जलकुंभी से भरा अमृत सागर तालाब, सौन्दर्यीकरण की कछुआ चाल!
Ratlam : मध्य प्रदेश का रतलाम शहर जो सोना, सेव और साड़ी के नाम से पहचाना जाता हैं। 4 लाख जनसंख्या वाले इस शहर में 1 समस्या ऐसी हैं जिसके निदान को लेकर नगर निगम द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए। लेकिन समस्या जस की तस हैं। हां हम बात कर रहें हैं शहर त्रिपोलिया गेट स्थित अमृत सागर तालाब में फैली जलकुंभी की। सैकड़ों समाजसेवियों की इस तालाब की सूरत सुधारने की कोशिश भी व्यर्थ गई, निगम प्रशासन द्वारा इस समस्या के निदान हेतु करोड़ों रुपए खर्च किए गए जो व्यर्थ हो गए। इस तालाब के चारों ओर चल रहें सौंदर्यीकरण कार्य की धीमी गति निगम प्रशासन की लापरवाहीं दर्शा रही हैं।
झील संरक्षण योजना के अंतर्गत मुंबई की क्लीन टेक कंपनी ने सन 2021 में नगर निगम को मशीन दी गई थी, जिसकी कीमत 2.90 करोड़ थी। 8 से 10 माह यह मशीन तालाब में चली थी और लगभग डेढ़ हजार ट्राली जलकुंभी अमृत सागर तालाब से निकाली गई थी। उसके बाद तालाब का पानी साफ हो गया था।
और जब तक मशीन तालाब में चलती रही तालाब में जलकुंभी नहीं थी, विगत वर्ष निगम प्रशासन द्वारा इंदौर के सिरपुर तालाब से जलकुंभी निकालने, सफाई करने के लिए 45 दिन के लिए इंदौर भेजना तालाब की बदकिस्मती साबित हो गई, नतीजा यह हुआ कि समूचे तालाब में जलकुंभी ने कब्जा कर लिया।
पिछले दिनों यह मामला जब अखबारों की सुर्खियां बना तो जलकुंभी हटाने को लेकर कमिश्नर हिमांशु भट्ट ने 8 अप्रैल को कंपनी के अधिकारियों को फटकारा इसके 10 दिन बाद हार्वेस्टर मशीन तालाब में चलना शुरू हो गई थी जो आज तक भी तालाब के हालात नहीं सुधार सकी। तालाब की स्थिति ऐसी निर्मित हो गई जैसे कोई हरी घास का मैदान हों।
*क्यों खतरनाक है जलकुंभी?*
जलकुंभी को भारत में बंगाल का आतंक भी कहा जाता हैं। यह पौधा रुके हुए जल में वृद्धि करता हैं जो जल से ऑक्सीजन खींच लेता हैं। इस वजह से वहां की सारी मछलियां मर जाती हैं। यह एक बहुत तेजी से फैलने वाला खरपतवार हैं। यह जैव विविधता नुकसान का भी एक कारण है जो अनेक जलीय प्रजातियों को अपनी उपस्थिति के कारण नष्ट कर देता हैं। यह अल्प समय में ही संपूर्ण पानी में फैल जाता हैं और उसे ढंक देता हैं इससे छुटकारा पाना बहुत कठिन होता हैं।