अटल बिहारी वाजपेयी: राजनीति के शिखर पुरुष, कवि और राष्ट्रभक्ति का अनमोल संयोग

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अटल बिहारी वाजपेयी: राजनीति के शिखर पुरुष, कवि और राष्ट्रभक्ति का अनमोल संयोग

 

– राजेश जयंत

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक नेता नहीं थे, वे भारत की राजनीति में एक ज़िंदा इतिहास थे। उनका व्यक्तित्व इतना विशाल था कि वे न केवल अपने युग के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। राजनीति में उनकी समझ, कवि-सुमन जैसी मधुर वाणी, और गहरी राष्ट्रभक्ति ने उन्हें अनूठा और अमर कर दिया।

उनका हर शब्द जनता के दिल से जुड़ा था, उनकी कविताओं में देशप्रेम की खुशबू बसी है- “मिट्टी खुशबू देती है, भारत बनके रहती है” उनकी आत्मा की आवाज़ थी। राजनीति उनके लिए सत्ता का खेल नहीं, बल्कि सेवा और सद्भाव की भाषा थी। उन्होंने हमेशा संघर्ष तो किया, पर विनम्रता और प्रेम की मिसाल भी कायम रखी।

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अटलजी के राजनीतिक और सामाजिक योगदान की कुछ अहम बातें:  

1. तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, हर बार देश के विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाए।

2. पोखरण परमाणु परीक्षण के जरिए भारत को परमाणु शक्ति का दर्जा दिलाया।

3. भारत के आर्थिक उदारीकरण और विकास की नींव रखने में उनका योगदान अद्भुत रहा।

4. कश्मीर और अन्य संवेदनशील विषयों पर संवाद और शांति के रास्ते अपनाए।

5. उन्होंने राजनीति को व्यक्तिगत या पार्टी का विवाद नहीं, बल्कि देशसेवा का महासंकल्प बनाया।

6. उनका वो तेज-तर्रार आत्मविश्वास और सरल मुस्कान विरोधियों को भी सम्मान देना सिखाती थी।

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कवि के रूप में अटल जी की छवि:  

अटल जी न केवल राजनीतिज्ञ, बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे। उनके शब्दों में वो जादू था जो लाखों लोगों के दिलों को छू गया। उनकी कविताएं और भाषण देशभक्ति के भाव से रंगे हुए थे, जो राजनीतिक खटास के बीच सौहार्द और उम्मीद जगाते थे।

कदम मिलाकर चलना होगा,

रास्ता अपना चुनना होगा।

उनकी एक और कविता जो राजनीति की जटिलताओं को बड़ी खूबसूरती से बयान करती है:

कौरव कौन

कौन पांडव,

टेढ़ा सवाल है|

दोनों ओर शकुनि

का फैला

कूटजाल है|

धर्मराज ने छोड़ी नहीं

जुए की लत है|

हर पंचायत में

पांचाली

अपमानित है|

बिना कृष्ण के

आज

महाभारत होना है,

कोई राजा बने,

रंक को तो रोना है|

व्यक्तित्व में उनका अद्भुत संतुलन:  

विनम्रता, संयम और उच्च नैतिकता उनके व्यवहार में साफ झलकती थी। वे न केवल अपने समर्थकों के, बल्कि विरोधियों के प्रति भी सम्मान और आदर रखते थे, जो आज की राजनीति में दुर्लभ हैं।

“विरासत और आज की राजनीति के लिए सीख:  

अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत सिर्फ उनके कृतित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी सोच, उनके आदर्श और उनके संवेदनशील नेतृत्व के सूत्र हैं। आधुनिक राजनीतिक परिदृश्य में जहां ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, वहीं अटलजी का संदेश- संवाद, सहिष्णुता, और समृद्ध राष्ट्र निर्माण, पथ प्रदर्शक है। उनका जीवन और कर्म हमें बताते हैं कि असली नेतृत्व अपने देश और जनता के लिए समर्पित होता है, बिना कट्टरता के।

“वो कौन है जो अटल के जैसा होगा,

जिसने देश को अपना घर बनाया।”

आज उनकी पुण्यतिथि पर हम नमन करते हैं उस महान व्यक्तित्व को जिसने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी, कविताओं का सौंदर्य दिया, और एक मजबूत, एकजुट भारत का सपना साकार करने की नींव रखी। 🙏