ईरान के तीनों परमाणु संस्थानों पर अमेरिका का दुनिया के सबसे खतरनाक बमों से हमला “ईरान के पास शांति या त्रासदी के बीच एक का विकल्प” डोनाल्ड ट्रंप,नेतन्याहू ने कहा, ‘बधाई हो प्रेसीडेंट ट्रंप।’ 

"डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला इतिहास बदलने वाला साबित होगा। ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने का उनका वादा पूरा हुआ"

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ईरान के तीनों परमाणु संस्थानों पर अमेरिका का दुनिया के सबसे खतरनाक बमों से हमला “ईरान के पास शांति या त्रासदी के बीच एक का विकल्प” डोनाल्ड ट्रंप,नेतन्याहू ने कहा, ‘बधाई हो प्रेसीडेंट ट्रंप।’ 

जानें इस सनसनीखेज हमले से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी विक्रम सेन के साथ विस्तार से 

 

वॉशिंगटन/तेहरान/नई दिल्ली । अमेरिका ने रविवार (22 जून, 2025) की सुबह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर खतरनाक हमला कर दिया। इस खबर ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। यह कोई मामूली हमला नहीं, बल्कि अमेरिकी वायुसेना ने अपने सबसे ताकतवर B-2 बॉम्बर्स के जरिए हजारों किलो के बंकर बस्टर बम गिराए हैं, जिन्हें MOP (मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर) भी कहा जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इन हमलों के बारे में बताते हुए कहा कि फोर्दो परमाणु साइट पर अमेरिकी विमान ने बमों का पूरा पेलोड गिराया।

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डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चेतावनी दी हैं कि ईरान के पास शांति या त्रासदी के बीच एक का विकल्प बचा है। अमेरिका ने शनिवार को बी-2 बॉम्बर्स के जरिए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्दो, इस्फहान और नातांज पर एयर स्ट्राइक की। हमलों के बाद देश को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान को याद रखना चाहिए कि अब भी कई टारगेट बचे हुए हैं।

ट्रंप ने कहा, “यह (परमाणु कार्यक्रम) जारी नहीं रह सकता। ईरान के लिए या तो शांति होगी या फिर त्रासदी होगी, जो पिछले आठ दिनों में हमने देखी है उससे कहीं ज्यादा। याद रखें, अभी कई लक्ष्य बचे हैं। आज रात का लक्ष्य अब तक का सबसे मुश्किल था, और शायद सबसे घातक भी। लेकिन अगर शांति जल्दी नहीं आती है, तो हम सटीकता, गति और कौशल के साथ उन अन्य लक्ष्यों पर हमला करेंगे। उनमें से ज्यादातर को कुछ ही मिनटों में नष्ट किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “मैं उन महान अमेरिकी देशभक्तों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने आज रात उन शानदार ठिकानों को उड़ाया। उम्मीद है कि हमें अब उनकी सेवाओं और इस क्षमता की जरूरत नहीं होगी। मुझे उम्मीद है कि ऐसा ही होगा।”

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नेतन्याहू ने अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के परमाणु संस्थानों पर हमले के बाद एक वीडियो संदेश में कहा कि आज रात के अभियान के पूरा होने के तुरंत बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने उन्हें फोन किया था। उनके साथ बातचीत बहुत आत्मिक और भावनात्मक थी। नेतन्याहू ने इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की है।

अपने वीडियो संदेश की शुरुआत में नेतन्याहू ने कहा, ‘बधाई हो प्रेसीडेंट ट्रंप।’

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डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला इतिहास बदलने वाला साबित होगा।

ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने का आपका साहसिक निर्णय इतिहास बदल देगा। नेतन्याहू ने आगे कहाकि अमेरिका ने जो किया है वो कोई अन्य देश नहीं कर सकता।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आगे कहा कि इजरायल और अमेरिकी सेना के समन्वय से यह हमला अंजाम दिया गया है। इसके साथ ही ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने का उनका वादा पूरा हो चुका है। नेतन्याहू ने कहा कि इस जंग की शुरुआत से ही मैंने वादा किया था कि ईरान के परमाणु ठिकाने किसी न किसी तरह से नष्ट होंगे।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाली दुनिया का एक मजबूत नेता बताया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि ट्रंप इजरायल के सबसे बड़े दोस्त हैं और उनसे बड़ा दोस्त और कोई नहीं है। उन्होंने अपनी तरफ से, इजरायल की जनता तथा यहूदी समाज की ओर से ट्रंप का हार्दिक आभार जताया।

