कार्तिक-अगहन माह में निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी

वैकुण्ठ चतुर्दशी पर मध्यरात्रि में होगा "हरिहर मिलन"

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कार्तिक-अगहन माह में निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी

उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट

उज्जैन । बाबा महाकालेश्वर इस वर्ष कार्तिक-अगहन माह के दौरान लाव-लश्कर के साथ पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण करेंगे। इस वर्ष कार्तिक व अगहन माह में कुल पांच सवारियां निकाली जाएंगी। पहली सवारी 31 अक्टूबर सोमवार को महाकाल मंदिर से अपने निर्धारित समय शाम 4 बजे निकलेगी, द्वितीय सवारी 7 नवम्बर, तृतीय सवारी 14 नवंबर, चतुर्थ सवारी 21 नवम्बर को निकलेगी ।

वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर 6 नवंबर को हरिहर मिलन होगा इस विशेष दिन पर बाबा महाकाल की सवारी मध्यरात्रि में 12 बजे श्री द्वारिकाधीश गोपाल मन्दिर पहुँचेगी जहां हरि-हर का अभिषेक पूजन आदि होगा ।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि परंपरागत रूप से भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी श्रावण-भादो माह के अलावा कार्तिक-अगहन माह में भी नगर भ्रमण पर निकाली जाती हैं। इस दौरान बाबा महाकाल रजत पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा तट पर पूजन के उपरांत सवारी परंपरागत मार्ग से होती हुई पुनः मंदिर पहुंचती है। इस बार भगवान महाकाल की कार्तिक माह की दो व अगहन माह की दो एवं हरिहर मिलन की एक इस तरह कुल पांच सवारियां निकलेंगी।

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*वैकुंठ चतुर्दशी पर मध्य रात्रि में होगा “हरीहर मिलन”*

वर्षाकाल के चातुर्मास में भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि के अतिथि बनकर पाताल लोक में वास करते हैं। देवउठनी एकादशी पर देवशक्ति पुनः जागृत होती है, इसके चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुन: सृष्टि के संचालन का भार भगवान विष्णु को सौंप देते हैं।

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर छह नवंबर को इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान महाकाल रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। यहां हरि-हर का मिलन होगा, इसके बाद देर रात सवारी पुन: महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी।

*महाकाल मंदिर में ग्वालियर स्टेट के पंचांग के अनुसार मनाए जाते हैं व्रत-त्योहार*

श्री महाकालेश्वर मंदिर में सभी व्रत-त्योहार ग्वालियर स्टेट के पंचांग से मनाए जाते हैं। महाराष्ट्रीयन समाज में प्रत्येक माह की शुरुआत शुक्ल पक्ष से मानी जाती है, इसलिए महाकाल मंदिर में कार्तिक-अगहन में भगवान महाकाल की सवारी निकालने का क्रम कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है।