एक शाम राग हेमंत के नाम: दुष्यंत संग्रहालय में हेमंत देवलेकर का कविता पाठ
Bhopal: दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के राज सदन में दुष्यन्त संग्रहालय और वनमाली सृजन पीठ द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित कार्यक्रम में हेमंत देवलेकर का कविता पाठ एवं उनके रचनाकर्म पर चर्चा आयोजित की गई।
इस आयोजन में हेमंत देवलेकर ने तेरा पड़ोस, अनाथालय में ईश्वर, समय और बचपन ,जूता ,लोरी, हिंदी ,भैंस का बच्चा ,प्रेम की अनिवार्यता, हमारी उम्र का कपास और रात में वोट क्लब रचनाओं का पाठ किया। अभिव्यक्ति के अनेक माध्यम है जिनमें सिद्धहस्त आप कवि बने रहने की चुनौतियों और जरुरत को आप किस नजरिए से देखते हैं- इस प्रश्न के जबाब में हेमंत ने बताया कि भाव प्रवणता के कारण ही सृजन के विभिन्न आयामों पर मेरे लिये काम करना संभव हो पाता है।मैं मानता हूं कि मुझे पर सरस्वती की असीम अनुकम्पा है और कुछ बातें ऐसी हैं जो सीखी नहीं जाती वे हमारे अंदर अपने आप चली आती है।
उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर कविता का जन्म प्रेम से होता है ,पर मेरी कविताओं का जन्म ममता से हुआ है। वन माली सृजन पीठ की भोपाल इकाई की संयोजक विशाखा राजुरकर से चर्चा में अपनी सृजन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए हेमंत ने ने बताया कि वर्ष 2007 मे मैं उज्जैन से भोपाल आया तो सबसे पहले वनमाली में ही मैंने सबसे पहले कविता पाठ किया था जो मेरे लिये अमूल्य निधि है।
उल्लेखनीय है कि वनमाली सृजन पीठ की नवगठित भोपाल ईकाई का यह दूसरा और दुष्यंत संग्रहालय में पहला आयोजन हेमंत देवलेकर पर केंद्रित था। वनमाली की भोपाल ईकाई की अध्यक्ष डां वीणा सिन्हा ने वनमाली की नवगठित ईकाई के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक रचनाकार पर केन्द्रित आयोजनों की श्रंखला निरंतर जारी रहेगी।
विश्वरंग के स्वप्न दृष्टा श्री संतोष चौबै ने इस अवसर पर हेमंत की कविताओं पर अपनी टिप्पणी करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। दुष्यन्त संग्रहालय के अध्यक्ष श्री रामराव वामनकर, वनमाली सृजन पीठ की भोपाल ईकाई की अध्यक्ष डां वीणा सिन्हा सुश्री रक्षा दुबे चौबे,सुश्री ज्योति रघुवंशी के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन दुष्यंत संग्रहालय की सचिव करुणा राजुरकर ने दिया एवं आभार वनमाली भोपाल ईकाई की सदस्य रक्षा दुबे चौबे ने व्यक्त किया।इस अवसर पर श्री विनय उपाध्याय,सौरभ अनंत,संजय सिंह, सावत्री परिहार, बिहारी लाल सोनी अनुज,वी के श्रीवास्तव, लोकेश गुलियानी सहित अनेक सुधि श्रोताओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति ने आयोजन को सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचाया।
*हेमंत की चुनिंदा पंक्तियां*
कप बशियों के टकराने की आवाज़
एक भाषा है आत्मीयता की।
प्रेम के शुरुआती दिन है
इन दिनों से ज्यादा संवेदनशील
और दुविधापूर्ण कुछ भी नहीं।
उन्होंने कहा लिखो
मैं मोबाइल पर टाइप करने लगा
उन्होंने फिर कहा लिखो
मेरे हाथ से मोबाइल फिसलकर गिर गया
वे पूर्वज थे खिन्न होकर चले गये
मेरे हाथ से सारी लिपि फिसल गई।