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इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह से अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इजरायली सेना और मोसाद, (देश की खुफिया एजेन्सी) के हमलों को और अधिक ताकत और अधिक तीव्रता के साथ जारी रखा है। उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमारे अस्तित्व के लिए खतरा है और यह पूरे विश्व की शांति के लिए भी संकट उत्पन्न करने वाला है।

 

बता दें तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और कोम के विपरीत दिशा में फोर्दो ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु स्थल है। यह ईरान की सबसे गुप्त और अत्यधिक सुरक्षित परमाणु सुविधा है जो एक पहाड़ के नीचे गहराई में दबी हुई है। फोर्डो संयंत्र जमीन से लगभग 90 मीटर नीचे पहाड़ की चट्टानों के बीच बना हुआ है, जिसकी वजह से भी इसे काफी सुरक्षित माना जा रहा था। इसे ईरान ने इस तरह से बनाया था कि यदि कोई भी देश साधारण बमबारी करता है तो ज्यादा नुकसान नहीं हो, लेकिन अमेरिका ने बमों का पूरा पेलोड गिराया है। ट्रंप ने हमले के बाद लिखा, “फोर्दो तबाह हो गया।” हालांकि, ईरान की ओर से अभी पुष्टि नहीं हुई है कि फोर्दो समेत तीनों परमाणु स्थलों को कितना नुकसान पहुंचा है।

 

हालांकि ईरान की ओर से यह दावा किया गया है कि संवर्धित यूरेनियम पहले ही साइट से हटा लिया गया था, लेकिन अमेरिका और इजरायल की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, इन ठिकानों पर परमाणु हथियार बनाने की दिशा में तैयारी जोरों पर चल रही थी।

बताया जा रहा है कि इजरायली और अमेरिकी हमलों से पहले, इस सुविधा में लगभग 2,000 सेंट्रीफ्यूज संचालित थे, जिनमें से अधिकांश उन्नत IR-6 मशीनें थीं, जिनमें से 350 तक 60 फीसदी तक संवर्धन कर रहे थे। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साल 2009 में घोषणा की कि ईरान वर्षों से गुप्त रूप से फोर्दो का निर्माण कर रहा था और इसकी जानकारी आईएईए को नहीं दी है। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तब कहा था, “इस सुविधा का आकार और विन्यास एक शांतिपूर्ण कार्यक्रम के साथ असंगत है।”

हाल ही में फोर्दो न्यूक्लियर साइट की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थीं, जिसमें पहाड़ों के एक समूह में बनी पांच सुरंगें देखी जा सकती हैं। इसके अलावा एक बड़ा सहायक ढांचा और एक विस्तृत सुरक्षा घेरा भी दिखाई दिया था। यह ईरान के पवित्र शहर कोम के पास स्थित है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऐतिहासिक सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि साल 2002-04 में इस साइट पर काम शुरू हुआ था, जिसमें दो सफेद चौकोर संरचनाएं दिखाई देती हैं जहां आज सुरंग के प्रवेश द्वार स्थित हैं। IAEA का कहना है कि उसके पास 2002 में भी निर्माण को दिखाने वाली अतिरिक्त इमेजरी है।

इस हमले के लिए अमेरिका ने बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर और जीबीयू 57 A/B MOP बमों का इस्तेमाल किया।

बता दें कि जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) बेहद खतरनाक है। इसे खासतौर पर जमीन के अंदर बनाए गए ठिकानों पर हमले के लिए तैयार किया गया है। यह मजबूत से मजबूत बंकर और टनल को तबाह करने में सक्षम है। यह मिलिट्री जीपीएस से चलता है कठिन से कठिन लक्ष्य को भी भेदने में कामयाब रहता है। एमओपी लंबाई में 20.5 फीट का होता है और इसका डायामीटर 31.5 इंच का रहता है। अगर वजन की बात करें तो यह 30 हजार पाउंड से कुछ कम वजनी होता है। एमओपी के अंदर 5300 पाउंड विस्फोटक होता है। बताया जाता है कि यह अपने पहले के हथियार बीएलयू-109 की तुलना में दस गुना अधिक घातक है।

