Badwani News: श्मशान घाटों पर महंगा हुआ अंतिम संस्कार,लकड़ी के लिए वसूले जा रहे मनमाने दाम
बड़वानी- जिला मुख्यालय पर शवों की अंत्येष्टि के लिए सर्वाधिक उपयोगी माने जाने वाली लकड़ी के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं जिसके चलते अंतिम संस्कार भी महंगा हो गया है।
लावारिस शवों अथवा गरीब लोगों के परिजनों की मृत्यु पर सहयोग जुटाने वाले समाजसेवी अजित जैन ने बताया कि अर्थी सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों की कीमतों में इजाफा हो गया है। इसके अलावा चिता पर लगने वाली लकड़ी की कीमतें भी बढ़ गई हैं। नर्मदा तट पर श्मशान घाटों में एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी के 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल तक दाम वसूले जा रहे हैं।
इससे पहले दो वर्ष पूर्व तीन सौ पचास रुपए से चार सौ रुपए क्विंटल लकड़ी मिलती थी, जिससे चिताओं को जलाया जा रहा था। अब अंतिम संस्कार के लिए लोगों से लकड़ी और अन्य सामग्री की मनमानी कीमतें वसूली जा रही हैं।
बड़वानी जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर नर्मदा तट पर स्थित राजघाट पर दो वर्ष पहले तक लकड़ी की कीमत 350 रुपये से 400 रुपये प्रति क्विंटल थी। मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़क़र 700 रुपये से 800 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गई है।
साथ ही राजघाट पर वन विभाग का डिपो था जो अभी दो महीने से बंद पड़ा है जिसके कारण भी लकड़ी के भाव पर नियंत्रण नहीं रहा है और दूसरे लोगों द्वारा ज्यादा राशि ली जा रही है।
श्मशान घाट पर एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी की कीमत में दो गुना फीसदी तक की वृद्धि हुई है। अनुमान के मुताबिक एक शव के अंतिम संस्कार में पांच से 6 क्विंटल लकड़ी की जरूरत होती है।
इसी तरह से श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले बताते हैं कि वहां अंतिम क्रिया की वस्तुओं का कोई रेट तय नहीं किया गया है। नगर पालिका की ओर से रेट लिस्ट न लगाए जाने से और भी दिक्कतें हो रही हैं।
राकेश यादव ने बताया कि श्मशान घाट पर आने वाला आदमी बहुत मोल भाव की हालत में भी नहीं रहता। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए वस्तुओं की जो कीमतें मांगी जाती हैं, उसे लोग भुगतान करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी ही नहीं, अन्य वस्तुओं के भी दाम बढ़ गए हैं। मिट्टी का घड़ा हो या फिर अर्थी सजाने के लिए बांस या फिर चिता जलाने में इस्तेमाल की जाने वाली रॉल, कपूर या घी, सबके दाम दो से तीन गुना अधिक लिए जा रहे हैं। जो सामान ₹1500 में आ जाता था अब ₹3000 लग रहे हैं
बड़वानी से 50 किलोमीटर की परिधि के करीब 15 से 20 शवों का प्रतिदिन नर्मदा तट पर अंतिम संस्कार होता है