Amka Jhamka Temple : श्री कृष्ण-रुक्मणी हरण स्थल 5 हजार साल पुराना, मंदिर के शिलालेख पर प्रमाण अंकित!  

आज यहां मुख्यमंत्री का आगमन, कई घोषणाओं की उम्मीद!

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Amka Jhamka Temple : श्री कृष्ण-रुक्मणी हरण स्थल 5 हजार साल पुराना, मंदिर के शिलालेख पर प्रमाण अंकित!

अमझेरा से गोपाल खंडेलवाल की रिपोर्ट

Amjhera (Dhar) : प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की पहल के बाद धार जिले का अमझेरा स्थित प्राचीन श्री कृष्ण रुक्मणी हरण स्थल :मां अमका झमका तीर्थ स्थल’ अब पूरे प्रदेश में विख्यात हो गया। मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में दूसरी बार रविवार को अमझेरा आ रहे हैं। तीर्थ पर मांग अनुसार निर्माण कार्य समेत अन्य सौगात देने का प्लान तैयार किया जा चुका है। इस कार्य पर्यटन विभाग को सौंपा जा सकता है। क्योंकि, तीर्थ पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित किया जाएग। रविवार को अमझेरा में जन्माष्टमी उत्सव की शुरुआत भी होगी।

विंध्याचल की गोद में बसा माता अमका झमका तीर्थ मालवा क्षेत्र की आखिरी सीमा पर बसा है। अमझेरा का नाम पूर्व में कुंदनपुर था। यहां के राजा भीष्मक थे और माता रुक्मणी राजा की पुत्री थी। माता रुक्मणी ने भगवान श्री कृष्ण से विवाह करने की प्रतिज्ञा भी यही ली थी। अमका झमका तीर्थ के पुजारी सुमित पंडित ने बताया कि किदवंति है कि द्वापर काल में माता रुक्मणी ने एक पाती (पत्र) भगवान श्री कृष्ण को लिखी थी। इसमें उल्लेख था कि तीन परिक्रमा के पूर्व दूसरी परिक्रमा पूरी होते ही भगवान श्री कृष्ण मंदिर पहुंच गए थे। यहां दर्शन के बाद माता रुक्मणी भगवान श्री कृष्ण के साथ चली गई थी। तब से इस स्थान का नाम श्री कृष्ण-रुक्मणी हरण स्थल के रूप में विख्यात हुआ।

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1720 ई में अमर शहीद राजा बख्तावर के वंशज महाराजा लालसिंह ने मंदिर का जीर्णोध्दार कराया था। लाल पाषाण से निर्मित मंदिर पर आज भी कृष्ण लीला अंकित है। मंदिर में प्राचीन सूरज कुंड, कल कल बहता झरना,पवार वंश की कुल देवी माता चामुंडा मंदिर स्थित है। तीर्थ परिसर दो भाग मे स्थित है। पहला भाग श्री कृष्ण रुक्मणी हरण स्थल है। दूसरा भाग पांडव कालीन गुफा है। गुफा में माता झमका, प्राचीन शिवलिंग, भगवान दत्तात्रेय की प्राचीन मूर्ति स्थापित हैं। इस प्राचीन गुफा में पांडवों ने विश्राम किया था।

जीर्ण-शीर्ण स्थिति जनसहयोग से बदली

श्री कृष्ण रुक्मणि हरण स्थल लगभग 5 हजार साल पूर्व का निर्माण है। 15 वर्ष पचले स्थानीय ग्रामीणों ने तीर्थ जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और 15 साल में जनसहयोग से तीर्थ की सूरत बदल दी। स्थानीय ग्रामीणों ओर दानदाताओं के जनसहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य आज भी लगातार जारी है।

अब तक यहां सूरज कुंड, उद्यान, चामुंडा माता मंदिर निर्माण, अंबिका माता मंदिर निर्माण कार्य, कार्यालय आदि अन्य निर्माण कार्य दानदाताओं के सहयोग से किया गया। मुख्य द्वार का निर्माण कार्य भी इन दिनों चल रहा हे। दिवगंत भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज द्वारा भी यहां भवन की सौगात दी गई थी। पूर्व कलेक्टर आलोक कुमार सिंह, जिला पंचायत पूर्व सीईओ संतोष वर्मा द्वारा वाल, स्टॉप डेम, पौधा रोपण आदि कार्य किए गए। राज राजेश्वर महादेव समिति भी यहां निर्माण कार्य लगातार कर रही है। पर्यटन की दृष्टि से अब मंदिर पर मूल भूत सुविधा की आवश्यकता हे।