Badwani News: मिशन उम्मीद से जागी शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव की उम्मीद

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Badwani News: मिशन उम्मीद से जागी शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव की उम्मीद

बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट

मिशन उम्मीद से जागी संस्थागत प्रसव की उम्मीद, कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा बोले- शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव के टारगेट जल्द छुएगा जिला

बड़वानी- देश के 117 आकांक्षी जिलों में शामिल बड़वानी में मिशन उम्मीद से शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव की उम्मीद जागी हैं। बड़वानी जिला सतपुड़ा की श्रेणी के आंचल में बसा हुआ है, जहा कई स्थानों पर मार्ग नही है, तो कई स्थानों पर पहाड़ों से होकर बीमार या गर्भवती महिलाओं को झोली में डाल कर आना जाना पड़ता है, जिससे जिले में संस्थागत प्रसव दर बहुत कम हुआ करता थी और सुविधाओं के अभाव में लोग घर पर ही प्रसव को महत्त्व देते थे। संस्थागत प्रसव की बात करें तो 2018 में 50 प्रतिशत प्रसव संस्थागत थे तो वही 50 प्रतिशत प्रसव घर पर हुआ करते थे क्योंकि दुर्गम क्षेत्रों में बसे हुए ग्रामीण हॉस्पिटल तक नही पंहुच पाते थे और नही उन तक वाहन पंहुच पाते थे।

ऐसे हालातों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने मिशन उम्मीद शुरू किया जिसके चलते गर्भवती महिलाओं को हॉस्पिटल या एम्बुलेंस तक पंहुचाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया गया और उन्हें इस कार्य के लिए प्रोत्साहित राशि भी निर्धारित की गई जिसमें अगर कोई व्यक्ति अपने वाहन या बाईक से गर्भवती महिला को हॉस्पिटल या एम्बुलेंस तक सुरक्षित छोड़ता है तो उसे प्रशासन की तरफ से आने जाने का भाड़ा भी तय किया गया। जिसके चलते लोगों में एक जवाबदारी भी आई और उसके बाद लोग अन्य संसाधनों के माध्यम से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने लगे है।

प्रशासन की पहल रंग लाने लगी है और एक वर्ष पूर्व ही शुरू की गई मिशन उम्मीद के चलते संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिलने लगा। NFHS 5 की रिपोर्ट में संस्थागत प्रसव में आंकड़ा जंहा एक वर्ष में ही 85 प्रतिशत को पार हो गया था वही जनवरी के आंकड़ों की बात करें तो संस्थागत प्रसव 95 प्रतिशत पार हो गया जिसको लेकर कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने आंगनवाड़ी सहित स्वास्थ विभाग की टीम को बधाई देते हुए जल्द आंकड़ा शत प्रतिशत करने की उम्मीद जताई है।

कलेक्टर वर्मा ने बताया की प्रशासन मिशन उम्मीद के तहत और क्या क्या सुधार किए जा सकते इसको लेकर गम्भीर है और जल्द ही रोडमेप तैयार किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण संस्थागत प्रसव करवा सकें।