
बिहार चुनाव के बीच आज बिहार रत्न शारदा सिन्हा को याद करते हैं…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
अभी-अभी छठ पूजा का समय गया ही है और बिहार विधानसभा चुनाव की गर्माहट बिहारवासियों को ऊर्जा से भर रही है। ऐसे में हम आज छठ गीतों के लिए प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका बिहार कोकिला, बिहार गौरव,बिहार रत्न, पद्म विभूषण शारदा सिन्हा को याद करते हैं।शारदा सिन्हा (1 अक्टूबर 1952–5 नवम्बर 2024) एक भारतीय लोक संगीत और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गायिका थीं। वे मुख्यतः मैथिली, भोजपुरी और मगही भाषाओं में लोकगीत गाती थीं, और उन्हें बिहार कोकिला और भोजपुरी कोकिला के नाम से जाना जाता था। शारदा सिन्हा ने अपने गायन की शुरुआत मैथिली लोकगीतों से की थी। वे छठ महापर्व पर गाए जाने वाले पारंपरिक गीतों के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं। उन्होंने भोजपुरी, मगही और हिंदी में भी कई लोकगीत गाए।
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के रघोपुर प्रखंड के हुलास गाँव में एक भूमिहार परिवार में हुआ था। वे अपने पिता सुखदेव ठाकुर की नौ संतानों में इकलौती बेटी थीं। उनकी ससुराल बेगूसराय जिले के सिहामा गाँव में है।
शारदा सिन्हा का विवाह 1970 में ब्रजकिशोर सिन्हा से हुआ था। उनके दो संतान पुत्र अंशुमान और पुत्री वंदना हैं। 2024 में पति की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद, 5 नवम्बर को एम्स दिल्ली में 72 वर्ष की उम्र में शारदा सिन्हा का निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार पटना में राज्य सम्मान के साथ किया गया था।उन्हें 1991 में पद्म श्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार,2018 में पद्म भूषण, 2025 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) प्रदान किया गया था। तो 2015 में बिहार रत्न व बिहार गौरव से सम्मानित हुई थीं।
सिन्हा ने कुछ हिंदी फिल्मी गानों में भी अपनी आवाज दी थी , जिनमें सलमान खान की पहली फिल्म मैंने प्यार किया से “काहे तो से सजना”, अनुराग कश्यप की समीक्षकों द्वारा प्रशंसित गैंग्स ऑफ वासेपुर भाग 2 से “तार बिजली”, चारफुटिया छोकरे से “कौन सी नगरिया” और नितिन नीरा चंद्रा की देसवा शामिल हैं। सिन्हा अपने छठ संबंधी भक्ति गीतों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 2018 में एक दशक बाद छठ पर दो नए गीत प्रस्तुत किए। उनके भक्ति गीतों का आखिरी एल्बम 2006 में रिलीज़ हुआ था। सुपावो ना मिले माई और पहिले पहिल छठी मैया जैसे गीतों के साथ शारदा ने लोगों से छठ के दौरान बिहार आने का आग्रह किया। त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले अन्य छठ गीतों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके , हे छठी मईया , हो दीनानाथ , बहंगी लचकत जाए , रोजे रोजे उगेला , सुना छठी माई , जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं। हालांकि ये गाने पुराने हैं, फिर भी प्रासंगिक हैं और भक्त इन्हें हर साल बजाते हैं। शारदा ने 3 नवंबर 2016 को द टेलीग्राफ को बताया, “संगीत कंपनियों की मनमानी और अच्छे गीतों की कमी ने मुझे अब तक दूर रखा था। इस साल जब ये मुद्दे सुलझ गए, तो मैंने गानों को अपनी आवाज़ दी।” गानों की शूटिंग में 20 दिन लगे, जिन्हें दिवाली पर रिलीज किया गया।
तो जब तक छठ पूजा होगी तब तक शारदा सिन्हा के छठ मैया के गीत भी बिहारवासियों के दिलों में गूंजते रहेंगे। और जब तक सूरज चांद रहेंगे तब तक शारदा सिन्हा का नाम भी बिहारवासियों की जुबां पर रहेगा। ऐसे व्यक्तित्व कम ही होते हैं जिनके नाम से, जिनकी आवाज से उस राज्य को जाना जाए, शारदा सिन्हा का नाम उन्हीं में से एक है। छठ मैया की पूजा और बिहार विधानसभा चुनाव के बीच हम आज बिहार रत्न, बिहार गौरव शारदा सिन्हा को याद कर गौरवान्वित हैं…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





