Astrological Prediction of War : भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात सितम्बर में ज्यादा!   

दोनों देशों की जन्म कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण और वर्तमान हालात!   -  - पंडित अजय शर्मा  (पत्रकार और ज्योतिष जानकार)    

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Astrological Prediction of War : भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात सितम्बर में ज्यादा!   

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद ये आशंका प्रबल होती जा रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के हालात बनेंगे। दोनों देशों की तरफ से जिस तरह की बयानबाजी हो रही है, ये माना जा रहा है कि किसी न किसी स्तर पर हालात बिगड़ सकते हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध होने की भी संभावना जताई जा रही! लेकिन, यदि दोनों देशों की कुंडली का ज्योतिषीय आकलन किया जाए, तो भारत-पाकिस्तान के बीच कुछ हद तक भिड़ंत की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि ताजा हालात में छोटी भिड़ंत भी हुई तो फ़िलहाल युद्ध के आसार दिखाई नहीं दे रहे, ये स्थिति ग्रहयोग के हिसाब से 12 सितम्बर के बाद बनेगी।

आजाद भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को रात्रि 00ः00 बजे दिल्ली में वृषभ लग्न और कर्क राशि में हुआ था। बहुत से जानकार जन्मकुंडली को लेकर अलग-अलग तर्क देते हैं। कोई इसे जन्म नहीं अपितु भारत के विभाजन के तौर पर देखता है। लेकिन, अधिकांश ज्योतिष इसे आजाद भारत का उदय मानते हैं। आजाद भारत का उदय विभाजन के बाद हुआ, इसलिए इस क्षण को भारत के पुनर्जन्म के रूप में माना जाता है। यही कारण है कि 15 अगस्त 1947 की रात्रि 00ः00 बजे के समय की देश के जन्मपत्रिका को अधिकांश ज्योतिष कुंडली का विश्लेषण करते समय इसी तिथि को महत्व देते हैं।

भारत का जन्म वृषभ लग्न में हुआ था। ग्रहों पर दृष्टि डालने पर लग्न में राहु-वृषभ का दूसरे भाव में मंगल, तीसरे भाव में सूर्य, चन्द्र, शनि, शुक्र, बुध की युति अनेक अनेक राजयोग व अशुभ योग का निर्माण कर हो रहा है। राजयोग की बात करें तो सूर्य-बुध के साथ मिलकर बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग, लाभ दृष्टि योग, लक्ष्मी नारायण योग, कलात्मक योग जैसे अनेक राजयोग का निर्माण हो रहा है। साथ ही अनेक कष्टकारी योगों का निर्माण भी हो रहा है। इसमें कालसर्प योग, विष योग प्रमुख है।

राजयोग : भारत की कुंडली में मौजूद राजयोग के कारण भारत लगातार उन्नति के शिखर को प्राप्त कर रहा है। कोरोना काल जैसे कठिन समय में भी भारत ने राजयोग के कारण उसका सामना कर उसे पराजित किया था। अशुभ योग के कारण उसे नुकसान भी बहुत हुआ। कुंडली में अशुभ योगों के प्रभाव के कारण मानसिक परेशानी से निजात नहीं मिल पाती।

 

जानते हैं प्रमुख अशुभ योग, जिनके कारण बार-बार अनिष्टकारी स्थितियां निर्मित होती है।

– कालसर्प योग : कालसर्प योग काफी अनिष्टकारी योग माना जाता है। भारत की जन्म कुंडली में कालसर्प योग की स्पष्ट उपस्थिति के कारण उसे लगातार संघर्ष करना पड़ता है। इस योग के प्रभाव से मानसिक कष्ट सहना होता है। भारत की कुंडली में अनंत कालसर्प योग स्थित होने से अस्थिरता उत्पन्न होना, मानसिक अशांति, संघर्ष आदि इस योग के परिणाम परिलक्षित होते हैं।

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– विष योग : कुंडली में तीसरे भाव में चन्द्र-शनि के कारण विष योग बन रहा है। इसके प्रभाव से बनते-बनते कार्यों का बिगडना, मानसिक परेशानी, भय, अपयश, कर्ज आदि का सामना करना पड़ता है। तीसरे भाव में बन रहै विष योग के कारण पराक्रम भी कमजोर होता है।

– वर्तमान समय में भारत : वर्तमान समय में 11 मार्च से चंद्र की महादशा में सूर्य का अंतर चल रहा है साथ ही राहु की प्रत्यतंर दशा भी चल रही है। पहलगाम आतंकी हमले की बात करें, तो चन्द्र की दशा में सूर्य का अंतर, राहु का प्रत्यंतर व गुरु का विंशोत्तरी सूक्ष्म दशा 20 अप्रैल से 23 अप्रैल 2025 तक चल रही थी, इस दशा में चन्द्र ग्रहण योग, सूर्य ग्रहण योग, गुरू चाडांल योग तीनो अशुभ योग चल रहे थे। इन अशुभ योग के कारण भारत में अस्थिरता व मानसिक अशांति पैदा हुई।

वर्तमान में भी ग्रहण योग चल रहा है। 8 अप्रैल से 10 मई तक ग्रहण योग के साथ विष योग भी रहेगा, जो किसी भी स्थिति में शुभ नहीं कहा जा सकता।  वहीं 11 व 12 मई को ग्रहण योग के साथ अंगारक योग भी बन रहा है, जो बेहद अशुभ योग का निर्माण कर रहा है। यह किसी घटना की और इशारा करता है। इसके विपरीत 13 मई से चंद्र सूर्य के साथ गुरू का प्रत्यंतर शुरू होने पर काफी अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

– वर्ष कुंडली : जब हम भारत की वर्ष कुंडली देखते हैं, तो केतु की उपस्थिति भाग्य स्थान पर यदि युद्ध के हालात बनते हैं, तो भारत को उसमें सफलता प्राप्त होगी और प्रतिष्ठा मिलेगी। इस अवधि का लाभ उठाने से दुश्मन चारों खाने चित्त हो सकता है। इसके विपरीत 27 मई के बाद शुक्र के 8 वे भाव में स्थित होने से चुनौतियों का संकेत और बदनामी का भी संकेत देता है। इससे प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता भी दिखाई दे रहा।

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युद्ध की आहट  

वर्तमान समय में भारत-पाकिस्तान के मध्य टकराव की आशंका चल रही है। चंद्र की महादशा में सूर्य का अंतर प्रत्यंतर दशा में अशुभ योग चल रहा है। 4 मई 2025 से शुरू होने वाला मंगल का प्रत्यंतर 15 मई तक चलेगा, जिससे युद्ध के हालात और तनाव या टकराव की संभावना हो सकती है। साथ ही मंगल ग्रह को हम युध्द के साथ जोड़ते हैं, तो मंगल साहस, पराक्रम, रक्त,सेना, युध्द का कारक होता है। भारत की कुंडली में मंगल दूसरे भाव में अपनी मित्र राशि का मंगल उपस्थित होकर अष्टम भाव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहा है, जो अग्नि अथवा विस्फोट की और इशारा करती है। जब-जब मंगल अपना प्रभाव दिखाएगा  तब-तब युद्ध के हालात पैदा होंगे। तनाव टकराव के मध्य 12 सिंतबर 2025 से मंगल की महादशा आरंभ होगी व मंगल की आठवें भाव पर पूर्ण दृष्टि के कारण देश में भी अशांति हो सकती है साथ ही 3 माह पश्चात पूर्ण युद्ध होने की संभावना प्रबल होेगी।