कम से कम नीट (NEET) को ही नीट (NEAT) रहने दो सरकार…

157

कम से कम नीट (NEET) को ही नीट (NEAT) रहने दो सरकार…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

नीट यानि (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) है। हिंदी में इसे राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा कहते हैं। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) हर वर्ष ऑफलाइन मोड में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का आयोजन करती है। नीट 2024 मेडिकल प्रवेश परीक्षा 1,09,048 एमबीबीएस, 27,868 बीडीएस, 52,720 आयुष, 525 बीवीएससी तथा एएच सीटों पर प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। नीट 2024 का आयोजन 5 मई, 2024 को किया गया। और इसका परिणाम सामने आते ही पूरे देश में बवाल मच गया है। प्रतिभाएं क्षुब्ध हैं। प्रतिभाओं के माता-पिता शोकाकुल हैं। और पूरे देश की निगाहें दिल्ली की तरफ हैं कि आखिर गड़बड़ी करने वालों को शूली पर कब लटकाया जाएगा? और दिल्ली का दिल भारी हो रहा है सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते-देते। सवाल यह भी है कि इससे बेहतर तो राज्यों की परीक्षा प्रणाली थी कि विपक्ष को सरकार को कोसकर सत्ता पाने का एक मुद्दा तो मिलता था। यदि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में भी दाग वैसे ही लगने थे न मिटने वाले, तब भी राज्य सरकारों की परीक्षा ही ठीक थी। कम से कम राज्य सरकारों पर ही ठीकरा फूटता था और केंद्र सरकार के पास सीबीआई जांच कराने के अवसर आरक्षित थे।

दरअसल नीट यूजी परीक्षा 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर 18 जून 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर 0.01% प्रतिशत भी किसी की खामी पाई गई तो हम उससे सख्ती से निपटेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए और सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया और जवाब मांगा है। नीट यूजी परीक्षा 2024 को लेकर सड़क से लेकर शीर्ष अदालत तक प्रतिभाओं का न्याय पाने का संघर्ष है। गौरतलब है कि नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर शिक्षाविद नितिन विजय समेत अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि अगर 0.01% भी किसी की खामी पाई गई तो हम उससे सख्ती से निपटेंगे। हम परीक्षा की तैयारी को लेकर छात्रों की मेहनत को समझते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से कहा कि वो छात्रों की शिकायत को नजरअंदाज न करें। अगर एग्जाम में वाकई कोई गलती हुई है तो उसे समय रहते सुधारा जाए। इसके बाद अदालत ने दोनों याचिकाओं को पिछली याचिकाओं के साथ जोड़ दिया। याचिकाओं में नीट परीक्षा रद्द करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता नितिन विजय ने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि 20 हज़ार छात्रों ने नीट एग्जाम में गड़बड़ी को लेकर चलाए जा रहे डिजिटल सत्याग्रह के तहत अपनी शिकायत दी है। याचिका में पेपर लीक और गड़बड़ी का हवाला देते हुए पूरी परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा किये जाने की मांग की गई। अब इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि बच्चों ने एग्जाम की तैयारी की है और हम उनकी मेहनत को भूल नहीं सकते। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से कहा कि कल्पना कीजिए कि सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला एक व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, तो वह समाज के लिए और भी अधिक हानिकारक हो जाता है। इस मसले पर कांग्रेस और आप लगातार केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं।

नीट परीक्षा का शुरुआती स्तर पर ही राज्यों ने तीखा विरोध किया था। नीट परीक्षा को पहली बार वर्ष 2012 से आयोजित किए जाने का प्रस्ताव था। हालांकि विभिन्न कारणों से सीबीएसई और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इसे एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था। 5 मई, 2013 को देश में पहली बार नीट परीक्षा आयोजित की गई जो कि स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों चिकित्सा प्रोग्रामों में प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए थी। यह पहली मेडिकल परीक्षा थी जिसमें 10 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया। 18 जुलाई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने 115 याचिकाओं के समर्थन में फैसला सुनाया और नीट परीक्षा को रद्द कर दिया और घोषणा की गई कि एमसीआई कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रवेश प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने यह कहते हुए परीक्षा का जोरदार खंडन किया कि पाठ्यक्रम में भारी बदलाव था। इसलिए नीट परीक्षा को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2012 में असंवैधानिक घोषित किया गया। हालांकि, इसे 11 अप्रैल, 2016 को पलट दिया गया।

मामला एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय में है और प्रारंभिक तौर पर यह साबित हो चुका है कि गड़बड़ी तो हुई है। पेपर लीक के एवज में 40-40 लाख तक वसूले गए। आरोपियों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं। तब फिर वही परीक्षा रद्द करने की मांग पर आनाकानी क्यों? पेपर लीक हो या उत्तर प्रदेश का सिपाही भर्ती परीक्षा, बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा टीआरई-3 या बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा हो, इन सारे एग्जाम के पेपर लीक हुए हैं। पुलिस की जांच में इन सभी पेपर लीक के लिए जो नाम सामने आया वह नाम बाप-बेटा गिरोह का था, जो लगातार कई सालों से पेपर लीक के धंधे में जुड़ा हुआ है। देश भर में फैले इस गैंग के नेटवर्क के आगे पुलिस भी बेदम नज़र आती है। संजीव उर्फ मुखिया और उसका बेटा डॉक्टर शिव अभी बिहार ही नहीं, बल्कि देश के सामने पेपर लीक करने वाले गिरोह का सरगना है।

सरगना कोई हो, पर केंद्र सरकार जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। बच्चों में आक्रोश है तो बच्चों के माता-पिता की मजबूरी और दर्द को महसूस किया जा सकता है। मुद्दा बस इतना है कम से कम ‘नीट’ (NEET) को तो ‘नीट’ (NEAT) यानि साफ-सुथरा रहने दो एनटीए और सरकार…ताकि देश और प्रतिभाओं के साथ न्याय हो सके

…।