Answer on Hijab in High Court : हिजाब धार्मिक परंपरा नहीं, इसे शैक्षणिक संस्थानों से बाहर रखा जाना चाहिए’

कर्नाटक सरकार ने अदालत में कहा 'हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया'

1031
Answer on Hijab in High Court : हिजाब धार्मिक परंपरा नहीं, इसे शैक्षणिक संस्थानों से बाहर रखा जाना चाहिए'

Bengaluru : सोमवार को कर्नाटक सरकार ने हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ से राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कहा कि हमारा यह रुख है कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है। डॉ भीम राव आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि ‘हमे अपने धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रख देना चाहिए।

बसवराज बोम्मई सरकार की और से पेश होते हुए महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने अदालत में तर्क दिया कि यह निर्धारित करने के लिए तीन टेस्ट हैं कि क्या कोई प्रथा आवश्यक धार्मिक प्रथा है। क्या यह मूल विश्वास का हिस्सा है? क्या यह प्रथा उस धर्म के लिए मौलिक है? यदि उस प्रथा का पालन नहीं किया जाता है, तो क्या धर्म का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा?

अदालत ने पूछा सवाल, इजाजत है या नहीं?
मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया कि आपने दलील दी है कि सरकार का आदेश नुकसान नहीं पहुंचाएगा और राज्य सरकार ने हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया है तथा न इस पर कोई पाबंदी लगाई है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि छात्राओं को निर्धारित पोशाक पहनना चाहिए। आपका क्या रुख है? हिजाब को शैक्षणिक संस्थानों में अनुमति दी जा सकती है, या नहीं

नावडगी ने जवाब में कहा कि यदि संस्थानों को इसकी अनुमति दी जाती है तब यह मुद्दा उठने पर सरकार संभवत: कोई निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश का सक्रिय हिस्सा इस संबंध में निर्णय लेने के लिए संस्थानों पर छोड़ देता है। उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश संस्थानों को यूनिफॉर्म तय करने की पूरी स्वायत्तता देता है। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की प्रस्तावना एक धर्मनिरपेक्ष वातावरण को बढ़ावा देना है।