Apply for UNESCO List : इंदौर की गेर और नर्मदा परिक्रमा के यूनेस्को की लिस्ट के लिए अप्लाई!

74 साल पुरानी 'गेर' की परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश!

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Apply for UNESCO List : इंदौर की गेर और नर्मदा परिक्रमा के यूनेस्को की लिस्ट के लिए अप्लाई!

Indore : मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने रंगपंचमी पर इंदौर में निकाली जाने वाली ‘गेर’ और जुड़ी नर्मदा परिक्रमा से जुड़े प्रस्ताव केंद्रीय संस्कृति विभाग को भेजे हैं। ये दोनों इवेंट यूनेस्को इंटैन्जिबल लिस्ट का हिस्सा बनने की दौड़ में है। 74 साल पुरानी ‘गेर’ की परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रशासन कई सालों से कोशिश में लगा है।
केंद्रीय संस्कृति विभाग को पुराने दस्तावेज के साथ इस साल के ताजा फोटो और वीडियो भी भेजे गए है। 74 साल से हो रहे इस आयोजन में इस साल 6 लाख लोग जुटे थे। इसमें 30 हजार किलो गुलाल उड़ाया गया और 10 हजार किलो फूल भी बरसाए गए थे। गेर का दावा इसलिए मजबूत है कि 7 दशक पुरानी इस परंपरा में शहर के 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते हैं।

हर साल होने वाले गेर के आयोजन में लाखों लोग राजबाड़ा पर इकट्ठे होते हैं। इन पर मशीनों से गुलाल-रंग फेंका जाता है। होली के बाद होने वाले इस आयोजन को देखने देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। सभी राज्य अपने प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संगीत नाटक अकादमी को भेजते हैं। अकादमी द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी इनमें से एक प्रस्ताव पर मुहर लगाती है। पिछले साल गरबा को चुना गया था।

2600 किमी की नर्मदा परिक्रमा

नर्मदा परिक्रमा 3-4 माह में पैदल परिक्रमा पूरी होती है। इस परिक्रमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। लगभग 2600 किमी की पूरी यात्रा मप्र में नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू होकर गुजरात के भरूच से अमरकंटक पर खत्म होती है।

इनके अलावा मैहर के 106 साल पुराने बैंड, फसलों से जुड़े पारम्परिक जनजातीय गीत और गोंड पेंटिंग के प्रस्ताव भी इस ग्लोबल लिस्ट में शामिल करने के लिए भेजे गए हैं। मैहर बैंड की स्थापना राजा बृजनाथ सिंह के आदेश पर 1917 में हुई थी। इसमें शामिल अनाथ बच्चों को उस्ताद अलाउद्दीन खां रोज चार घंटे बैंड सिखाते थे। 1955 में यहां संगीत का एक कॉलेज खोलकर बैंड को उससे जोड़ दिया गया।

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