“अपने नाम सम प्रभामय आभा ,तू जगत जननी है ,सृजनहार है”
खुशियों में जी
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ए सखि….💃🏿
अपनत्व भरे सवाल जवाब तुझसे,
आत्मीय रिश्ता मेरा सदा तुझसे ,
कल्पना सृजनात्मक एक बीज बो दे,
तू जगत जननी है ,सृजनहार है तू ,
ए सखि….💃🏿
स्वयं के लिए ,कभी स्वयं सोच अपना,
उचाईयां छूने की बना योजना,
कल्पना सृजन ज़िया में एक बीज बो,
बस बनी योजना सफल हो, सिर्फ तुझे सींचना।
ए सखि….💃🏿
तिनके भर नकारात्मक विचार हो, फेंक दे,
पहाड़ जैसी प्रतिकूलता में कदम आगे बढ़ा दे,
रख अहसास सदैव जीत सकारात्मकता,
खूबसूरती से स्वयं इकलौता जीवन जी ले।
ए सखि….💃🏿
स्वस्थ,प्रसन्न,खुद्दार जीवन की हक़्क़दार हो,
स्वयं का समय स्वयं के लिए जीवन बहार हो,
घर गृहस्थी के साथ स्वयं से प्यार कर,
तृप्त हो ले खुशियों भरी बौछार में।
ए सखि….💃🏿
अपने नाम सम प्रभामय आभा फैलना चाहिए,
स्वयं से अपनी देखभाल और प्यार करना चाहिए,
खूबसूरत जीवन मे रँगबिरंगे स्वप्न पूरे कर,
बस ये नवचेतना भर स्वयं में, खुशी पाना ही है।
ए सखि….💃🏿
प्रभा जैन इंदौर।