Ayodhya 500 वर्षों की प्रतीक्षा पूरी होने का क्षण निकट: राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री 25 नवंबर को लहराएंगे धर्म ध्वजा

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Ayodhya 500 वर्षों की प्रतीक्षा पूरी होने का क्षण निकट: राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री 25 नवंबर को लहराएंगे धर्म ध्वजा

▪️राजेश जयंत

Ayodhya: राम नगरी इस समय जिस उत्साह और अलौकिक वातावरण में डूबी हुई है वह बीते कई शताब्दियों के इतिहास में दर्ज नहीं हुआ। लगभग 500 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद वह क्षण सामने आया है जब श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज पुनः स्थापित होने जा रहा है। 25 नवंबर को अभिजीत मुहूर्त के शुभ समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मंदिर के 190 फीट ऊंचे शिखर पर ध्वजारोहण अनुष्ठान का नेतृत्व करेंगे। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि सभ्यता और संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक माना जा रहा है। अदालत के फैसले और मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के बाद यह पहला अवसर है जब मुख्य शिखर पर आधिकारिक रूप से भगवा धर्म ध्वज स्थापित होगा।

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🚩समारोह से पूर्व तीन दिन के अनुष्ठान शुरू

▫️23 नवंबर से मंदिर परिसर और परकोटा क्षेत्र में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विस्तृत अनुष्ठान आरंभ हो चुके हैं। रामचरितमानस पाठ, विशेष हवन, जल अभिषेक और कलश यात्रा को लेकर अयोध्या के सभी मार्गों पर आध्यात्मिक माहौल सघन होता जा रहा है। यह कलश यात्रा मंदिर के सभी चारों दिशाओं के परिक्रमण का प्रतीक है जिससे ध्वजारोहण की संपूर्ण विधि पवित्र मानी जाती है।

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🚩आठ शिखर और मुख्य त्रिकोणीय ध्वज की व्यवस्था

▫️धर्म ध्वज के लिए तैयार किया गया विशेष त्रिकोणीय भगवा ध्वज मंदिर शिखर की परंपरा को ध्यान में रखकर निर्मित हुआ है। इसमें ऊं अंकित है और इसकी लंबाई और चौड़ाई इस प्रकार तय की गई है कि यह 190 फीट ऊंचे शिखर पर सहज रूप से लहराए।

▫️मुख्य ध्वज के अलावा सप्त शिखरों पर भी ध्वज लगाए जा रहे हैं। मंदिर निर्माण समिति ने स्पष्ट किया है कि मुगल काल में मूल संरचना के ध्वस्त होने के बाद शिखर पर ध्वज स्थापित होने की परंपरा पूर्णतः रुक गई थी। इसी कारण यह ध्वजारोहण सदियों बाद पुनः जीवित होने जा रहा है और इसे धार्मिक आस्था का ऐतिहासिक पुनर्स्थापन माना जा रहा है।

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🚩तकनीकी ध्वज प्रणाली का परीक्षण पूर्ण

▫️ध्वज फहराने के लिए निर्मित यांत्रिक और मैन्युअल प्रणाली का परीक्षण पूरा हो चुका है। शिखर की ऊंचाई और वायु दबाव को ध्यान में रखकर धातु और विशेष मिश्र धातु से पुली तंत्र तैयार किया गया है। यह तंत्र इस प्रकार बनाया गया है कि ध्वज उठाने और उतारने में किसी प्रकार का जोखिम न रहे।

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🚩लगभग 7000 आमंत्रित अतिथि और संत महात्मा

▫️मंदिर ट्रस्ट ने इस अवसर पर लगभग 7000 अतिथियों को आमंत्रित किया है जिनमें देशभर के शंकराचार्य, अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधि, विभिन्न पीठों के संत महात्मा, मंदिर निर्माण में सहयोग देने वाले दानदाता, कला और शिल्प से जुड़े विशेषज्ञ तथा देश के अनेक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। सभी के लिए सीटिंग व्यवस्था को रंग अनुसार विभाजित किया गया है जिससे प्रवेश और निकास में समय न लगे।

🚩सुरक्षा के लिए अयोध्या और आसपास के जनपदों में विशेष तैनाती

▫️अयोध्या में सुरक्षा के लिए बहुस्तरीय व्यवस्था लागू की गई है। जिला पुलिस, ATS, STF और विशेष कमांडो यूनिट के साथ आसपास के जनपद अंबेडकरनगर, गोंडा, बहराइच, सुल्तानपुर और अमेठी में लगातार निगरानी बढ़ा दी गई है। ड्रोन सर्विलांस, सीसीटीवी मोनिटरिंग, एंटी सबोटाज जांच और मंदिर मार्ग पर विशेष चौकियों की स्थापना की गई है।

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🚩यातायात व्यवस्था में 69 घंटे का नियंत्रण

▫️मंदिर परिसर में 25 नवंबर को भीड़ और सुरक्षात्मक कारणों के चलते हाईवे पर 69 घंटे के रूट डायवर्जन लागू होगा। अतिथियों को GPS आधारित मार्ग भेजे जा रहे हैं। छह स्थानों पर पार्किंग जोन बनाए गए हैं। VIP और सामान्य अतिथियों के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए हैं। स्वयंसेवक दल लगातार रूट गाइडेंस का कार्य देख रहा है।

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🚩शहर का सांस्कृतिक रूपांतरण

▫️अयोध्या में सरयू तट से लेकर हनुमान गढ़ी तक विशाल प्रकाश सज्जा की गई है। राम सीता विवाह की झांकी, लेजर प्रस्तुति, दीप सज्जा और कलात्मक मंडपों के माध्यम से पूरे शहर को उत्सवधर्मी रूप दिया गया है। परकोटा क्षेत्र में फूलों और पारंपरिक कलाकृतियों से विशेष सजावट की गई है।

🚩दर्शन व्यवस्था में अस्थायी बदलाव

▫️23 से 26 नवंबर तक आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन स्लॉट आधारित व्यवस्था रहेगी। VIP कतारें सीमित होंगी। ट्रस्ट ने कहा है कि ध्वजारोहण के समय सामान्य दर्शन रोक दिए जाएंगे लेकिन अनुष्ठान समाप्त होते ही पुनः खोल दिए जाएंगे।

🚩ध्वजारोहण केवल एक अनुष्ठान नहीं बल्कि हिंदू समाज की उस यात्रा का समापन है जो पांच शताब्दियों से संघर्ष परिवर्तन और धैर्य से गुजरती आई है। मंदिर के शिखर पर फहराता यह ध्वज संपूर्ण भारत के जनमानस की सांस्कृतिक चेतना का प्रतिक माना जाएगा और अयोध्या विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन के एक नए अध्याय में प्रवेश करेगी।