकेश अचल ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार है। वर्तमान वे फ्री लांस पत्रकार है। वे आज तक के ग्वालियर के रिपोर्टर रहे है।