54 वर्षो में जारी संशोधन अधिनियम एक साथ किए निरस्त

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भोपाल: मध्यप्रदेश में विभिन्न अधिनियमों में हुए संशोधनों के लिए जारी किए गए संशोधन अधिनियमों को विधि विभाग ने एक साथ निरस्त कर दिया है। वर्ष 1964 से लेकर 2018 तक जारी संशोधन अधिनियम अब मूल अधिनियम में उससे जुड़े प्रावधान समायोजित करने के बाद निरस्त कर दिए गए है।
विधि एवं विधाई कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव राजेश यादव ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए है। विधि विभाग ने मध्यप्रदेश संशोधन अधिनियमों का निरसर अधिनियम 2021 के तहत 54 वर्षो में जारी संभी संशोधन अधिनियमों को निरस्त कर दिया है। इन संशोधन अधिनियमों को इसलिए निरस्त किया गया है क्योंकि इनके निरसन से किसी अन्य अधिनियम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। समय और जरुरत के मुताबिक सभी नियमों का समावेश मूल अधिनियम में किए जाने के कारण अब इन संशोधन अधिनियमों की आवश्यकता नहीं रह गई है। लेकिन इन संशोधनों को निरसित किए जाने से पूर्व में इनके आधार पर लिए गए निर्णय दावे, मांग, कर्ज, दंड, बाध्यता या पूर्व की अवधि में किए गए कार्य और निर्णयों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन संशोधन अधिनियमों के निरसित किए जाने के बाद अब इनका किसी तरह उपयोग नहीं किया जा सकेगा। लेखा संपरीक्षा जांच, किसी अन्य अन्वेषण या जांच जो पूर्व के समय की अवधि के लिए की जा रही हो और उस समय यह संशोधन अधिनियम प्रभावी था तो उस जांच या प्रक्रिया पर इस संशोधन अधिनियम के निरसित किए जाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वे जांचे ऐसे ही की जाएंगी मानों उन्हें निरसित ही नहीं किया गया हो।
ये संशोधन अधिनियम हुए निरस्त-
वर्ष 1964 से 2018 के बीच जारी हुए सैकड़ों संशोधन अधिनियम निरस्त किए गए है। इनमें प्रमुख रुप से मध्यप्रदेश भूराजस्व संहिता संशोधन 1964 और 1973, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन अधिनियम 1965, मध्यप्रदेश कृषक जोत अधिकतम सीमा संशोधन एवं निरसन का प्रत्यावर्तन 1966, मध्यप्रदेश शासकीय सेवक अधिवार्षिकी आयु संशोधन अधिनियम 1970 और 1972, मध्यप्रदेश कृषिक जोत उच्चतम सीमा संशेधन अधिनियम 1972 और द्वितीय संशोधन अधिनियम 1972 संपूर्ण सीमा तक निरस्त किए गए है। सी तरह भारतीय स्टाम्प संशोधन अधिनियम 1974,75, मध्यप्रदेश साहूकार संशोधन अधिनियम 1975, वन उपज व्यापार विनियमन संशोधन अधिनियम 1975, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन अधिनियम 1975 भी संपूर्ण सीमा तक निरस्त किए गए है।