Attacks on Journalists : बीते बरस पत्रकारों पर हमलों में MP, जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा और UP सबसे आगे
New Delhi : ‘राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप’ (Rights and Risk Analysis Group) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में देश भर में कम से कम 6 पत्रकारों की हत्या हुई, 108 पर हमला किया गया और 13 मीडिया संस्थानों या अख़बारों पर हमले किए गए। हमलों के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सबसे आगे रहे।
इस रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर (25) में पत्रकारों या मीडिया संस्थानों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश (23), मध्य प्रदेश (16), त्रिपुरा (15), दिल्ली (8), बिहार (6), असम (5), हरियाणा और महाराष्ट्र (4-4),गोवा और मणिपुर (3-3), कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल (प्रत्येक में 2 मामले) और आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल (प्रत्येक में 1 मामला) का नंबर आता है।
इस साल के दौरान जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा प्रायोजित हमले हुए। जबकि, त्रिपुरा में सबसे अधिक गैर-राज्य प्रायोजित हमले हुए। इस दौरान 8 महिला पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया या समन जारी किए गए या उनके खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई। RRAG के निदेशक सुहास चकमा ने बताया कि जम्मू कश्मीर से लेकर त्रिपुरा तक प्रेस की स्वतंत्रता पर बड़े पैमाने पर हमले देश में नागरिक स्वतंत्रता की लगातार गिरती स्थिति के सूचक हैं। सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 स्वतंत्र मीडिया पर नकेल कसने के सरकारी इरादों की पुष्टि करते हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में वर्ष भर में गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए 17 पत्रकारों में से 5 जम्मू कश्मीर से थे। दिल्ली से 3, महाराष्ट्र, मणिपुर व त्रिपुरा से दो-दो और असम, छत्तीसगढ़ व हरियाणा से एक-एक पत्रकार को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया। 2021 में देशभर में पुलिस समेत अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा कम से कम 24 पत्रकारों पर कथित तौर पर शारीरिक रूप से हमले किए गए या धमकियां दी गई, परेशान किया गया और उन्हें उनका काम करने से रोका गया। इनमें से 17 पर पुलिसवालों ने हमला किया।
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इस साल 44 पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई, जिनमें से 21 पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (वैमनस्य बढ़ाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (IT) ने ऐसे मीडिया संस्थानों या समाचार पत्रों और पत्रकारों के घरों पर छापे मारे, जो सरकार की नीतियों और कामकाज की आलोचना करते थे।