प्रदेश में हजारों बुजुर्ग मरीजों के आयुष्मान केस रिजेक्ट, मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, वैकल्पिक उपायों पर मांगा जवाब

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प्रदेश में हजारों बुजुर्ग मरीजों के आयुष्मान केस रिजेक्ट, मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, वैकल्पिक उपायों पर मांगा जवाब

वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग प्रदेश मुख्यालय में शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक में आयोग ने 18 मामलों पर संज्ञान लिया है।

आयोग के अध्यक्ष माननीय श्री मनोहर ममतानी एवं आयोग सदस्य श्री राजीव कुमार टंडन ने इस मामले में चिंता प्रकट की है कि राजधानी भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल सहित चिकित्सा महाविद्यालयों से सम्बद्ध अस्पतालों में बीते एक माह में ही 35 हजार से अधिक चिकित्सा की आयुष्मान योजना के बुजुर्ग मरीजों के केस फिंगर प्रिंट स्कैन नहीं होपाने के चलते निरस्त किये गए हैं।

ऐसे मामले प्रदेश के अन्य जिलों में भी होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

बताया गया है कि बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं के फिंगरप्रिंट घिस जाने से स्कैन वेरिफिकेशन समस्या आ रही है इसके अभाव में ऐसे हजारों पात्र मरीज आयुष्मान योजना चिकित्सा लाभ से वंचित हो रहे हैं।

मंदसौर के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ गोविंद छापरवाल से हुई चर्चा में आपने माना कि आयु बढ़ने और अंगुलियों की स्थितियों के कारण फिंगरप्रिंट स्कैन में दिक्कतें हो सकती हैं, और यह किसी भी उम्र में संभव है ऐसे में आंखों की रेटिना स्कैन को महत्व दिया जाने लगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विषय की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवाएं एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय मध्यप्रदेश शासन भोपाल, को निर्देशित करते हुए कहा है कि आयुष्मान कार्ड धारकों के फिंगरप्रिंट स्कैन न होने की स्थिति में ऐसे प्रभावित मरीज ओर लोगों को पात्रता सुविधा से वंचित नहीं होना पड़े। ऐसे लोगों को अन्य वैकल्पिक उपायों, रेटिना स्कैन, आईआरआईएस, फेस इम्प्रेशन आदि के उपयोग की संभावना और इस संबंध में कृत कार्यवाही के बारे में मानव अधिकार आयोग को छह सप्ताह में जवाब देवें।