Amazing Assessment Of Ex IAS: एक पूर्व IAS अफसर का गजब आकलन और विश्वास – ‘लिख कर रख लो अनुराग जैन ही होंगे मुख्य सचिव’ 

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    Amazing Assessment Of Ex IAS: एक पूर्व IAS अफसर का गजब आकलन और विश्वास – ‘लिख कर रख लो अनुराग जैन ही होंगे मुख्य सचिव’ 

सुरेश तिवारी की खास पेशकश

भोपाल: मध्य प्रदेश में पिछले कई दिनों से मुख्य सचिव को लेकर प्रशासनिक और सियासी गलियारों में बस एक ही नाम चर्चा में था। हर कोई और पूरा मीडिया इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त थे कि यही अधिकारी अगले मुख्य सचिव होंगे। मीडिया के तो हाल यह थे कि बड़े से बड़े अखबार से लेकर छोटे से छोटा अखबार और सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक नए मुख्य सचिव को लेकर केवल एक ही अधिकारी का नाम फाइनल बता रहे थे। बीच-बीच में जरूर कभी-कभी एक दो अन्य अधिकारियों के नाम जोड़ दिए जाते रहे लेकिन कभी भी उसे गंभीरता से प्रस्तुत नहीं किया गया।

ऐसे माहौल में जब मीडियावाला के लिये साप्ताहिक कॉलम लिखने वाले सेवानिवृत्त IAS अधिकारी और सुप्रसिद्ध लेखक आनंद कुमार शर्मा से उनके कॉलम रविवारीय गपशप के संदर्भ में चर्चा हो रही थी तो इस विषय पर भी सहज ही बात चल निकली । चर्चा के दौरान उन्होंने मुझ से कहा ‘देख लेना तिवारी जी, कोई कुछ भी कहे अनुराग जैन ही आखिर में मुख्य सचिव बनेंगे’।

मैंने तब इस बात पर ध्यान दिया तो इसके पक्ष के कई तर्क थे । वह यह बात ऐसे ही नहीं कह रहे थे। जिस तरह उड़ीसा, राजस्थान, बिहार और पहले कभी गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी केंद्र से सचिव, मुख्य सचिव बनाकर भेजे जाते रहे हैं, उसी तरह मध्य प्रदेश में भी होने की प्रबल संभावनायें दिख रही थीं ।

आप विश्वास करें या ना करें 29 सितंबर की रात जब मैंने अपनी रिपोर्ट लिखने के पहले उन्हें फिर कहा कि ‘सर अब तो आप मान जाइए मुख्य सचिव के लिए नाम फाइनल हो चुका है और वह नाम अनुराग जैन का नहीं है। जिससे भी बात करो चाहे वह अधिकारी हो या राजनीतिक व्यक्ति केवल और केवल एक ही नाम की ही मोहर लगा रहे हैं’ लेकिन उन्होंने फिर जोर देते हुए कहा कि ‘कल देख लेना, मैं जो कह रहा हूं,वही होगा’। मैं आश्चर्यचकित था आखिर इतना गजब का आकलन और विश्वास कैसे? उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1989 बैच के अधिकारी अनुराग जैन के नाम को लेकर कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि पीएमओ से लेकर मुख्यमंत्री भी उनके कार्यशैली से प्रभावित हैं और अंततः यही नाम फाइनल होगा। उनसे चर्चा होने के बाद मैंने 29 सितंबर रात को जो स्टोरी लिखी थी उसे  ड्रॉप कर दिया।

अगले दिन यानी 30 सितंबर को जब सारे अखबार देखे तो एक ही नाम मुख्य सचिव के लिए सब ने लिखा था। एक दो अखबारों ने एकाध नाम को जोड़कर भी लिखा था लेकिन कहीं भी अनुराग जैन का नाम प्रमुखता से नहीं लिया गया था।

ऐसे में मैंने बिना उनसे पूछे और अपने कुछ मित्र पत्रकारों और अधिकारियों से चर्चा कर न सिर्फ उस नाम का बल्कि होने वाले संभावित बदलावों को लेकर एक स्टोरी की। दोपहर में जब मुख्यमंत्री झारखंड के लिए रवाना हो गए तब मैंने उनको फिर बताया कि अब कभी भी नए मुख्य सचिव पद के आदेश हो रहे हैं। बस कुछ ही मिनट बाकी हैं, और वह नाम अनुराग जैन का नहीं है। मालूम नहीं कैसे, उनमें अभी भी कमाल का आत्मविश्वास झलक रहा था। उन्होंने फिर मुझे कहा ‘थोड़ा रुक जाइए,जल्दबाजी मत करिए। अभी आदेश निकले नहीं है जब तक आदेश नहीं निकल जाते तब तक धैर्य रखें’ और वाकई इसके थोड़े ही देर बाद मुझे जानकारी मिली कि अनुराग जैन का नाम फाइनल हो गया है। मैं विस्मित था!

मैंने तुरंत आनंद जी को फोन लगाया और कहा ‘सर आपको सैल्यूट करता हूं।आपके आत्मविश्वास और जानकारी का कायल हो गया हूं। लेकिन यह तो बताइए कि आपको इतना विश्वास कैसे था।’ उन्होंने साफ बताया कि केवल यह एक आकलन इसलिए था कि पूरे देश में सभी भाजपा शासित राज्यों में ‘की’ पोस्ट पर बैठने वाले अधिकारियों का चयन बड़ी एहतियात के साथ किया जा रहा है । पार्टी न केवल कुशलता की जाँच कर रही है बल्कि व्यक्तित्व परीक्षण के भी सभी मानदण्ड अपना रही है। इसलिए अब ऐसे फ़ैसले केवल महज़ औपचारिक ब्यूरोक्रेसी के स्थानांतरण नहीं रह गये हैं। इस तरह मुख्य सचिव बनाए जाने की मंशा के पीछे एक संदेश भी है । इसलिए मेरा यह मानना था कि मध्य प्रदेश में भी ऐसा हो सकता है,ऐसा ही होगा और अंततः हुआ भी यही।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के नाम को लेकर यह तो उसी तरह हुआ जिस तरह चुनाव के दौरान चैनलों द्वारा किए जाने वाले एग्जिट पोल में किसी पार्टी को बहुमत दिखाया जाता है और एग्जैक्ट रिजल्ट आने पर किसी और पार्टी को बहुमत मिलता है।

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