Azam Khan Case : आजम खां को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की इतनी जल्दी क्यों, SC ने पूछा!
New Delhi : उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां को 27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2019 के भड़काऊ भाषण मामले में दोषी करार दिया था। उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई। 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आजम खां को अयोग्य ठहराकर उनकी विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया। विधानसभा के इस फैसले के खिलाफ आजम खां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने यूपी सरकार और केंद्रीय चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आजम खां को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की इतनी जल्दी क्या थी!
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की और से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से खां की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। उनकी याचिका को चुनाव आयोग के स्थायी वकील को भी देने को कहा। पीठ मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को करेगी। प्रसाद ने दलील दी कि आजम को अयोग्य ठहराने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुरूप है। इस पर पीठ ने उनसे कहा कि याचिकाकर्ता को अयोग्य ठहराने की इतनी क्या जल्दी थी! आपको उन्हें कुछ वक्त देना चाहिए था।
इससे पहले सपा नेता के वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले के खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी को भी 11 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया और दो साल की सजा सुनाई गई! लेकिन, उनकी अयोग्यता पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में तात्कालिकता यह है कि चुनाव आयोग 10 नवंबर को रामपुर सदर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा करते हुए गजट अधिसूचना जारी करने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सेशन कोर्ट के जज कुछ दिनों की छुट्टी पर हैं और इलाहाबाद हाईकोर्ट बंद है, इसलिए वह अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ वहां नहीं जा सके। इस पर पीठ ने प्रसाद से पूछा कि खतौली विधानसभा सीट के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
कोर्ट ने सुनाई तीन साल की सजा
आजम खां को 27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2019 के भड़काऊ भाषण मामले में दोषी करार दिया था और तीन साल की सजा सुनाई थी। 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आजम को अयोग्य ठहराए जाने और उनकी विधानसभा सीट को रिक्त घोषित किया।
बेटे की अयोग्यता बरकरार
आजम खां के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अब्दुल्ला की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला के 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचन को रद्द करने का आदेश दिया था।
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने सोमवार को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब्दुल्ला आजम की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हमने याचिका खारिज कर दी है। पीठ ने इस मामले में 20 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। दिसंबर 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अब्दुल्ला को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया था, क्योंकि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी।
वेतन-भत्तों की वसूली
सपा विधायक अब्दुल्ला आजम से पिछले कार्यकाल के वेतन भत्तों की करीब 53 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है। अब उनके ऊपर कोई देनदारी नहीं है। विधानसभा सचिवालय के मुताबिक अब्दुल्ला को करीब 32 महीने के वेतन भत्तों का भुगतान वसूली का नोटिस दिया था। अब्दुल्ला ने विस चुनाव 2022 में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए विधानसभा से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए करीब 53 लाख रुपए जमा करा दिए हैं।