Amazing Example of Santan Dharma: घर के बेटे की तरह विदा किया 27 साल से रहे हैं नंदी को, डीजे – बैंड बाजे के साथ निकाली अंतिम यात्रा!
उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट
उज्जैन : उज्जैन जिले की घटिया तहसील के ग्राम सुल्या खेड़ी में आज 27 वर्षीय नन्दी सांड की प्राकृतिक मृत्यु हो गई। गांव वालों एक मूक पशु की मृत्यु पर बैंड बाजे व डीजे के साथ जुलूस निकालकर अंतिम यात्रा निकाली व उसको आदर पूर्वक समाधिस्थ किया।
गांव के शिक्षक रतन लाल रावल ने बताया कि यह घटना मनुष्य व पशु के प्रेम संबंधों की अनूठी कहानी बयां करती है।
सुल्याखेड़ी गांव में 27 वर्षों से रहा यह नंदी सांड बच्चों के साथ खेलता था ,बड़ों के साथ रुक कर मूक भाषा में बात करता था। वह उनके आदेश का पालन करता था। इस नंदी ने आज तक किसी को ना तो सींग मारा न ही किसी तरह की हिंसा की।
गांव वालों के पशु प्रेम की यह घटना सनातन धर्म की गहराइयों को व्यक्त करती है । सनातन धर्म में गाय, बैल, पशु – पक्षियों का सम्मान होता है और उनकी मृत्यु पर आंसू भी बहाए जाते हैं। यह सनातन धर्म ही है जो जीव दया को अपनाए हुए है ।
गुर्जर बाहुल्य सुलिया खेड़ी गांव के पटेल श्री देवी सिंह ,श्री लाखन सिंह , पटेल वजे सिंग गुर्जर पटेल राजारामजी गुर्जर के नेतृत्व में आज गांव में बैंड बाजे व धूमधाम के साथ स्त्री पुरुषों ने अपने प्रिय नंदी को साफा पहनाकर विदा किया। नंदी का अंतिम संस्कार विधि विधान से ग्रामीणों द्वारा किया गया एवं उसे आदर पूर्वक समाधिस्थ किया गया।
गांव वालों ने तय किया है कि 12 दिन बाद 18 जनवरी को हिंदू संस्कृति रीति रिवाज के अनुसार 12वां करके ब्राह्मणों को भोजन करवाएंगे। साथ में पूरा गांव भी विधि विधान से भोजन करेगा। मृत आत्मा की शांति के लिए क्रिया – कर्म होगा।