आप और आपका शहर:
अग्रणी न्यूज़ पोर्टल mediawala.in पर हम अपने शहर को परिचित कराने की दृष्टि से नई श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। नाम है ‘आप और आपका शहर’।
इस श्रृंखला का पहला लेख हमारे अग्रज बीएल तिवारी का हैं जो पिछले 54 साल से इंदौर शहर में रह रहे हैं।
आप भी चाहे तो अपने शहर, उसकी विशेषता,अपने कार्यक्षेत्र ,अपने परिवार, बचपन से बड़े होने तक का सफर , अपनी रुचि के साथ अपना आलेख मीडियावाला को भेज सकते हैं. हम उसे सहर्ष mediawala.in पर प्रकाशित करना चाहेंगे।
संबंधित फोटोग्राफ्स भी जरूर भेजिए।कृपया अपने शहर की परिक्रमा अवश्य कीजिये और हमारे पाठकों को भी करवाइए।
इस बार प्रथम किश्त में हम साझा कर रहे हैं , श्री बी एल तिवारी जी के धार से इंदौर आने के बाद के संस्मरण –
श्रृंखला का पहला लेख
आप और आपका शहर:धारकर से इंदौरी होने का 54 वर्ष का अपनत्व भरा अकल्पनीय सफर
बी एल तिवारी
मैं मूलत: धार का निवासी होकर अच्छी नौकरी हेतु करीब 54 वर्ष पूर्व इंदौर आ गया थाl प्रारंभ में धार छोड़ने का जितना दुख हुआ था उतना ही सुख इंदौर आने पर मिला।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर में नौकरी मिलना एक सुखद अहसास थाl इन 54 वर्षों में इंदौर को बदलते हुए देखा है। नर्मदा मैया के इंदौर आने के बाद इंदौर शहर बहुत ही तेज गति से चारों दिशाओं में हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। विकास की यह गाथा अकल्पनीय हैl पहले भी इंदौर प्रदेश का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण शहर था ,आज भी प्रदेश में सबसे बड़ा होकर इसने महानगर का रूप ले लिया है l
आज के इंदौर से चोपन वर्ष पूर्व के इंदौर का तुलना करना बेमानी होगा। अब इंदौर में नए-नए चौड़े रोड, फ्लाई ओवर , बड़ी-बड़ी मल्टियां आकार ले चुकी हैं ।lपहले सिरपुर तालाब से पलासिया एवं महूनाका से मिल एरिया तक का ही इंदौर मान लिया जाता थाl अब इंदौर विकास की नई गाथा रच रहा है।जहां तक व्यावसायिक गतिविधियों का सवाल है यह दिन दूनी रात चौगुनी के हिसाब से बढ़ रही हैं।
इंदौर प्रदेश कीऔद्योगिक राजधानी बन चुका है lपहले शहर में टांगे व टेंपो चलते थे। अब परिवहन के साधन भी बदल गए हैं।मुझे याद है राजवाड़ा की दीवाल से सटकर एक तांगा स्टैंड था। अप्सरा होटल के पास पान खाने के लिए लोग तांगे से जाते थे। इसी प्रकार टेंपो जिसमें करीब सात आठ सवारी बैठती थी वे शहर के विभिन्न रूट पर संचालित होते थेl यह टेंपो धुआ बहुत छोड़ते थे । प्रदूषण के कारण यह बाद में बंद हो गए । अब मैजिक , मारुति वैन एवं सिटी बस चल रहे हैं और शीघ्र ही मेट्रो आने वाली है। बसों से शीघ्र परिवहन के लिए कॉरिडोर बन गया है।आज शहर के हर भाग के लिए सिटी बस उपलब्ध होती है, वह भी अल्प खर्चे में । शहर में प्रदूषण कम हो एवं सड़कों पर बढ़ते हुए वाहनों को कम करने में इंदौर में इन बसों के लिए अधिक भीड़भाड़ वाले पूर्वी क्षेत्र के लिए करीब 12 किलोमीटर का अलग से बी आर टी एस बनाया गया है। आज बस से दशहरा मैदान के कलेक्टर कार्यालय जाने हेतु सिर्फ ₹5 लगते हैंl मुझे याद है आज से 30 35 वर्ष पूर्व शहर में साइकिल परिवहन के साधन के रूप में अत्यधिक काम में लाई जाती थी। वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या अतिक्रमण व बढ़ते वाहनों के कारण साइकिल का उपयोग नहीं के बराबर हो गया हैl अभी सड़कों पर इतनी भीड़ रहती है की दो पहिया वाहन चलाना भी दुष्कर कार्य हो गया हैl
