

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में फर्जी आदेशों से हो रही नियुक्तियां, दिए जा रहे ठेके
भोपाल: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में आयुक्त सह संचालक के फर्जी आदेशों से नियुक्तियां हो रही है और निर्माण कार्यो की फर्जी स्वीकृतियां दी जा रही है। संचालनालय ने खुद इस तरह की फर्जी नियुक्तियां होंने और निर्माण कार्यो की फर्जी स्वीकृति दिए जाने के आदेश जारी किए जाने की पुष्टि की है।
आयुक्त सह संचालक ने विभाग के तमाम आला अफसरों को निर्देश जारी किए है कि भविष्य में इस तरह के आदेश जारी होंने पर पहले पंचायत राज संचालनालय से पुष्टि कर लें अन्यथा कोई भी विसंगतिपूर्ण स्थिति उत्पन्न होंने पर इस कार्यालय की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
प्रदेश में फर्जी नियुक्ति और ठेके देने के आदेश जारी कर लोगों से ठगी करने वाले सक्रिय है। इन ठगों ने आयुक्त सह संचालक छोटे सिंह के फर्जी हस्ताक्षर और सील का उपयोग करते हुए हरिकांत शर्मा की आउटसोर्स कर्मचारी के पद पर जिला पंचायत ग्वालियर में नियुक्ति कर दी। यह आदेश 31 मार्च 2025 को जारी किया गया। वहीं एक अन्य आदेश 6 मार्च 2025 को जारी किया गया। इसमें रायसेन में निर्माण कार्य की स्वीकृति संचालक पंचायत राज के फर्जी हस्ताक्षर और सील से जारी कर दिया गया। ये आदेश पंचायती राज संचालनालय से जारी ही नहीं हुए थे। इनमें किसी ठगों नेx आयुक्त सह संचालक के हस्ताक्षर स्कैन किए और संबंधित आदेश पर लगा दिए। मूल दस्तावेज से हस्ताक्षर की कापी कर ठगों ने इन फर्जी आदेशों पर इनका उपयोग किया और लोगों को ठगने का प्रयास किया। जब इन आदेशों के आधार पर नियुक्त कर्मचारी ज्वाइन करने पहुंचा और ठेकेदार ने निर्माण कार्य से संंबंधित पूछताछ की तो पता चला कि इस तरह के आदेश आयुक्त सह संचालक की ओर से पंचायती राज संचालनालय द्वारा जारी ही नहीं किए गए थे।
पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक छोटे सिंह ने विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत स्तर से भविष्य में इस प्रकार के किसी भी जारी आदेश की पुष्टि पहले पंचायत राज संचालनालय भोपाल से अनिवार्य रुप से कर ली जाए अन्यथा कोई भी विसंगति पूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है तो पंचायती राज संचालनालय इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। बिना पुष्टि किए फर्जी आदेशों के आधार पर व्यक्ति या ठेकेदारों को लाभ पहुंचाए जाने पर दोषी अधिकारियोें के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
जिले मेें जब फर्जी नियुक्ति आदेश से ज्वाइन करने युवक पहुंचा तो जिले वालों ने संचालनालय से कनफर्म किया। पता चला कि इस तरह का आदेश भोपाल संचालनालय से जारी ही नहीं हुआ था। पूछताछ के दौरान वह युवक वहां से भाग गया। आयुक्त ने बताया कि आउटसोर्स कर्मचारियों के नाम से कभी भी आदेश संचालनालय जारी नहीं करता है। हम काम और नामों की सूची जिलों में भेजते है। हस्ताक्षर और सील को स्कैन करके आदेशों में उपयोग किया गया। हमने थाने में एफआईआर करा दी है। साथ ही जिला, जनपद पंचायतों को एडवाइजरी भी जारी कर दी है कि इस तरह के आदेशों में पुष्टि के बाद ही नियुक्ति की जाए।