कीर्ति राणा की खास खबर
इंदौर: लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाने वाली सुमित्रा महाजन ने फिर एक कीर्तिमान बनाया है।अपने मनीषपुरी स्थित निवास में एक हिस्से को उन्होंने लायब्रेरी में तब्दील कर दिया है, इंदौर के राजनीतिक इतिहास में अपने किस्म की यह अनूठी पहल है।
शिक्षा-ज्ञान की देवी सरस्वती के स्मरण दिवस बसंत पंचमी पर ताई ने इस लायब्रेरी की शुरुआत की है। किताब पढ़ने में रुचि रखने वाला शहर का कोई भी शख्स एक निर्धारित समय में यहां किताब पढ़ने जा सकता है।वह किताब घर भी ले जा सकता है लेकिन उसे उतनी ही जिम्मेदारी से लौटाना भी होगी। वरना तो ज्यादातर लोगों का यह कटु अनुभव रहा है कि पढ़ने के नाम पर यार-दोस्त किताब ले तो जाते हैं लेकिन लौटाना याद नहीं रखते और ‘सबसे अच्छा दोस्त’ कही जाने वाली किताबों के कारण दोस्ती में दरार पड़ने के हालात भी बन जाते हैं।
एडवोकेट जयंत महाजन से 1966 में विवाह के पहले बचपन में चिपलुण गांव (जिला रत्नागिरी, महाराष्ट्र) के तिलक वाचनालय में बाल विभाग की नियमित पाठक रहीं सुमित्रा इंदौर की बहू बन कर आईं। नंदलालपुरा में रहते हुए सुमित्रा महाजन भगिनी मंडल से जुड़ीं और 1970-71 से महर्षि अरविंद, स्वामी विवेकानंद, झांसी की रानी, अहिल्यादेवी पर और बाद में रामायण, महाभारत के स्त्री पात्रों पर हिंदी-मराठी में प्रवचन देने लगीं।
इन चरित्रों पर बोलने के पहले इनसे जुड़ा साहित्य पढ़ना पड़ता था।ताई की पढ़ने की रुचि का पता चलने पर उन्हें किताबें भेंट करने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। इन चार-पांच दशकों में उन्हें धर्म, साहित्य, आरएसएस, भाजपा, कविता, कहानियों, उपन्यास आदि किताबें भेंट में मिलती रहीं। अब भले ही ताई उस वार्षिक भोज आयोजन को भूल गई हों लेकिन दीपावली के बाद भाईदूज पर मीडियाकर्मियों को हर वर्ष भोज पर आमंत्रित कर उन्हें किताबें भेंट करने का सिलसिला भी उन्होंने शुरु किया था।
नंदलालपुरा से जब वे मनीषपुरी शिफ्ट हुईं तो अनगिनत किताबें भी साथ आ गईं।अब जब ताई तमाम राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त हैं तो ज्ञान के प्रसार की दृष्टि से घर में निशुल्क लायब्रेरी की शुरुआत की है। फिलहाल 8 बड़ी अलमारियों में किताबें हैं। बाकी किताबों के लिए और व्यवस्था होना है।
आप का इंतजार कर रही हैं किताबें
- सुमित्रा महाजन के 68 मनीषपुरी स्थित निवास के एक हिस्से में 4 फरवरी (बसंत पंचमी) से लायब्रेरी शुरु हो गई हैं।
- किताबें आप का इंतजार कर रही हैं। शाम 4 से 6 बजे तक जा सकते हैं।
- रजिस्टर में अपना नाम/नंबर आदि दर्ज कर अपनी पसंद की किताबें पढ़ने के लिए घर ला सकते हैं, शर्त यही है कि किताब वापस लौटाना भी होगी।