पवार पर वार …
देश की राजनीति में महाराष्ट्र का खास महत्व है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई समुद्र किनारे स्थित है। समुद्र की लहरों में उतार-चढ़ाव सामान्य बात है। ऐसा ही हाल पिछले पौने चार साल से महाराष्ट्र की सियासत का है। 2019 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना में मनमुटाव हुआ, तब भाजपा ने पहले सरकार बनाने की कवायद में एनसीपी के अजित पवार को उपमुख्यमंत्री का पद देकर सत्ता को पाने की पूरी कोशिश की थी।
तब शरद पवार के पावर ने प्रयास फेल कर दिया था। तब यह ‘कमल’ भी अंधेरा समझ मुरझा सा गया था। और उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस का दामन थाम सरकार बना ली थी और मुख्यमंत्री बन गए थे। पर शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने किरण बनकर महाराष्ट्र में जून 2022 में कमल खिला दिया था। अगर किसी का दिल टूटा था, तो वह थे देवेंद्र फडणवीस। मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके नसीब में नहीं थी, सो उप मुख्यमंत्री बनकर ही संतुष्ट होना पड़ा था। पर अब एक बार फिर पवार पर वार करते हुए भाजपा-शिवसेना सरकार ने एनसीपी के अजित पवार को उपमुख्यमंत्री और उनके साथ आए विधायकों को मंत्री बनाकर अपनी मंशा पूरी कर ली है। महाराष्ट्र 2024 में लोकसभा चुनाव में मोदी को संजीवनी देगा, तो मोदी की कोशिश रहेगी कि अक्टूबर 2024 में भाजपा नीत गठबंधन महाराष्ट्र विधानसभा में भी अपना परचम फहराए। फिलहाल तो भाजपा ने महाराष्ट्र में शरद पवार को आइना दिखाते हुए भतीजे अजित और कई विधायकों को एनसीपी से खींचकर अपने पाले में कर ही लिया है।
2019 में एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भाजपा को आइना दिखाया था, तो भाजपा नीत सरकार ने अब शरद पवार को आइना दिखाकर यह अहसास करा दिया है कि नहले पर दहला मारना उसे आता है। अभी शिवसेना के असल और नकल पर द्वंद जारी है, तो अब एनसीपी भी असल और नकल के चक्रव्यूह में प्रवेश कर चुकी है। अजित पवार का दावा कि वह ही असली एनसीपी हैं। हालांकि शरद पवार राजनीति के चाणक्य हैं, इसलिए उनकी और उद्धव ठाकरे की कोई तुलना नहीं है। और अब तो वह वैसे भी सक्रिय राजनीति से संयास लेने की घोषणा ही कर चुके थे। पर परिजनों के दबाव में लौटे तो बेटी सुप्रिया सुले को महत्व और भतीजे अजित पवार को कमतर दिखाने का खामियाजा उन्हें भुगतना ही था। इससे यह बात भी साफ हो गई कि महाराष्ट्र की इस पंचवर्षीय विधानसभा में अजित पवार के हिस्से में उपमुख्यमंत्री बनना लिखा ही था, सो समय टलने के करीब पौने चार साल बाद वह उपमुख्यमंत्री बन ही गए। और देवेंद्र फडणवीस के हिस्से में मुख्यमंत्री बनना नहीं लिखा था, सो वह भी उपमुख्यमंत्री पर अटक गए। तो अब महाराष्ट्र में दो उपमुख्यमंत्री, मुखिया एकनाथ संग मिशन 2024 में मोदी के हाथ मजबूत करेंगे। वही विधानसभा चुनाव में वापसी का पूरा दम भी भरेंगे।
इसमें असल लड़ाई पवार और केंद्रीय नेतृत्व की है। अब जब पवार ने मिशन 2024 में विपक्षी एकता जिंदाबाद करने की रणनीति में किरदार निभाया है, सो सत्तारूढ़ मोदी और शाह ने पवार को जोर का झटका धीरे से देकर यह समझाइश दी है कि उम्र का लिहाज कर अब अपनी स्पीड पर ब्रेक लगाओ वरना दुर्घटना का अंजाम भुगतना ही पड़ेगा…।