पटवा जी ने भी की थी जनजातीय विकास की चिंता

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा की आज 11 नवंबर को जयंती है।उनका जन्म कुकडेश्वर में 11.11.1924 को हुआ था

श्री सुंदर लाल पटवा ने राजधानी से लगे रायसेन जिले के जनजातीय बहुल इलाके साढ़े बारह गांव अंचल में पहुंचाई थी विकास की रोशनी। उन्होंने यहां बुनियादी नागरिक सुविधाएं पहुंचाने का कार्य किया।स्वतंत्रता के बाद किसी ने इस क्षेत्र की सुध नहीं ली थी।पटवा जी इन अंचलों का दौरा भी करते थे।

*जनजातियों की प्रगति के पक्षधर*

रायसेन जिले के साढ़े बारह गांव अंचल के विकास के लिए उनकी चिंता बहुत मायने रखती थी। यहां 12 गांव बरेली तहसील के और आधा गांव सिलवानी तहसील का है। इस अंचल में मंडला, डिंडोरी, झाबुआ या अलीराजपुर की तरह जनजातीय संस्कृति के दर्शन होते हैं । इस क्षेत्र में विकास के अनेक कार्य पटवा जी ने करवाए वे। इस अंचल की प्रगति की बहुत चिंता करते थे। आज मध्य प्रदेश जनजातीय गौरव दिवस में प्रधानमंत्री श्री मोदी को आमंत्रित कर एक इतिहास रचने जा रहा है। श्री पटवा जी जनजातीय वर्ग की तरक्की के लिए चिंतित रहते थे। प्रदेश के आदिवासी जनजातीय समुदाय से उनका वार्तालाप होता था। राजधानी से लगे हुए सीहोर और रायसेन जिले के अन्य जनजातीय इलाकों के बंधुओं से भी उनका सतत संवाद होता था।

युवाओं को दिया महत्व

श्री पटवा ने मध्यप्रदेश के विकास में अपनी नेतृत्व क्षमता का विशेष परिचय दिया। वे संगठन में भी युवा नेताओं को महत्व देते थे। उन्होंने श्री शिवराज सिंह चौहान जैसे युवाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दिया।

उनकी विनोदी शैली

विनोद प्रिय स्वभाव के श्री पटवा अक्सर हास परिहास करते थे।प्रशासक सख्त थे लेकिन उनकी बातचीत की विनोदी शैली सभी का ध्यान आकर्षित करती थी। रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के संगठन के साथियों के साथ उनके मधुर संबंध थे। उन्होंने रवि माहेश्वरी (रायसेन) सुरेंद्र तिवारी (बाड़ी) रामकिशोर शर्मा (ओबैदुल्लागंज) और रामकिशन चौहान (गूगलवाडा )की क्षमताओं को पहचाना । किशोर रामानी सुल्तानपुर और अनेक ऐसे ही समर्पित संगठन सदस्यों को भी प्रोत्साहित किया। वे बाड़ी के जोधा सिंह जी को देखते ही कई बार एक जुमला कहते थे “पगड़ी संभाल जट्टा”।

जब नारा सुधारा                                                            वर्ष 1991 में जब अटल जी ने विदिशा रायसेन संसदीय सीट से त्यागपत्र दिया तो लोकसभा उम्मीदवार के रूप में विधायक श्री शिवराज सिंह चौहान को संगठन ने सांसद के निर्वाचन के लिए बतौर उम्मीदवार चयनित किया। उस समय अक्टूबर 1991 में बरेली के पास ग्राम खरगोन में एक सभा थी जहां श्री चौहान को सिक्कों से तौला जा रहा था। तब कुछ कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए थे “आंधी है तूफान है शिवराज सिंह चौहान है” तब पटवा जी ने मंच से ही कहा, इस नारे में थोड़ा सा संशोधन करें, *आंधी नहीं तूफान है शिवराज सिंह चौहान है* फिर बोले, ये ज्यादा सटीक रहेगा। इस तरह पटवा जी विनोदी शैली में अपने भाषा ज्ञान का परिचय भी दे दिया करते थे।

शिवराज जी ,अटल जी की परंपरा के नेता

पटवाजी मंच से शिवराज जी की तारीफ करते थे।उन्होंने शिवराज जी को अटल जी की परंपरा का नेता बताते हुए उनकी प्रशंसा में कहा था कि *शिवराज में जुनून है, विकास के लिए एक जिद है, जज्बा है ,पागलपन है। मुझे पूरी उम्मीद है विकास के लिए पागल इस नेता को आप जरूर समर्थन देंगे।”

गुरु शिष्य परंपरा हमारे प्राचीन गुरुकुल के साथ ही समाज जीवन में दिखाई देती है। शिवराज जी ने आज सिद्ध कर दिया है कि वे पटवा जी के अधूरे सपनों को पूरा करने के साथ ही अंत्योदय के लिए कितने चिंतित हैं। एक शिष्य अपने प्रदेश के निर्माण का काम करते हुए गुरु को किस तरह आदरांजलि दे सकता है, यह एक अनुपम उदाहरण है ।

स्व सुंदरलाल पटवा जी को जयंती पर सादर नमन।