Auspicious Time for Consecration : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय 7 शुभ और अद्भुत संयोग!

त्रेतायुग में भगवान श्री राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, इसलिए वही समय चुना गया!

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Auspicious Time for Consecration : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय 7 शुभ और अद्भुत संयोग!

Ayodhya : 22 जनवरी का दिन भारत के लिए हर दृष्टि से बेहद शुभ है। इतिहास के पन्नों में इस तिथि का अंकन सुनहरे अक्षरों में होगा। इस दिन अयोध्या स्थित राम मंदिर में भगवान श्रीराम जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत 16 जनवरी से होगी। इसके लिए भव्य तैयारी की जा रही है। ज्योतिषियों के मुताबिक पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर एक, दो नहीं, बल्कि 7 शुभ और अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण होंगे। उत्तरायण देवताओं का समय होता है। इस दौरान प्रकाश में वृद्धि होने लगती है। इसी दिन से युगारंभ भी होता है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मकर संक्रांति के पश्चात की तिथि का चयन किया गया है। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथि है। द्वादशी तिथि संध्याकाल 7 बजकर 51 मिनट तक है। इसके पश्चात, त्रयोदशी तिथि है। वहीं, नक्षत्र मॄगशिरा है।

22 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया

त्रेतायुग में श्री राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। 22 जनवरी, सोमवार के दिन मृगशीर्ष नक्षत्र में अभिजीत मुहूर्त का संयोग बन रहा है। ऐसे में इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा जो 12 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है। यही कारण है कि इस तिथि को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया। यह भी माना जा रहा है कि इस शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने से प्रभु श्री राम सदैव मूर्ति के अंदर विराजमान रहेंगे।

शुभ और अद्भुत योग

पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यानी 22 जनवरी को सर्वप्रथम ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक है। इसके पश्चात, इंद्र योग का निर्माण होगा। इस योग में ही रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

सर्वार्थ सिद्धि योग

22 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 14 मिनट से अगले दिन यानी 23 जनवरी को 4 बजकर 58 मिनट तक है। वहीं, अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक है। वहीं, विजय मुहूर्त 2 बजकर 19 मिनट से 3 बजकर 1 मिनट तक है। इस दिन सुबह 7 बजकर 36 मिनट तक बव करण का योग है। इसके बाद बालव करण का निर्माण होगा। बालव करण संध्याकाल 7 बजकर 51 मिनट तक है।

भगवान शिव का वास

ज्योतिषियों के मुताबिक रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दिन भगवान शिव संध्याकाल 7 बजकर 51 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके पश्चात, नंदी पर सवार होंगे। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के अनुष्ठान करना सिद्धकारी होता है।