Balidan Diwas : ‘कोई आदिवासियों की जमीन नहीं हड़प सकेगा, लव जिहाद नहीं चलने नहीं दूंगा!’
Indore : नजदीक के रेलवे स्टेशन पातालपानी और शहर का भंवरकुआं चौराहा को टंट्या मामा के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जननायक टंट्या मामा भील के बलिदान दिवस पर इसकी घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने भंवरकुआं चौराहे पर टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण किया। स्टेडियम पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आदिवासी की जमीन हड़पी नहीं जा सकेगी दूसरे धर्म वाले हमारी आदिवासी बहनों से विवाह करके जमीन हड़प लें, ऐसा मैं होने नहीं दूंगा। यह लव नहीं, ये जिहाद है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चौराहे का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा अब तक एक परिवार के लोगों की प्रतिमाएं लग रही थीं। इंदौर आने से पहले मुख्यमंत्री टंट्या मामा की जन्मस्थली पातालपानी भी पहुंचे। शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि अब प्रदेश में लव जिहाद नहीं चलने देंगे। जरूरत पड़ी तो और कड़ा कानून लाएंगे। जमीन हथियाने के लिए आदिवासी महिला से शादी नहीं हो सकेगी। उन्होंने मंच से पेसा एक्ट के बारे में भी जानकारी दी। कहा कि वे इस एक्ट के मास्टर ट्रेनर हैं।
उन्होंने कहा कि मैं आज तुमको पेसा कानून समझाने आया हूं। इस कानून में आदिवासियों को कई अधिकार हैं। कांग्रेस भड़काए तो डरना मत, ये किसी के खिलाफ नहीं भगवान ने सबके लिए धरती बनाई है। ये जंगल, ये जल सबका है। ये खदान, ये रेत, ये गिट्टी सबकी है, आज तुम बोलो रे, आज क्रान्ति आ गई है। ये पेसा कानून सबको जमीन का अधिकार दे रहा है। ध्यान सिर्फ मामा की तरफ लगाओ, मन-बुद्धि आत्मा से सिर्फ मुझे सुनो! जमीन का नक्शा, खसरा सब ग्राम सभा में रखेंगे, किसी धन्नो या पन्ना के नाम नहीं होगी। अब. पहले कई सालों तक पता नहीं चलता कि जमीन किसके नाम है। अब आदिवासी की जमीन कोई हड़प नहीं सकता। दूसरे धर्म के लोग हमारे आदिवासी बहनों से विवाह करके जमीन हड़प लें, ऐसा मैं होने नहीं दूंगा। यह लव नहीं, ये जिहाद है। कोई हमारी बहनों से शादी करके 35 टुकड़े कर दे, ये नहीं चलेगा!
मुख्य कार्यक्रम नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया गया। यहां शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मंच पर बैठे अतिथियों को फूल मालाएं न दें। ये सभी टंट्या मामा के चरणों में ही समर्पित करें। यहां मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों को राशि का वितरण भी किया। सभी अतिथियों को तीर-कमान देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने यहां आदिवासियों को नया नारा दिया कहा ‘धरती-अम्बर कह रहे, टंट्या मामा अमर रहे!’ राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने भी पेसा एक्ट के बारे में बताया और कहा कि यह आदिवासियों को विशेष अधिकार देता है।
ग्राम सभा को अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चलेगी। ग्राम सभा की अनुमति के भांग और शराब की दुकान नहीं खुल सकेगी। मनरेगा का पैसा ग्राम सभा तय करेगी। ठेकेदार मजदूर बाहर जाएंगे तो ग्राम सभा को बताना होगा, जो ठेकेदार जानकारी नहीं देगा उसको जेल होगी। गांव में छोटे-छोटे लड़ाई विवाद के मामले थाने नहीं जाएंगे। समिति को अधिकार देंगे। ‘पेसा एक्ट’ की जानकारी देने के लिए टीमों को भेजेंगे। प्रदेश से 5 साल में मप्र से पलायन बंद करेंगे। मजदूरी के लिए मजबूरी में बाहर नहीं जाएं। सभा में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग पहुंचे। खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, धार से हजारों की संख्या में आदिवासी इंदौर पहुंचे हैं। इन्हें लाने-ले जाने के लिए बसों का इंतजाम किया गया है।
राज्यपाल, मुख्यमंत्री पहुंचे
टंट्या मामा के बलिदान दिवस के मौके पर रविवार को पातालपानी पहुंचे राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर में पूजा अर्चना पश्चात उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बार जब यहाँ आया तब कुछ माँगे पूरा करने का वादा करके गया था। इनमें से सभी पूरी कर ली गई हैं। टंट्या मामा के नाम से पातालपानी रेलवे स्टेशन का नामकरण, मानपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम, प्रतिमा स्थापना, मंदिर से प्रतिमा स्थल तक पाथवे निर्माण के साथ ही व्यू पॉइंट बनाए गए हैं। म्यूजियम और लाइब्रेरी निर्माण की डीपीआर बन गई है, शीघ्र निर्माण शुरू होगा। उन्होंने घोषणा की कि ग्राम पंचायत दौलतपुरा के ग्राम नयापुरा में शहीद खोज्या नायक भील की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
भंवरकुआं चौराहे का नामकरण
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने भंवरकुआं चौराहे पर टंट्या मामा की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि टंट्या मामा अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के नायक थे। अंग्रेज पुलिस टंट्या मामा के नाम से कांपती थी। अंग्रेजों ने केवल टंट्या मामा को पकड़ने के लिये विशेष पुलिस बनायी थी। टंट्या मामा देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे। टंट्या मामा शोषण करने वालों के घोर विरोधी थे। वे अपने साथी की गद्दारी के कारण पकड़े गये। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद टंट्या भील के बलिदान को हम कभी विस्मृत नहीं कर सकते। खेद का विषय है कि आजादी के बाद की सरकारों ने जनजातीय नायकों के योगदान को महत्व नहीं दिया।