आज हर घर में हर व्यक्ति के हिसाब से दो पहिया वाहन व एक दो चार पहिया वाहन मिल जाते हैंl बाजार में पार्किंग की विकराल समस्या हैl सार्वजनिक पार्किंग निश्चित जगह पर रहता है lजीवन की आपाधापी में व्यस्तता के कारण समय बचाने हेतु खरीदारी करने वाला व्यक्ति बाजार में दुकान के सामने ही अपने वाहन को पार्क करता है, परिणाम स्वरुप सड़क और सकडी हो जाती है। यातायात विभाग जाम की समस्या को शीघ्र हल करने में लगा हुआ है। सार्वजनिक परिवहन को भी इसी लिए बढ़ावा दिया जा रहा है ।
अतिक्रमण की शहर में विकराल समस्या है जिसे शीघ्र समाधान बहुत जरूरी है। यद्यपि समय-समय पर नगर निगम व प्रशासन अतिक्रमण हटाने हेतु कार्यवाही करते हैं पर वह पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। फिर से उसी जगह पर फिर अतिक्रमण हो जाता है l
इन विपरीत परिस्थितियों के होने के बाद भी यदि कुछ नहीं बदला है तो वह है इंदौर का खानपान व इंदौरी अपनापन। जहां तक मुझे स्मरण आता है जो व्यक्ति शासकीय सेवा अथवा अन्य कारण से बाहर से कुछ समय के लिए आता है वह वापस जाना नहीं चाहता lवह अपना स्थाई निवास यहीं बना लेता है। यहां का मौसम खान-पान भौगोलिक स्थिति की सुविधा व अपनेपन की भावना उसे यहां का बना देती हैl इंदौरी नमकीन व मिठाई न सिर्फ प्रदेश व देश में ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रसिद्ध हैl इंदौर के जलेबी पोहे की बात नहीं करें तो इंदौर की शान में गुस्ताखी होगीl
इंदौर की सराफा एवं 56 दुकान की चाट चौपाटी विश्व प्रसिद्ध हो चुकी है l इंदौर में नमकीन और मिठाई की अनगिनत दुकानें हैंl जब भी कोई इंदौरी बाहर जाता है तो उपहार के रूप में इंदौर की नमकीन और मिठाई ही ले जाता है lहर घर में 12 महीने नमकीन व मीठा उपलब्ध रहता है lकई कार्यालय में मध्यांतर के समय सेव परमल बूंदी एवं प्याज मिलाकर जिसे इंदौरी बाटा कहते हैं ,खाना पसंद करते हैl एक दूसरे की कुशलछेम जानने के लिए सुबह-शाम मित्रों के साथ मोहल्ले के गार्डन में एक-एक घंटा घूमना बैठना व कई प्रकार की चर्चाएं करना यहां के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा हैl हम भी सात आठ मित्रों के समूह में है गार्डन में बैठकर गपशप करते हैंl इस समय को प्रीमियम समय माना जाता हैl
भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग में इंदौर के पास में ओंकारेश्वर एवं उज्जैन दो ज्योतिर्लिंग होने एवं प्रातः स्मरणीय माता अहिल्या की राजधानी महेश्वर एवं औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर तथा धार के नजदीक ऐतिहासिक स्थल मांडव होने से इंदौर पर्यटन एवं औद्योगिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन गया हैl इस कारण बीते वर्षों में रेलवे, हवाई सेवा में भी काफी सुधार हुआ है। अन्य शहरों से कनेक्टिविटी काफी बढ़ गई हैl
यह लिखने में मुझे कोई हिचक नहीं है कि इन चोपन वर्षों में मैं और मेरा परिवार धारकर से इंदौरी बन गया है। हम यहां रम गए हैंl