Bageshwar Dham Sarkar : सुर्ख़ियों में बागेश्वर धाम सरकार, श्याम मानव को चुनौती!
Raipur : बागेश्वर धाम सरकार बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों चर्चा में हैं। हजारों लोगों की आस्था के साथ ही उनकी ‘अंधविश्वासी बाबा’ के रूप में पहचान बन रही है। खुद को हनुमान का भक्त बताने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने विवादित बयानों के कारण भी सुर्खियों में हैं। नागपुर में भागवत कथा के दौरान अंध श्रद्धा मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव ने बागेश्नवर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। इसके साथ उन्होंने चुनौती दी, कि अगर पं धीरेंद्र शास्त्री अपने चमत्कार को मेरे सामने सही साबित करते हैं, तो उनको 30 लाख का इनाम दिया जाएगा। इस चुनौती पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए बागेश्वर धाम महाराज निर्धारित समय से दो दिन पहले ही कथा ख़त्म करके चले गए।
इस मुद्दे पर अपनी सफाई देते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि क्या हनुमान जी को मानना, हनुमान जी की बात करना, हनुमान चालीसा को फैलाना गलत है। हम संविधान के अंतर्गत ही चलेंगे। अगर हम गलत हैं, तो सभी हनुमान भक्तों पर एफआईआर होनी चाहिए। में चुनौती स्वीकार करता हूं। श्याम मानव यहां रायपुर आए, टिकट का खर्च मैं दूंगा। बागेश्वर धाम ने कहा कि मैं कोई संत नहीं हूं। नागपुर में हमारी कथा 7 दिन के लिए थी। हम उस कथा को छोड़कर नहीं भागे। बाणेश्वर धाम सरकार की 20 और 21 को रायपुर में कथा है।
छतरपुर के एक कस्बे के रहने वाले
बागेश्वर धाम महाराज के रूप में प्रचलित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म जुलाई 1996 में प्रदेश के छतरपुर स्थित एक कस्बे में हुआ था। दाताजी महाराज संन्यासी बाबा के संपर्क में रहते हुए उन्होंने कथा वाचक के रूप में अपने आप को निखारा और अब देशभर में इनके शिविर लगते हैं। वे सनातन धर्म का प्रचार करते हैं। हालांकि, विवादों से भी धीरेंद्र शास्त्री का उतना ही नाता है।
महंगी कारों का जखीरा
बागेश्वर धाम महाराज एसयूवी फॉर्च्यूनर से चलते हैं। उनके काफिले में उनकी सुरक्षा के लिए काफी सारी गाड़ियां तैनात रहती हैं। इनके कार्यक्रमों में बहुत भीड़ होती है, ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए काफी सारे लोग उनके आसपास सुरक्षा घेरा लगाए रहते हैं। उनके पास टोयोटा की लग्जरी एमपीवी इनोवा क्रिस्टा भी है। बागेश्वर धाम महाराज के पास टाटा मोटर्स की सबसे खास एसयूवी मानी जाने वाली टाटा सफारी भी है, जिसका इस्तेमाल वे आसपास जाने के लिए करते हैं।