Arrest in DMF Scam : 2 सस्पेंड IAS रानू साहू और माया वारियर को ED ने गिरफ्तार किया, छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई!

डीएमएफ घोटाले में दोनों पर कई करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप!

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Arrest in DMF Scam : 2 सस्पेंड IAS रानू साहू और माया वारियर को ED ने गिरफ्तार किया, छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई!

Raipur : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ सरकार की महिला अधिकारी माया वारियर और रानू साहू को जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) घोटाले में गिरफ्तार कर लिया। यह मामला छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आया था। ईडी के मुताबिक, दोनों आईएएस अधिकारियों को क्रमशः 15 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। दोनों अधिकारी छत्तीसगढ़ के जिला खनिज निधि (डीएमएफ) घोटाले में मुख्य आरोपी हैं। उन्हें रायपुर की विशेष अदालत (पीएमएलए) के सामने पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 22 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।

आदिवासी और अनुसूचित जाति विकास विभाग में तैनात माया वारियर को मंगलवार को गिरफ्तार किया। बुधवार को यहां मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम की विशेष अदालत में पेश किया गया। ईडी के वकील सौरभ पांडे ने कहा कि पिछले साल से ईडी की ओर से डीएमएफ मामले में यह पहली गिरफ्तारी थी।

दोनों पर क्या है आरोप? 

ईडी की जांच से पता चला है कि रायगढ़ और कोरबा जिलों में कलेक्टर के रूप में रानू साहू के कार्यकाल के दौरान डीएमएफ में कथित अनियमितताएं की गईं और उन्हें डीएमएफ के तहत काम आवंटित किए गए ठेकेदारों से भारी रिश्वत मिली। ईडी के वकील ने दावा किया कि जब साहू कोयला समृद्ध क्षेत्रों में कलेक्टर थीं, तो वारियर संबंधित विभागों में तैनात थी और डीएमएफ में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया।

ईडी ने इस साल मार्च में आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से जुड़े खनन ठेकेदारों ने आधिकारिक काम के टेंडर पाने के लिए राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक कार्यकारियों को भारी मात्रा में रिश्वत दी। डीएमएफ राज्य के हर जिले में स्थापित एक ट्रस्ट है और खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए खनिकों द्वारा वित्त पोषित है।

करोड़ों की हेराफेरी का ईडी का आरोप

ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत डीएमएफ ठेकेदारों द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके सरकारी खजाने के पैसे की हेराफेरी करने के लिए दर्ज 3 अलग-अलग एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। यह मामला छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि से भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग से संबंधित है।

आरोप है कि रानू साहू मई 2021 से जून 2022 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन जिला कलेक्टर थीं और माया वारियर अगस्त, 2021 से मार्च, 2023 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त थीं। ईडी का दावा है कि कोरबा में उनके कार्यकाल के दौरान विक्रेताओं/ठेकेदारों से अवैध कमीशन वसूली की एक संगठित प्रणाली संचालित की जा रही थी। ईडी की जांच में पता चला है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन/अवैध रिश्वत का भुगतान किया है, जो अनुबंध मूल्य का 25% से 40% तक है। रिश्वत के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं/ठेकेदारों द्वारा आवास प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी।

एफआईआर में भ्रष्टाचार की आय का कोई परिमाणीकरण नहीं है। हालांकि, ईडी की जांच में पता चला है कि केवल कोरबा जिले को आवंटित डीएमएफ फंड इसकी स्थापना से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 1000 करोड़ से अधिक है। कमीशन की प्रचलित दर के साथ, अकेले कोरबा में कमीशन की राशि सैकड़ों करोड़ रुपए है।

इससे पहले, ईडी, रायपुर ने डीएमएफ घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर सरकारी अधिकारियों, विक्रेताओं/ठेकेदारों और आवास प्रविष्टि प्रदाताओं के मामले में तलाशी अभियान चलाया था।