Analysis of IAS-IPS Reshuffle : MP में प्रशासनिक और पुलिस फेरबदल के बहाने सरकार ने दिया संदेश!
‘मीडियावाला’ के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी का विश्लेषण
मध्य प्रदेश में कल देर रात प्रशासनिक और पुलिस विभाग में बड़े पैमाने पर हुए फेरबदल के बहाने सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को संदेश देने की कोशिश की है। एक और जहां कई अधिकारियों को उनके आग्रह पर पोस्टिंग दी गई, वहीं कुछ अधिकारियों को कुछ ही महीने में ही चलता कर दिया। इस फेरबदल में प्रमुख सचिव स्तर के दो अधिकारी सचिन सिन्हा और संजीव झा को राजस्व मंडल ग्वालियर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी प्रकार आयुक्त तकनीकी शिक्षा मदन विभीषण को भी राजस्व मंडल भेजा गया है। माना जा सकता है कि ये अधिकारी सरकार को सही परिणाम नहीं दे पा रहे थे। उनके कामकाज से वरिष्ठ अधिकारी भी प्रसन्न नहीं थे, जिसका खामियाजा इन्हें अंततः भुगतना पड़ा।
इस फेरबदल में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी उमाकांत उमराव की राजस्व मंडल से मंत्रालय में वापसी हुई। सरकार उन्हें अब श्रम विभाग का प्रमुख सचिव बनाकर मुख्य धारा में लाई है। प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार जा रहे हैं उनके कुछ विभागों का तो पहले से ही प्रभार अन्य अधिकारियों को दे दिया गया था। लेकिन, खनिज जैसे संवेदनशील विभाग का प्रभार अब मुख्यमंत्री ने अपने विश्वसनीय प्रमुख सचिव संजय शुक्ला को अतिरिक्त रूप सेसौंपा है।
Major Administrative Reshuffle: MP में 7 कलेक्टर सहित 26 IAS अधिकारियों के तबादले
इस फेरबदल में सात कलेक्टरों को हटाया गया है और पांच कलेक्टरों की पहली बार नियुक्ति हुई। दो ऐसे कलेक्टरों को बदला गया जिन्होंने अभी 6 महीने का कार्यकाल भी पूरा नहीं किया था। इनमें विदिशा के कलेक्टर बुधेश वैद्य जो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कभी उपसचिव होकर उनके निकट अधिकारी रहे हैं। उन्हें 5 महीने में ही विदा होना पड़ा। बताया गया कि वीजा मंडल मंदिर में नाग पंचमी की पूजा रोकने के लिए उसे पुरातत्व विभाग के आदेश से मस्जिद बताए जाने और पूजा करने पर ₹200000 जुर्माना और 1 साल की जेल की सजा के प्रावधान का आदेश जारी कर वैद्य ने खुद ही अपने तबादले की नींव रख दी थी। जैसे ही उन्होंने यह आदेश जारी किया, वैसे ही वे विवादों में आ गए थे।तब से ही सभी को समझ में आ रहा था कि अब वह ज्यादा दिन विदिशा के कलेक्टर नहीं रह पाएंगे और यह हुआ भी।
विदिशा का कलेक्टर संचालक जनसंपर्क रोशन सिंह को बनाया गया है। उनकी गिनती मुख्यमंत्री मोहन यादव के विश्वसनीय अधिकारी के रूप में होती है। इसी प्रकार शहडोल के कलेक्टर तरुण भटनागर को हटाने की कहानी भी चर्चा में है। बताया गया है कि वहां के एक बड़ी कमाई के विभाग के पावरफुल अधिकारी से उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही थी। कहा जाता है कि तरुण की मंशा के अनुरूप वे कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहे थे,उस अधिकारी के इस सरकार में बहुत वजनदार मंत्री से संपर्क होने से उनके तबादले की बात कही जा रही है।
सागर जिले में दीवार गिरने वाले हादसे के बाद वहां के कलेक्टर दीपक आर्य का तबादला भी तय माना जा रहा था। सरकारी सौजन्यता का एक और उदाहरण यह है कि अनूपपुर कलेक्टर आशीष वशिष्ठ और उनकी पत्नी डॉ सलोनी सिडाना (कलेक्टर मंडला) को एक साथ भोपाल पदस्थ किया गया। दिनों को उनकी योग्यता के अनुरूप काम भी सौंपा गया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2012 बैच के एक अधिकारी जहां चार जिलों के कलेक्टर रह चुके हैं, वहीं इस बैच के कई अधिकारी अभी भी कलेक्टर बनने की बांट जोह रहे थे। इन्हीं अधिकारियों में एक अधिकारी केदार सिंह भी हैं, जिन्हें अब कलेक्टर शहडोल बनाया गया है। हालांकि, इसी बैच के विवेक क्षोत्रिय और अन्य अधिकारी फिर से एक बार कलेक्टर बनने का इंतजार ही करते रह गए।
पुलिस विभाग के तबादलों में सौजन्यता
पुलिस विभाग में हुए तबादलों की बात करें, तो शहडोल के एडीजी दिनेश सागर ने सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्हें शहडोल से भोपाल स्थानांतरित कर दिया गया। दरअसल, सोशल मीडिया पर सागर ने एक पोस्ट लिखकर कहा है कि मां के अस्वस्थ होने और भोपाल में उपचार के संबंध में अपना तबादला भोपाल करने का सरकार से निवेदन किया था। उन्होंने उसे स्वीकार करने के लिए मुख्यमंत्री और डीजी को धन्यवाद भी दिया।
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वैसे शहडोल में जिस अधिकारी को आईजी बनाया गया है वे केवल 1 साल ही रह पाएंगे क्योंकि उनका उसके बाद रिटायरमेंट है।पता चला है कि इसी प्रकार DIG अमित सांघी और कृष्णा वेणी देशावतु का तबादला भी क्रमशः ग्वालियर और भोपाल भी उन दोनों के आग्रह पर ही किया गया।
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