एमओपी को जो बात सबसे अलग बनाती है, वह है इसकी जमीन के अंदर तबाही मचाने की क्षमता। यह जमीन के 200 फीट के अंदर जाकर धमाका करता है। इसे एक खास किस्म की हाई परफॉर्मेंस वाली स्टील की परतों में सुरक्षित किया जाता है। इससे एमओपी बड़े विस्फोटक पेलोड्स को ले जाने में सक्षम होता है। साथ ही इसकी जमीन के अंदर घुसने की क्षमता भी प्रभावित नहीं होती।

इस महा घातक बम को बोइंग ने बनाया है। बोइंग जीबीयू-57 को 2015 में तैयार किया था। एयरोस्पेस कंपनी से 20 ऐसे जीबीयू-57 बनाने के लिए संपर्क किया गया था। अपने वजन के चलते जीबीयू-57 अमेरिका में तैयार किया गया सबसे वजनी बम है। सबसे खास बात है कि यह बम केवल अमेरिका के ही पास है।

 

तेहरान के दक्षिण में शिया मुस्लिम पवित्र शहर कोम के बाहर पहाड़ों से सटे मैदान पर ईरान के संवर्धन कार्यक्रम के केंद्र में एक परिसर है। नातांज में दो संवर्धन संयंत्रों सहित सुविधाएं हैं: विशाल, भूमिगत ईंधन संवर्धन संयंत्र और ऊपर-जमीन पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र । निर्वासित्त ईरानी विपक्षी समूह ने 2002 में खुलासा किया कि ईरान गुप्त रूप से नातांज का निर्माण कर रहा था, जिससे पश्चिम और ईरान के बीच उसके परमाणु इरादों को लेकर कूटनीतिक गतिरोध पैदा हो गया जो आज भी जारी है। इसको व्यावसायिक पैमाने पर संवर्धन के लिए बनाया गया था, जिसमें 50,000 सेंट्रीफ्यूज रखे जा सकते थे। इजरायल और अमेरिकी हमलों से पहले, वहां लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज लगाए गए थे, जिनमें से लगभग 13,000 चालू थे।

ईरान के दूसरे सबसे बड़े शहर इस्फहान के बाहरी इलाके में एक बड़ा परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र है। इसमें फ्यूल प्लेट फैब्रिकेशन प्लांट और यूरेनियम सुविधा शामिल है जो यूरेनियम को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में संसाधित कर सकती है जिसे सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान इस्फहान में संवर्धित यूरेनियम भी संग्रहीत करता है। इस्फहान में यूरेनियम धातु बनाने के लिए उपकरण हैं, एक ऐसी प्रक्रिया जो विशेष रूप से प्रसार-संवेदनशील है क्योंकि इसका उपयोग परमाणु बम के कोर को तैयार करने के लिए किया जा सकता है। IAEA ने कहा है कि इस्फहान में सेंट्रीफ्यूज पार्ट्स बनाने के लिए मशीनें हैं, इसे 2022 में ‘नया स्थान’ बताया।

 

ईरान और इजरायल के बीच पिछले कई दिनों से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी। दोनों देश एक-दूसरे देशों पर मिसाइल और ड्रोन से हमले कर रहे थे। इस बीच, ट्रंप ने इजरायल के सपोर्ट करते हुए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। ट्रंप ने आगे कहा, “मिडिल ईस्ट के धमकाने वाले ईरान को अब शांति स्थापित करन चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो भविष्य में हमले कहीं अधिक बड़े और आसान होंगे। 40 वर्षों से, ईरान इजरायल को मौत, अमेरिका को मौत कहता आ रहा है। वे हमारे लोगों को मार रहे हैं, उनके हाथ उड़ा रहे हैं, सड़क किनारे बमों से उनके पैर उड़ा रहे हैं। उनके जनरल कासिम सुलेमानी ने बहुत से लोगों को मार डाला। मैंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। यह जारी नहीं रहेगा।”

ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने देश की परमाणु सुविधाओं पर हमलों को स्वीकार किया। एक ईरान के सरकारी टेलीविजन टिप्पणीकार ने कहा कि “आपने इसे शुरू किया और हम इसे समाप्त करेंगे।”

 

जाने बी-2 बॉम्बर विमान को जिससे अमेरिका ने उड़ाए ईरान के परमाणु ठिकाने

 

अमेरिका ने डिएगो गार्सिया में B-2 न्यूक्लियर स्टील्थ बॉम्बर तैनात किया था. यहीं से उड़ान भरकर ईरान के परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज, इस्फहान—पर हमले किए गए। यह बॉम्बर 11000 किमी की रेंज, 1010 किमी/घंटा गति और 80 छोटे या 16 परमाणु बम ले जा सकता है।

हिंद महासागर के मध्य में स्थित डिएगो गार्सिया द्वीप, जो एक गोपनीय सैन्य अड्डे के रूप में जाना जाता है। अमेरिका ने अपने सबसे घातक हथियार, B-2 स्पिरिट न्यूक्लियर स्टील्थ बॉम्बर को इस द्वीप पर तैनात किया था। यहीं से उड़ान भरकर ईरान पर हमला किया गया है। यह कदम इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उठाया गया था। आइए, इस तैनाती, B-2 बॉम्बर की विशेषताओं और ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

यह अमेरिकी वायुसेना का सबसे उन्नत और महंगा हथियार है। इसकी कीमत 2 बिलियन डॉलर प्रति यूनिट है। वर्तमान में अमेरिका के पास केवल 20 B-2 बॉम्बर हैं। यह विमान रडार की पकड़ में नहीं आता, जिससे यह दुश्मन के लिए लगभग अदृश्य हो जाता है। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ हमले के लिए डिज़ाइन किया गया यह बॉम्बर आज भी दुनिया का सबसे घातक सैन्य हथियार है.

B-2 की तकनीकी विशेषताएं

 

आकार और वजन: B-2 की लंबाई 69 फीट, पंखों की

 

चौड़ाई 172 फीट और ऊंचाई 17 फीट है. इसका खाली वजन 71,700 किलोग्राम है, लेकिन पूरे हथियारों के साथ यह 1.70 लाख किलोग्राम तक का वजन लेकर उड़ान भर सकता है।

गति और ऊंचाई: इसकी अधिकतम गति 1010

 

किलोमीटर प्रति घंटा है। यह आमतौर पर 900 किलोमीटर प्रति घंटा की कूज़िंग स्पीड पर उड़ता है। यह 50,000 फीट (लगभग 15 किलोमीटर) की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जिससे यह दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बच निकलता है।

 

चालक दलः इसे केवल दो लोग संचालित करते हैं-एक पायलट और एक मिशन कमांडर।

 

रेंज: इसकी रेंज 11000 किलोमीटर है. हवा में ईंधन भरने की सुविधा के साथ यह और भी लंबी दूरी तय कर सकता है।

 

B-2 बॉम्बर अपनी दो इंटरनल बे (आंतरिक हथियार डिब्बों) में कई प्रकार के हथियार ले जा सकता है।

पारंपरिक बमः 80 छोटे बम (230 किलोग्राम के Mk-82 या GBU-38) या 36 CBU क्लास बम (340 किलोग्राम).

 

परमाणु बमः 16 B61 या B83 न्यूक्लियर बम, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं।

 

बंकर बस्टर बमः दो GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP), जिनका वजन 13,600 किलोग्राम है और जो 200 फीट गहरे कंक्रीट बंकरों को भेद सकते हैं।

 

मिसाइलें: AGM-154 ज्वाइंट स्टैंडऑफ वेपन और AGM-158 ज्वाइंट एयर टू सरफेस स्टैंडऑफ मिसाइल (JASSM), जो सटीक हमले के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

 

B-2 की यह क्षमता इसे ईरान के फोर्डो परमाणु साइ जैसे गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए बेहतरीन है, जो पहाड़ों के नीचे 90 मीटर की गहराई में स्थित है।